केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा- मोदी सरकार वायु प्रदूषण पर काबू पाने के लिए जल्द लाएगी नया कानून
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वायु प्रदूषण और पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए केंद्र सरकार तीन-चार दिन में नया कानून लाएगी। कोर्ट ने पराली जलाने की निगरानी के लिए कमेटी गठन के आदेश पर लगाई रोक।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली एनसीआर में गंभीर प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए केंद्र सरकार अगले कुछ दिनों में ही कानून का मसौदा तैयार कर कोर्ट को देगी। इससे भी इन्कार नहीं किया जा सकता है कि इस ज्वलंत मुद्दे से निपटने के लिए जरूरी हुआ तो अध्यादेश भी आए। केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वायु प्रदूषण और पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए केंद्र सरकार तीन - चार दिन में नया कानून लाएगी।
वायु प्रदूषण रोकने के लिए केंद्र सरकार की ओर से कानून लाने की सुप्रीम कोर्ट ने की सराहना
केंद्र सरकार की ओर से सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को यह जानकारी देते हुए कोर्ट से अनुरोध किया कि फिलहाल पराली जलाने की निगरानी के लिए जस्टिस मदन बी लोकूर की कमेटी के गठन का आदेश टाल दिया जाए। मुख्य न्यायाधीश एसएस बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए केंद्र सरकार की ओर से समग्र कानून लाने की सराहना की और संतोष जताया।
पीठ ने कहा- वायु प्रदूषण पर रोक लगनी चाहिए
पीठ ने कहा कि वायु प्रदूषण के कारण लोगों का दम घुट रहा है और इस पर हर हाल में रोक लगनी चाहिए। कोर्ट ने सालिसिटर जनरल का अनुरोध स्वीकार करते हुए जस्टिस लोकूर कमेटी के गठन का 16 अक्टूबर का आदेश फिलहाल टाल दिया।
पीठ ने कहा- केंद्र सरकार कानून लाने में सक्षम है
सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि केंद्र सरकार कानून लाने में सक्षम है और वह वायु प्रदूषण तथा पराली जलाने पर अंकुश लगाने के लिए समग्र कानून ला रही है, कोर्ट ने कहा कि अगर ऐसा है तो फिर कोर्ट वह आदेश क्यों पारित करे जो कि उसने पिछली सुनवाई (16 अक्टूबर) को पारित किया था। पीठ ने कहा कि उन्हें नहीं मालूम कि कमेटी क्या करने वाली है और न ही यह मालूम है कि सरकार क्या करने वाली है। याचिकाकर्ता विकास सिंह का कहना था कि कमेटी से इस बीच रिपोर्ट मंगाई जानी चाहिए। जबकि मेहता का कहना था कि सरकार जनहित याचिका में उठाए गए मुद्दों से निपटने के लिए एक कानून ला रही है और इसे देखते हुए कोर्ट को फिलहाल पिछला आदेश निलंबित कर देना चाहिए।
वायु प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट ने सेवानिवृत जज लोकूर की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया था
गत 16 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण पर चिंता जताते हुए सुप्रीम कोर्ट के ही सेवानिवृत न्यायाधीश मदन बी. लोकूर की अध्यक्षता में एक सदस्यीय कमेटी का गठन किया था जो कि वायु प्रदूषण कम करने और पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए उत्तर प्रदेश, हरियाणा पंजाब की सरकारों द्वारा उठाए गए कदमों की निगरानी करती। कोर्ट ने दिल्ली और बाकी तीनों राज्यों के मुख्य सचिवों तथा पर्यावरण नियंत्रण प्राधिकरण (ईपीसीए) को आदेश दिया था कि वह लोकूर कमेटी को पूरा सहयोग देंगे। कमेटी को समय समय पर कोर्ट को रिपोर्ट देनी थी। कोर्ट ने कहा था कि कमेटी एनसीसी, एनएसएस और भारत स्काउट के सदस्यों से खेतों की निगरानी कराएगी। गत 16 अक्टूबर को केन्द्र सरकार ने जस्टिस लोकूर की अध्यक्षता में कमेटी गठित करने का विरोध किया था लेकिन तब कोर्ट ने उसकी बात नहीं मानी थी।