मुख्य अपील में केन्द्र सरकार नहीं थी पक्षकार
सरकार का कहना है कि कोर्ट ने केन्द्रीय कानून की व्याख्या का मुद्दा शामिल होने के कारण अटार्नी जनरल को नोटिस जारी किया था।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कांग्रेस लगातार एससीएसटी एक्ट में तत्काल एफआइआर और गिरफ्तारी पर रोक लगाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पीछे केन्द्र सरकार पर कोर्ट में ठीक से पक्ष न रखे जाने का आरोप लगा रही है। लेकिन केन्द्र सरकार अपनी बात पर कायम है कि महाराष्ट्र से संबंधित मुख्य अपील में केन्द्र सरकार पक्षकार नहीं थी। न ही केन्द्र सरकार को पक्षकार बनाने के लिए कोर्ट ने अलग से कोई आदेश या नोटिस ही जारी किया था। सरकार का कहना है कि कोर्ट ने केन्द्रीय कानून की व्याख्या का मुद्दा शामिल होने के कारण अटार्नी जनरल को नोटिस जारी किया था।
इस मामले में बुधवार को कांग्रेस के आरोपों के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ये बात कही। हालांकि प्रसाद ने मामला कोर्ट में लंबित होने के कारण इस मुद्दे पर ज्यादा कुछ भी बोलने से इन्कार कर दिया। उन्होंने कहा कि सरकार की पुनर्विचार याचिका कोर्ट में लंबित है और सरकार एससीएसटी के अधिकारों के लिए वहां मजबूती से पक्ष रखेगी।
उधर इस मामले से जुड़े उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि यह मामला बहुत महत्वपूर्ण था इसलिए मुख्य मामले में सुनवाई के दौरान ही कोर्ट को न सिर्फ केन्द्र सरकार बल्कि सभी राज्य सरकारों को भी नोटिस जारी कर विस्तृत सुनवाई करनी चाहिए थी। सूत्रों का कहना है कि एससीएसटी पर अत्याचारों के मामले में राज्यों में दर्ज शिकायतों और उनके निस्तारण के आंकड़ों पर विचार किया जाना चाहिए था। संविधान में सिर्फ नागरिकों को अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार ही नहीं दिया गया है बल्कि अनुच्छेद 17 में एससीएसटी के अधिकारों को भी विशेषतौर पर संरक्षित किया गया है।
उनका यह भी कहना है कि ये आरोप सही नहीं हैं कि सरकार की ओर से मुख्य मामले में सुनवाई के दौरान एससीएसटी के हितों की बात नहीं रखी गई। कोर्ट में केन्द्र की ओर से दाखिल की गई लिखित दलीलों में साफ कहा गया था कि केन्द्र सरकार एससीएसटी कानून 1989 के प्रावधानों को सही मायने में प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। इतना ही नहीं सरकार इस कानून के तहत बने नियमों में 2015 में हुए संशोधनों को लागू करने के लिए भी सभी जरूरी उपाय करने के लिए प्रतिबद्ध है।