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कोरोना संक्रमण के भय से लॉकडाउन में सिजेरियन डिलीवरी से परहेज, सामान्य प्रसव में बढ़ोतरी

कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान कई राज्यों के निजी और सरकारी अस्पतालों में सिजेरियन डिलीवरी की संख्या में काफी कमी आई है। जानें किस राज्‍य में कितना असर...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Tue, 23 Jun 2020 06:09 AM (IST)Updated: Tue, 23 Jun 2020 06:09 AM (IST)
कोरोना संक्रमण के भय से लॉकडाउन में सिजेरियन डिलीवरी से परहेज, सामान्य प्रसव में बढ़ोतरी

नई दिल्ली [जागरण स्‍पेशल]। कोरोना काल में बहुत कुछ अच्छा भी हो रहा है। प्रसव (डिलीवरी) के मामले में ऐसा ही है। लॉकडाउन के दौरान कई राज्यों के निजी और सरकारी अस्पतालों में सिजेरियन डिलीवरी की संख्या में काफी कमी आई है। पहले लगभग हर दूसरी गर्भवती महिला की सिजेरियन डिलीवरी होती थी। कोरोना के खौफ और सख्त प्रोटोकॉल के चलते गायनोकोलोजिस्ट ने सिजेरियन डिलीवरी काफी कम कर दी है। इससे प्रसूता व उनके स्वजनों को काफी राहत मिली है। समय और पैसा दोनों बच रहे हैं। लॉकडाउन में प्रसव के आंकड़ों से स्पष्ट है कि सामान्य और परंपरागत प्रसव की संख्या बढ़ी है।

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झारखंड में भारी कमी

पिछले वर्ष झारखंड में प्रति माह चार हजार सिजेरियन डिलीवरी होती थी। वहीं, लॉकडाउन के दौरान सिजेरियन केस काफी कम हो गए। अप्रैल में महज 2656 और मई में 2983 सिजेरियन डिलीवरी हुआ। यानि अप्रैल में पिछले वर्ष के मुकाबले 33 फीसद और मई में 25 फीसद कम ऑपरेशन हुए। नार्मल डिलीवरी की बात करें तो अप्रैल में 36,628 और मई में 46,029 प्रसव नार्मल हुए। निजी अस्पताल लॉकडाउन में बंद थे। ज्यादातर प्रसव सरकारी अस्पतालों में हुए जहां ऑपरेशन कर पैसे बनाने का खेल नहीं है।

यूपी के अधिकांश जिलों में बदला परिदृश्य

उत्‍तर प्रदेश में पूरा परिदृश्य ही बदला बदला सा दिखा। गोरखपुर जिले में लॉकडाउन में नार्मल (सामान्य) डिलीवरी की संख्या बढ़ी है। 60 फीसद नार्मल तो 40 फीसद सिजेरियन हुए। जिला महिला अस्पताल में शहर की जो गर्भवती पहुंचीं उनमें 60 फीसद की डिलीवरी नार्मल हुई। वाराणसी सहित पूर्वांचल के गाजीपुर, मऊ, बलिया, आजमगढ, जौनपुर, भदोही, सोनभद्र, मीरजापुर व चंदौली में कोरोना संक्रमण के दौरान सिजेरियन की तुलना में नार्मल डिलीवरी की संख्या अधिक रही। कुछ जिले में नार्मल प्रसव अस्सी फीसद तक रहा।

यूपी के अधिकांश जिलों में बदला परिदृश्य

वाराणसी में लाकडाउन के दौरान 3309 नार्मल डिलीवरी व 398 सिजेरियन। मीरजापुर में 1126 नार्मल डिलीवरी, 374 सिजेरियन। आजमगढ़ में 2421 नार्मल प्रसव, 827 ऑपरेशन। सोनभद्र में 4687 नार्मल प्रसव, 2743 ऑपरेशन से। भदोही में 2432 सामान्य डिलीवरी, 537 ऑपरेशन। जौनपुर में 1166 सामान्य डिलीवरी , 411 ऑपरेशन से जबकि गाजीपुर में 540 सामान्य प्रसव, 190 ऑपरेशन हुए। मेरठ में लॉकडाउन में सिजेरियन डिलीवरी में कमी आई है।

नोएडा में भी दिखा असर 

गौतमबुद्ध नगर में 25 मार्च से 31 मई तक रहे लॉकडाउन में इसका असर साफ दिखाई दिया। पिछले साल के मुकाबले इस साल सिजेरियन डिलीवरी बेहद कम हुई। जबकि नार्मल डिलीवरी के केसों में बढ़ोत्तरी हुई। सरकारी अस्पतालों में 2019 में (फरवरी से 15 जून) तक जहां 304 सिजेरियन डिलीवरी हुई थी, इस साल लॉकडाउन अवधि में (फरवरी से 15 जून) तक 237 सिजेरियन डिलीवरी ही हो पाई। जबकि नार्मल डिलीवरी की संख्या 1920 है। लगभग यही स्थिति सूबे के अन्य जिलों की भी है।

कोरोना वायरस का खौफ

गौतमबुद्ध नगर जिला अस्पताल की सीएमएस डॉ. वंदना शर्मा कहती हैं कि लोगों में वायरस का खौफ है। लोग लेबर रूम में नहीं बल्कि ओपीडी में भी बिना वजह मरीज नहीं आते हैं। लॉकडाउन अवधि में सिजेरियन से ज्यादा नार्मल डिलीवरी हुई है। अस्पताल की ओर से महिलाओं को नार्मल डिलीवरी के लिए ही जागरूक किया जा रहा है।

पंजाब में सिजेरियन डिलीवरी में कमी 

अमृतसर : इस साल मार्च से मई के दौरान 4376 नॉर्मल और 2894 सिजेरियन डिलीवरी हुई। पिछले साल इसी दौरान 2853 नार्मल और 4032 सिजेरियन डिलीवरी हुई।

लुधियाना : इस साल मार्च से मई के दौरान 3147 नार्मल और 836 सिजेरियन डिलीवरी हुई। पिछले साल इसी दौरान 3274 नार्मल और 1102 सिजेरियन डिलीवरी हुई।

जालंधर : इस साल मार्च से मई के दौरान 2901 नार्मल और 2233 सिजेरियन डिलीवरी हुई। पिछले साल इसी दौरान 3196 नार्मल और 2315 सिजेरियन डिलीवरी हुई।


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