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'बड़े घरानों को लोन देने के बजाय बैंक गरीबों पर लगाएं दांव, पैसा नहीं डूबेगा'

आगामी वित्त वर्ष 2018-19 के लिए 50 हजार ग्राम पंचायतों का चयन किया गया है। इनसे कुल पांच हजार समूह बनाये जाएंगे।

By Tilak RajEdited By: Published: Mon, 19 Feb 2018 09:08 PM (IST)Updated: Tue, 20 Feb 2018 06:56 AM (IST)
'बड़े घरानों को लोन देने के बजाय बैंक गरीबों पर लगाएं दांव, पैसा नहीं डूबेगा'
'बड़े घरानों को लोन देने के बजाय बैंक गरीबों पर लगाएं दांव, पैसा नहीं डूबेगा'

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। बैंकों से ऋण लेकर खुद को विदेश भाग जाने और दिवालिया घोषित करने वाले बड़े घरानों के मुकाबले देश के छोटे उद्यमियों और गरीबों का प्रदर्शन शानदार है। केंद्रीय ग्रामीण विकास सचिव अमरजीत सिंह ने बैंकों से कहा कि वे इस प्रदर्शन के आधार पर गरीबों की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए उन पर दांव लगायें। उनका पैसा नहीं डूबेगा। स्वयं सहायता समूह बनाकर अपनी स्थिति मजबूत बनाने की कोशिश में जुटे गरीब कर्ज चुकाने का माद्दा रखते हैं।

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ग्रामीण सचिव सिंह सोमवार को यहां आयोजित राष्ट्रीय आजीविका मिशन (ग्रामीण) की दूसरी वार्षिक कार्यशाला में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि महिला स्वयं सहायता समूहों का प्रदर्शन शानदार रहा है। उन्हें गरीबी मुक्त करने में बैंकों की भूमिका अहम है। सिंह ने कहा कि उत्तरी और पूर्वी राज्यों में महिला स्वयं सहायता समूहों को बैंकों का पूरा सहयोग नहीं मिल पा रहा है। सरकार ने इन आर्थिक रूप से निर्बल लोगों के लिए विशेष योजना शुरू की है।

आगामी वित्त वर्ष 2018-19 के लिए 50 हजार ग्राम पंचायतों का चयन किया गया है। इनसे कुल पांच हजार समूह बनाये जाएंगे। इन समूहों (क्लस्टर) को प्रशिक्षण, उनके कौशल विकास, ऋण और ढांचागत संरचना पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। 26 फरवरी से 16 मार्च तक राज्यों में अभियान चलाया जाएगा। आम बजट सरकार ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के बाबत 5700 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। अगले वित्त वर्ष 2018-19 में 75 हजार करोड़ रुपये के ऋण दिलाने का लक्ष्य रखा गया है।

अमरजीत सिंह ने स्वयं सहायता समूह वाली महिलाओं से कहा कि जरूरत है परंपरा से हटकर कुछ नया करने की, जो बदलती जरूरतों के हिसाब से बाजार में अच्छा लाभ दे सके। ऐसे कार्यों में स्वयं सहायता समूहों को पहल करनी चाहिए। उन्होंने नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा में महिला स्वयं सहायता समूह के ई-रिक्शा के संचालन की प्रशंसा की। इसी तरह गुजरात में वहां के एसएचजी ने बिजली भुगतान का काम अपने हाथ में लिया है।

उत्तर प्रदेश में महिला स्वयं सहायता समूह कृषि यंत्रों को किराये पर देकर अच्छा लाभ कमा रहे हैं। इसके अलावा यहां बैंक करेंसपांडेट और अस्पतालों में कैंटीन के संचालन का काम भी अपने हाथों में लिया है। इस तरह के अन्य कार्यों को भी शुरू कर समूह अपनी वित्तीय स्थिति में सुधार कर सकते हैं। कार्यशाला में कुल दिखाने के लिए कुल 55 अच्छे कार्यों का प्रदर्शन भी किया जाएगा, जिससे बाकी स्वयं सहायता समूह बहुत कुछ सीख सकते हैं।


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