वैक्सीन या रेमडेसिविर का उत्पादन तुंरत बढ़ाने को लेकर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को दिए हलफनामे में कही यह बात
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को दिए हलफनामे में कहा कि वैक्सीन या रेमडेसिविर के लिए कंपल्सरी लाइसेंसिंग या किसी अन्य इजाजत देने से भी इनके उत्पादन में तुरंत बढ़ोतरी नहीं हो सकती। वैक्सीन और रेमडेसिविर जैसी दवा से जुड़े कच्चे माल की उपलब्धता को लेकर काफी दबाव है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को दिए हलफनामे में कहा है कि वैक्सीन या रेमडेसिविर के लिए कंपल्सरी लाइसेंसिंग या किसी अन्य प्रकार की इजाजत देने से भी इनके उत्पादन में तुरंत बढ़ोतरी नहीं हो सकती। मौजूदा समय में वैक्सीन और रेमडेसिविर जैसी दवा से जुड़े कच्चे माल की उपलब्धता को लेकर काफी दबाव है। हाल ही में इस बात को लेकर काफी चर्चा चल रही थी कि भारतीय पेटेंट कानून के तहत कंपल्सरी लाइसेंसिग के प्रविधान का इस्तेमाल कर भारत वैक्सीन के उत्पादन को बढ़ा सकता है।
केंद्र सरकार ने हलफनामे में कहा कि अभी पूरा विश्व कोरोना महामारी से जूझ रहा है। पेटेंट कानून के प्रविधान के इस्तेमाल से पहले वैश्विक स्तर पर इसके परिणाम के बारे में सोचना होगा, क्योंकि इससे उन देशों के प्रयासों पर विपरीत असर पड़ेगा जो वैश्विक प्लेटफार्म पर अपने पूरे संसाधन को इस्तेमाल के लिए लाना चाहते हैं। सरकार वैक्सीन और रेमडेसिविर जैसी दवा के उत्पादन में बढ़ोतरी के लिए आवश्यक चीजें व कच्चे माल की आपूर्ति बढ़ाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है ताकि यहां उत्पादन क्षमता का पूरा इस्तेमाल हो सके। विदेश मंत्रालय और फार्मास्युटिकल्स विभाग कच्चे माल की उपलब्धता को लेकर एक साथ काम कर रहे हैं।
वैक्सीन आयात के लिए विदेशी कंपनियों से संपर्क
सरकार देश में वैक्सीन की उपलब्धता बढ़ाने के लिए दूसरे देशों से अपने स्तर पर आयात की संभावना तलाश रही है। सरकार ने कहा है कि इस प्रकार की खरीदारी सरकार की जिम्मेदारी है और उसके लिए घरेलू, विदेशी और राजनयिक स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। केंद्र सरकार ने बताया कि वह फाइजर, मॉडर्ना, जॉनसन एंड जॉनसन एवं अन्य विदेशी निर्माताओं के साथ उनकी वैक्सीन के आयात के लिए संपर्क में है।
अगर इस काम में सफलता मिल जाती है तो देश में अधिक मात्रा में वैक्सीन उपलब्ध होगी और टीकाकरण की गति बढ़ेगी। सरकार ने पिछले महीने विश्व स्वास्थ्य संगठन से मंजूरी प्राप्त टीकों के आयात की मंजूरी दी थी। हालांकि रूस की वैक्सीन स्पुतनिक-वी के अलावा निजी स्तर पर अब तक किसी कंपनी ने किसी अन्य वैक्सीन के आयात में दिलचस्पी नहीं दिखाई है।
वैक्सीन की कमी पर किरण मजूमदार ने उठाए सवाल
बायोकॉन की कार्यकारी चेयरपर्सन किरण मजूमदार शॉ ने वैक्सीन की उपलब्धता पर सवाल उठाए हैं। शॉ ने अपने ट्वीट में कहा कि वैक्सीन की कम सप्लाई को लेकर बहुत चिंतित हूं। उन्होंने स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय से पूछा कि क्या हम लोग यह जान सकते हैं कि प्रति माह सात करोड़ वैक्सीन कहां दी जा रही हैं।
उन्होंने कहा कि इस प्रकार की दुविधा को खत्म करने के लिए बेहतर पारदर्शी तरीके की जरूरत है। अगर आपूर्ति की समय- सारिणी को सार्वजनिक कर दिया जाए तो लोग वैक्सीन के लिए अपनी बारी का धैर्यपूर्वक इंतजार कर सकेंगे।