सरकार का उज्जवला पर फोकस, गांवों में अब ज्यादा जाएंगी गैस एजेंसियों की गाडि़यां
ग्रामीण जनता को हमेशा गांवों में गैस सिलेंडर आपूर्ति करने वाले वाहनों की आवाजाही दिखाई दे।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। चुनावों के करीब आते देख केंद्र सरकार ने अपनी महत्वपूर्ण उज्जवला योजना की खामियों को दूर करने की कोशिश भी तेज कर दी है। सोमवार को देश के हर गरीब को अब उज्जवला स्कीम के तहत एलपीजी कनेक्शन देने का फैसला करने के बाद ग्रामीण परिवारों में दोबारा गैस सिलेंडर लेने में आ रही दिक्कतों को भी दूर करने का फैसला किया है। इस फैसले के तहत उज्जवला स्कीम लागू कर रही सरकारी तेल कंपनियों को कहा गया है कि वे गांवों में एलपीजी सिलेंडर की आपूर्ति को बढ़ायें। जिन गांवों में हफ्ते में एक बार गैस एजेंसी की तरफ से गैस सिलेंडर से भरे ट्रक भेजे जाते हैं वहां अब दो बार इन वाहनों को भेजा जाएगा। जिन गांवों में दो बार गैस एजेंसी के वाहन जाते हैं वहां अब तीन बार भेजे जाएंगे।
जिन गांवों में एक बार जाती है गाड़ी वहां दो बार जाएंगी
इस कदम के वजह के बारे में उज्जवला योजना की निगरानी करने वाले पेट्रोलियम मंत्रालय में संयुक्त सचिव आशुतोष बंसल ने बताया कि, 'हमने एक अध्ययन में यह पाया है कि उज्जवला के तहत गैस कनेक्शन लेने वाले इस डर से गैस कम इस्तेमाल करते हैं कि उन्हें अगला सिलेंडर मिलने का भरोसा नहीं रहता। इस भय को दूर करने के लिए हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि ग्रामीण जनता को हमेशा गांवों में गैस सिलेंडर आपूर्ति करने वाले वाहनों की आवाजाही दिखाई दे। इससे उनका आपूर्ति के लिए भरोसा बढ़ेगा और वे एलपीजी स्टोव पर लगातार खाना पकाएंगे।'
सरकार का दावा है कि उज्जवला योजना के तहत जितने लोगों ने गैस कनेक्शन लिए हैं उनमें से 82 फीसद ग्राहकों ने दोबारा गैस कनेक्शन लिया है। देश का एक परिवार औसतन साल में सात एलपीजी सिलेंडर का इस्तेमाल करता है जबकि उज्जवला स्कीम के तहत यह खपत चार सिलेंडरों की है। सरकार के इस दावे के बावजूद विपक्षी दलों और कुछ अन्य स्वतंत्र टिप्पणीकारों का कहना है कि असलियत में बहुत कम उज्जवला ग्राहक दोबारा सिलेंडर ले रहे हैं। सरकारी तेल कंपनियों ने इस कमी को दूर करने के लिए जो अध्ययन किया है उसमें कई सारी बातें सामने आई है जिन्हें दूर करने की कोशिश नए सिरे से शुरु की गई है।
हाल ही में इस स्कीम के तहत पांच किलो भार के छोटे सिलेंडरों की आपूर्ति शुरु की गई है जिससे हालात में तेजी से बदलाव की उम्मीद है। साथ ही तेल कंपनियों को कहा गया है कि वे अपने स्तर पर ग्रामीण महिलाओं को एलपीजी से खाना बनाने के लाभ से अवगत कराने का अभियान चलाये।
कई ग्रामीण महिलाओं ने यह बताया है कि उन्हें नीचे बैठ कर खाना बनाने की आदत है जबकि एलपीजी चूल्हे के उपर होने की वजह से उन्हें खड़ा हो कर खाना बनाना होता है। इसे वह पसंद नहीं करती। इस व्यवहार को बदलने के लिए भी कुछ व्यवस्था तेल कंपनियों को करने को कहा गया है। साथ ही वाट्सएप के माध्यम से गैस रिफिल करवाने की सुविधा भी देश भर में शुरु की जा रही है।