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केंद्र ही तय करे जजों की नियुक्ति प्रक्रिया :सुप्रीम कोर्ट

हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की नियुक्ति करने वाली कोलेजियम प्रणाली में सुधार के लिए शीर्ष अदालत ने कई दिशानिर्देश जारी किए।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Thu, 17 Dec 2015 12:06 AM (IST)Updated: Thu, 17 Dec 2015 12:15 AM (IST)

नई दिल्ली । हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की नियुक्ति करने वाली कोलेजियम प्रणाली में सुधार के लिए शीर्ष अदालत ने कई दिशानिर्देश जारी किए। प्रणाली को और पारदर्शी और जवाबदेह बनाने के लिए अदालत ने केंद्र सरकार को भारत के मुख्य न्यायाधीश से परामर्श कर मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर (एमओपी) को अंतिम रूप देने को कहा है।

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जस्टिस जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने सरकार से पांच महत्वपूर्ण पहलुओं पर ध्यान देने के लिए कहा है। इनमें पात्रता मापदंड, नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता, चयन प्रक्रिया के प्रबंधन के लिए सचिवालय का गठन, नियुक्ति के लिए विचार किए जा रहे लोगों के खिलाफ शिकायतों का निपटारा करने का तंत्र और एमओपी के अन्य मुद्दों पर ध्यान देना शामिल है।

पीठ ने कहा कि उच्चतर न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति पर मुख्य न्यायाधीश की सलाह से एमओपी को अंतिम रूप दिया जाना चाहिए। मुख्य न्यायाधीश हमारे वरिष्ठ न्यायाधीशों वाली कोलेजियम में पूरी तरह आम सहमति के साथ निर्णय लेंगे।

पीठ ने कहा कि योग्यता के मापदंड पर गौर करते समय एमओपी को न्यूनतम उम्र का भी जिक्र करना चाहिए जो कोलेजियम के दिशानिर्देश के तौर पर काम करेगा। राज्य सरकारों तथा केंद्र को इसका ध्यान रखना चाहिए। पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति जे. चेलमेश्वर, मदन बी लोकुर, कुरियन जोसफ और आदर्श कुमार गोयल शामिल हैं।

पीठ ने कहा कि न्यायाधीशों के चयन और नियुक्ति में पारदर्शिता सबसे महत्वपूर्ण पहलू है। नियुक्ति की प्रक्रिया में यह दिखना चाहिए और इससे जुड़ा हर पहलू विधि एवं न्याय मंत्रालय की वेबसाइट तथा संबंधित हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर उपलब्ध होना चाहिए।

पीठ ने कहा कि चर्चा और विचार-विमर्श की बातों को रिकॉर्ड किया जाना चाहिए और अगर कोई असहमति है तो उसे भी रिकॉर्ड किया जाना चाहिए, लेकिन पारदर्शिता को गोपनीयता की जरूरत के साथ संतुलित किया जाना चाहिए।

पीठ ने कहा कि ये दिशानिर्देश इसके समक्ष दिए गए प्रतिवेदन के लिहाज से व्यापक सुझाव हैं। अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी के प्रतिवेदन पर गौर करने के बाद अदालत ने ये आदेश पारित किए हैं।


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