साझा तंत्र से निपटेगी ई-कारोबार की चुनौतियां
सभी देशों को ई-कामर्स से उपजी चुनौतियों से निपटने के लिए उपभोक्ताओं को डिजीटल अधिकारों के संरक्षण का प्रयास करना चाहिए।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। विश्व सिमट कर एक बाजार हो गया है, जिससे ई-कारोबार का दायरा बहुत बढ़ गया है। उपभोक्ताओं के लिए दुनिया के बाजारों का दरवाजा खुल गया है। लेकिन इससे कई तरह की चुनौतियां भी सामने आई है, जो उपभोक्ताओं के हितों को प्रभावित कर रही हैं। इस नई बाजार व्यवस्था में उपभोक्ताओं को सशक्त बनाने के लिए राजधानी में दो दिनों तक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया।
सम्मेलन के दूसरे दिन पारित प्रस्ताव का ब्यौरा देते हुए केंद्रीय उपभोक्ता मामले व खाद्य मंत्री राम विलास पासवान ने बताया कि इसमें हिस्सा लेने वाले 19 देशों को परस्पर जानकारी का आदान प्रदान का रास्ता खुल गया। सम्मेलन में हिस्सा लेने वाले देशों ने भारत में उपभोक्ता संरक्षण की दिशा में किये जा रहे कार्य की प्रशंसा की। सम्मेलन में कुल 1600 से अधिक प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
सम्मेलन में पारित प्रस्ताव में कहा गया कि उपभोक्ता संरक्षण के बारे में संयुक्त राष्ट्र के दिशानिर्देशों को लागू किया जाए, ताकि सभी दिशा में उपभोक्ताओं के हितों का ध्यान रखा जा सके। प्रस्ताव में उपभोक्ता संरक्षण संबंधी नीतियां बनाने में उपभोक्ता संगठनों का भागीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए। सभी देशों को ई-कामर्स से उपजी चुनौतियों से निपटने के लिए उपभोक्ताओं को डिजीटल अधिकारों के संरक्षण का प्रयास करना चाहिए। वित्तीय बाजारों में उपभोक्ताओं के हित संरक्षण को बहुत जरूरी मानते हुए उपभोक्ताओं को जागरूक करने पर जोर दिया गया। उनके हितों के लिए जरूरी कानून बनाये जाने की जरूरत बताई गई।
अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सुझावों को प्रस्ताव में शामिल किया गया। इसमें वैश्विक परिवेश और एकल बाजार में बदलती व्यवस्था के मद्देनजर देश के एक दूसरे के अनुभवों से सीख लें। इसके लिए साझी व्यवस्था भी विकसित करें। उपभोक्ता संरक्षण के लिए क्षेत्रीय एकजुटता की संभावनाओं का पता लगाये जाने की जरूरत बताई गई। संचार तंत्र विकसित करने, बेहतर तरीकों के आदान-प्रदान करने, क्षमता निर्माण के लिए नई पहल और पारस्परिक हितों की दृष्टि से संयुक्त अभियान चलाये जाएं। भविष्य की चुनौतियों का आकलन करके उस दिशा में आगे बढ़ें और क्षेत्रीय सहयोग स्थापित करने की जरूरत पर बल दिया गया गया है।
उपभोक्ता संरक्षण की दिशा में भारत ने सबसे पहले कानून बनाया। संयुक्त राष्ट्र संघ ने अपने दिशानिर्देशों को 2015 में संशोधित किया तो भारत ने तत्काल दूसरा कानून तैयार कर लिया है। कानून का प्रारूप केंद्रीय मंत्रिमंडल के विचाराधीन है। केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान ने कहा कि संसद के आगामी सत्र में इसे पारित कराने की कोशिश की जाएगी। पिछले कानून में जो भी खामियां रह गई थीं अथवा समय के साथ जो जरूरतें महसूस की जा रही हैं, उन्हें नये कानून में शामिल किया गया है।
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