खदान में फंसे 15 मजदूरों के निकाले जाने तक जारी रहेगा अभियान
केंद्र की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह मानवीय त्रासदी है। केंद्र और राज्य दोनों ही अभियान बंद नहीं कर रहे हैं और मजदूरों को बचाने के लिए कदम उठा रहे हैं।
नई दिल्ली, प्रेट्र। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि मेघालय की गैरकानूनी कोयला खदान में फंसे 15 मजदूरों के निकाले जाने तक वह अभियान बंद नहीं करेगा। राज्य के रैट-होल कोयला खदान में पानी भर जाने के बाद एक महीने से भी ज्यादा समय से मजदूर फंसे हुए हैं।
राज्य सरकार ने अपनी स्थिति रिपोर्ट में शीर्ष कोर्ट से कहा है कि 16 जनवरी को नौसेना के रिमोट संचालित वाहन ने 210 फीट की गहराई पर एक शव खोजा था। शव को बाहर लाने का प्रयास किया गया लेकिन सफलता नहीं मिल पाई है क्योंकि शरीर का हिस्सा अलग होने लगा है।
जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की पीठ ने कहा कि केंद्र और राज्य याची आदित्य एन. प्रसाद द्वारा बचाव अभियान के संबंध में दिए गए सुझाव पर ध्यान दे। इसके बाद पीठ ने मामले पर अगले सप्ताह सुनवाई तय कर दी। याची ने अपनी जनहित याचिका में 13 दिसंबर से खदान में फंसे 15 मजदूरों को बाहर लाने के लिए आवश्यक कदम उठाने की मांग की है।
केंद्र की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह मानवीय त्रासदी है। केंद्र और राज्य दोनों ही अभियान बंद नहीं कर रहे हैं और मजदूरों को बचाने के लिए कदम उठा रहे हैं।
मेघालय की ओर से पेश वकील अमित कुमार ने स्थिति रिपोर्ट सौंपी। इसमें मजदूरों के बचाव में सात जनवरी से 17 जनवरी तक उठाए गए कदमों का ब्योरा दिया गया है। उन्होंने कहा कि जो शव मिला उसे निकालने की प्रक्रिया कठिन है। उसे खींचने के क्रम में खोपड़ी और दूसरे हिस्से अलग होने लगे। नौसेना की टीम की राय है कि यदि शव को खींचा गया तो पूरे शरीर का हर अंग अलग-अलग हो सकता है। चिकित्सकीय टीम ने शव को खींचने से मना किया है।