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केंद्र और असम सरकार ने एनआरसी की डेडलाइन बढ़ाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट से लगाई गुहार

Dadline For Final NRC केंद्र व राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एनआरसी का डेडलाइन बढ़ाने का अनुरोध किया है। दोनों ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि वह 31 जुलाई की डेडलाइन में बदलाव करे।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Fri, 19 Jul 2019 11:36 AM (IST)Updated: Fri, 19 Jul 2019 11:54 AM (IST)
केंद्र और असम सरकार ने एनआरसी की डेडलाइन बढ़ाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट से लगाई गुहार
केंद्र और असम सरकार ने एनआरसी की डेडलाइन बढ़ाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट से लगाई गुहार

नई दिल्‍ली, ब्‍यूरो/एजेंसी। Dadline For Final NRC केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एनआरसी का समय सीमा बढ़ाने का अनुरोध किया है। सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि सर्वोच्‍च न्‍यायालय 31 जुलाई की डेडलाइन में बदलाव करे। सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले में 23 जुलाई को सुनवाई करेगा। बता दें कि असम में बाढ़ की स्थिति विकराल हो गई है। राज्‍य में बाढ़ के कारण 54 लाख लोग विस्थापित हुए हैं। राज्‍य के 33 में से 28 जिले बाढ़ की चपेट में हैं। 

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केंद्र और असम सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने सीमा से लगे जिलों मे 20 फीसद नमूनों की दोबारा जांच किए जाने की बात कही। उन्‍होंने कहा कि स्थानीय साठगांठ के चलते लाखों अवैध घुसपैठिये NRC में शामिल हो गए हैं जिसकी जांच जरूरी है। इसके लिए फाइनल NRC की डेडलाइन 31 जुलाई से बढ़ाए जाने की जरूरत है। अत अदालत से गुजारिश है कि वह इस मांग पर गौर करे। 

सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार अवैध घुसपैठियों से कड़ाई से निबटने के लिए प्रतिबद्ध है। देश को शरणार्थियों की राजधानी नहीं बनने दिया जाएगा। अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले में मंगलवार को फिर से विचार करेगा। इसके साथ ही कोर्ट ने  नैशनल रजिस्टर फॉर सिटिजन्स (NRC) संयोजक प्रतीक हजेला को अपनी 10 और 18 जुलाई की रिपोर्ट केंद्र को सौंपने का भी निर्देश दिया। 

अभी कुछ ही दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल रजिस्टर फॉर सिटिजन्स (NRC) को लेकर केंद्र और असम सरकार द्वारा दायर याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया था। बता दें कि सबसे पहले छह दिसंबर, 2013 को केंद्र सरकार ने पहली अधिसूचना जारी कर तीन साल में एनआरसी बनाने का कार्य पूरा करके उसे प्रकाशित करने की घोषणा की थी। इसके बाद से अभी तक समयसीमा को छह बार बढ़ाया जा चुका है।

पिछले साल 30 जुलाई को जब एनआरसी की अंतरिम सूची का प्रकाशन हुआ तो उसे लेकर भारी विवाद खड़ा हो गया था। उसमें राजनीतिक दलों और प्रभावित लोगों ने 40.7 लाख लोगों के नाम दर्ज न करने पर सवाल उठाए। रजिस्टर में नाम दर्ज करने के लिए आए कुल 3.29 करोड़ आवेदनों में से 2.9 करोड़ को नागरिक माना गया, बाकी का नाम भारतीय नागरिक के तौर पर रजिस्टर में दर्ज नहीं किया गया।


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