Move to Jagran APP

भ्रष्टाचार में घिरा झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय

नई दिल्ली [राजकेश्वर सिंह]। झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय अभी ठीक से शुरू भी नहीं हो पाया, लेकिन अपनी स्थापना की तीन साल में ही करोड़ों रुपये के भ्रष्टाचार को लेकर विवादों के घेरे में आ गया है। विश्वविद्यालय के स्थायी परिसर के निर्माण और दूसरे मामलों में गड़बड़ी को लेकर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय और केंद्रीय सतर्कता आयोग तक शिकायतों का अंबार लग गया है। शुरुआती जांच-पड़ताल में घपलों के ज्यादा गंभीर होने का संकेत मिले हैं। लिहाजा, सरकार ने सारे मामलों की जांच सीबीआइ को सौंप दी है।

By Edited By: Published: Sat, 19 Jan 2013 08:53 PM (IST)Updated: Sat, 19 Jan 2013 09:38 PM (IST)
भ्रष्टाचार में घिरा झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय

नई दिल्ली [राजकेश्वर सिंह]। झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय अभी ठीक से शुरू भी नहीं हो पाया, लेकिन अपनी स्थापना की तीन साल में ही करोड़ों रुपये के भ्रष्टाचार को लेकर विवादों के घेरे में आ गया है। विश्वविद्यालय के स्थायी परिसर के निर्माण और दूसरे मामलों में गड़बड़ी को लेकर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय और केंद्रीय सतर्कता आयोग तक शिकायतों का अंबार लग गया है। शुरुआती जांच-पड़ताल में घपलों के ज्यादा गंभीर होने का संकेत मिले हैं। लिहाजा, सरकार ने सारे मामलों की जांच सीबीआइ को सौंप दी है।

loksabha election banner

सूत्रों के मुताबिक, विश्वविद्यालय के स्थायी परिसर के लिए भवनों के निर्माण और उससे जुड़े दूसरे मामलों में करोड़ों रुपये के भ्रष्टाचार को लेकर 2011 से अब तक केंद्रीय सतर्कता आयोग और मानव संसाधन विकास मंत्रालय को कई शिकायतें मिल चुकी हैं। उन शिकायतों में मनचाही कंपनी को निर्माण कार्य दिलाने के लिए टेंडर की प्रक्रिया में नियम-कानून की अनदेखी की गई। एक बार टेंडर की प्रक्रिया शुरू करके उसे निरस्त किया गया। टेंडर के लिए गठित कमेटियों में ऐसे लोग रखे गए जो विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डीटी खटिंग के साथ तब से जुड़े हैं, जब वह नार्थ-इस्टर्न हिल यूनिवर्सिटी [नेहू], शिलांग में बतौर प्रोफेसर कार्यरत थे। आरोप है कि कुलपति ने नेहू में कार्यरत इंजीनियर एनपी गर्ग को झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय में विशेष कार्याधिकारी [प्रोजेक्ट] पद पर नियुक्ति कर दी, जबकि नेहू में कार्यरत रहने के दौरान वह दो बार निलंबित किए जा चुके थे।

बताते हैं कि टेंडर के बाद जिन कंपनियों को काम मिला, विश्वविद्यालय प्रशासन से जुड़े लोगों से उनके पूर्व के संबंध होने के आरोप है। ऐसी ही एक कंपनी को दस करोड़ का काम मिलने का आरोप है। सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय सतर्कता आयोग को भेजी शिकायतों में विश्वविद्यालय में करोड़ों के भ्रष्टाचार के लिए कुलपति डीटी खटिंग, डिप्टी रजिस्ट्रार डॉ. केपी मोहंत और रजिस्ट्रार डॉ. श्याम नारायण की भूमिका पर सवाल उठाए गये थे। जबकि, मंत्रालय को भी ऐसी ही शिकायतें मिली थीं।

सूत्रों ने बताया कि शिकायतों की शुरुआती जांच-पड़ताल में बड़े भ्रष्टाचार के संकेत मिले हैं। जबकि, इस बीच केंद्रीय सतर्कता आयोग ने भी सारे मामलों की गहराई से जांच पर जोर दिया था। मामले की गंभीरता व आयोग के निर्देश के मद्देनजर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने बीते दिनों सारे मामलों की जांच सीबीआइ को सौंप दी है।

इस बारे में पूछे जाने पर झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. खटिंग ने स्थायी परिसर के लिए टेंडर प्रक्रिया या दूसरे मामलों में भी किसी प्रकार की वित्तीय गड़बड़ी या नियमों-कानूनों की अनदेखी से इन्कार किया है। उन्होंने कहा, सारी शिकायतें साजिश के तहत की गई हैं। पूर्व में एक समय ओएसडी प्रोजेक्ट झारखंड से बाहर गए थे। उसी दौरान उनके कार्यालय के दस्तावेजों की हजारों फोटोकॉपी करा ली गईं। मामले की जांच हो रही है। हफ्ते भर में रिपोर्ट आ जाएगी। सच्चाई का पता चल जाएगा। कुलपति ने कहा कि जो भी शिकायतें की गई थीं, उस पर अब तक उनसे किसी ने हकीकत जानने का प्रयास नहीं किया। टेंडर के लिए अलग-अलग कमेटियां बनी थीं। जो भी चाहे अब भी आकर सच्चाई जान सकता है।

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.