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केंद्र ने कोर्ट को दी जानकारी, राजीव गांधी की हत्या के दोषियों की रिहाई का प्रस्ताव किया था खारिज

राजीव गांधी हत्या मामले में उम्र कैद की सजा पाए सभी सातों दोषियों को रिहा करने के तमिलनाडु सरकार के प्रस्ताव को के द्र सरकार ने दो साल पहले खारिज कर दिया था।

By Manish PandeyEdited By: Published: Tue, 07 Jan 2020 08:32 PM (IST)Updated: Tue, 07 Jan 2020 08:32 PM (IST)
केंद्र ने कोर्ट को दी जानकारी, राजीव गांधी की हत्या के दोषियों की रिहाई का प्रस्ताव किया था खारिज

चेन्नई, प्रेट्र। केंद्र सरकार ने मंगलवार को मद्रास हाई कोर्ट को बताया कि उसने राजीव गांधी हत्या मामले में उम्र कैद की सजा पाए सभी सातों दोषियों को रिहा करने के तमिलनाडु सरकार के मार्च, 2016 के प्रस्ताव को दो साल पहले खारिज कर दिया था, क्योंकि इससे 'खतरनाक परंपरा' की स्थापना होती।

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सरकार ने यह भी बताया कि मामले की जांच करने वाले केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) ने भी प्रस्ताव का विरोध किया था। केंद्र सरकार ने 18 अप्रैल, 2018 को तमिलनाडु के मुख्य सचिव को लिखे पत्र में कहा था कि आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 435 के मुताबिक भी दोषियों की सजा को दोबारा कम करने के प्रस्ताव को मंजूरी देना उचित नहीं है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अपने पत्र में कहा था कि चार विदेशी नागरिकों ने तीन भारतीय नागरिकों के साथ मिलकर पूर्व प्रधानमंत्री और अन्य 15 लोगों की हत्या कर दी थी। ऐसे लोगों को रिहा करने से खतरनाक परंपरा पड़ेगी और जिसका भविष्य में इस तरह के दूसरे आपराधिक मामलों पर अंतरराष्ट्रीय प्रभाव पड़ने की संभावना बढ़ेगी।

जस्टिस आर सुब्बैया और जस्टिस आर पोंगियप्पन की पीठ के समक्ष अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल जी. राजगोपाल ने उस पत्र की एक कॉपी पेश की। अदालत सात में से एक सजायाफ्ता नलिनी श्रीहरन की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने कहा था कि कैबिनेट द्वारा उसे और अन्य लोगों को रिहा करने की सिफारिश करने के बाद उसे वेल्लोर जेल में रखना गैरकानूनी है।

पत्र का संज्ञान लेते हुए पीठ ने केंद्रीय गृह सचिव को इस मामले में पक्षकार बनाते हुए अधिकारियों को 28 जनवरी तक जवाबी हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया और तब तक के लिए मामले को स्थगित कर दिया।

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की एक चुनावी रैली में 21 मई, 1991 को आत्मघाती हमले में हत्या कर दी गई थी। विशेष टाडा अदालत ने इस मामले में सात लोगों-वी श्रीहरन, टी सत्येंद्रराजा, जयकुमार, रॉबर्ट पायस (सभी श्रीलंकाई नागरिक) और एजी पररीवलन, रविचंद्रन और नलिनी को फांसी की सजा सुनाई थी। बाद में इनकी सजा को उम्रकैद में बदल दी गई थी। तमिलनाडु सरकार ने इस आधार पर सभी को रिहा करने का प्रस्ताव किया था कि, सभी ने 24 साल से ज्यादा समय तक जेल में काट लिए हैं।


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