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रक्षा कर्मियों की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने के पक्ष में हैं चीफ आफ डिफेंस स्टाफ, जानें क्‍या कहा

चीफ आफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल विपिन रावत ने पेंशन के मद में हो रही वृद्धि के मसले से निपटने के लिए रक्षा कर्मियों के लिए सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाए जाने का सुझाव दिया है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sun, 02 Feb 2020 05:50 PM (IST)Updated: Mon, 03 Feb 2020 01:33 AM (IST)
रक्षा कर्मियों की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने के पक्ष में हैं चीफ आफ डिफेंस स्टाफ, जानें क्‍या कहा
रक्षा कर्मियों की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने के पक्ष में हैं चीफ आफ डिफेंस स्टाफ, जानें क्‍या कहा

नई दिल्ली, एएनआइ। चीफ आफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल विपिन रावत ने पेंशन के मद में हो रही वृद्धि के मसले से निपटने के लिए रक्षा कर्मियों के लिए सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाए जाने का सुझाव दिया है। सीडीएस रावत का बयान ऐसे समय आया है जब रक्षा बजट में वृद्धि को मामूली बताकर आलोचनाओं का दौर जारी है। माना जा रहा है कि आम बजट में रक्षा क्षेत्र के बजट में वृद्धि सेनाओं के आधुनिकीकरण के लिए पर्याप्त नहीं है। समाचार एजेंसी से बात करते हुए सीडीएस रावत ने कहा कि इस मामले में चिंता करने की जरूरत नहीं है। सेनाओं को फंड जुटाने के लिए अन्य संसाधनों की ओर रुख करना चाहिए। हम लोग अगर मेक इन इंडिया के सिद्धांत पर चलें तो हथियार व अन्य साजो-सामान जुटाने में पैसे की काफी बचत हो सकती है। सेना की जमीन पर घर बनाकर भी धन जुटाया जा सकता है।

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और धन की जरूरत होंने पर सरकार के पास जाएंगे

उन्होंने कहा कि हम अपनी रक्षा जरूरतों को प्राथमिकता के आधार पर सूचीबद्ध कर रहे हैं। अगर लगा कि हमें और धन की जरूरत है तो हम सरकार के पास यह मामला ले जाएंगे। उल्लेखनीय है इस बार के आम बजट में रक्षा क्षेत्र को 3.37 लाख करोड़ आवंटित किए गए हैं। पिछले बजट की तुलना में रक्षा बजट में छह फीसद वृद्धि की गई है, लेकिन विशेषज्ञ इसे अपर्याप्त बता रहे हैं। रक्षा बजट प्रबंधन के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि सेनाओं के संतुलित आधुनिकीकरण के लिए चीफ आफ डिफेंस स्टाफ की हैसियत से मेरी जिम्मेदारी रक्षा खरीद को प्राथमिकता के आधार पर निर्धारित करना है। बेहतर आर्थिक प्रबंधन के लिए साजो-सामान की खरीद चरणबद्ध ढंग से होगी। इस बाबत उपकरणों की मरम्मत और रखरखाव में लगने वाले समय को भी ध्यान में रखा जाएगा।

भारी-भरकम खरीद में कटौती शुरू

उन्होनें बताया कि सेनाओं ने अपनी प्रस्तावित भारी-भरकम खरीद में कटौती शुरू कर दी है। नौसेना 10 पीआई-81 विमान की जगह छह विमान ही खरीदने को तैयार हो गई है। इसी तरह पनडुब्बी रोधी हेलीकॉप्टर कामनोव-31 की खरीद में भी कटौती हुई है। उन्होंने कहा कि पेंशन मद 1.12 लाख करोड़ से बढ़कर 1.33 लाख करोड़ होना बहुत चिंताजनक है। इसे नियंत्रित करने के लिए मेरा सुझाव है कि सेना में जवानों और अधिकारियों की सेवानिवृत्ति बढ़ाई जाए। पेंशन प्रबंधन के लिए मैं इस मामले को बहुत तरजीह देने जा रहा हूं।

उल्लेखनीय है सातवां वेतनमान और वन रैंक वन पेंशन योजना लागू होने के बाद से पेंशन के मद में भारी भरकम वृद्धि हुई है। ऐसा अनुमान है कि यदि सेवानिवृत्ति आयु बढ़ती है तो सेना की विभिन्न कोर के चार लाख से अधिक जवानों पर असर पड़ेगा। सीडीएस रावत ने कहा कि यदि न्यू मोतीबाग मॉडल के आधार पर हम लोग रक्षा प्रतिष्ठानों की जमीन पर केंद्र व राज्य सरकारों के कर्मियों के लिए घर बनवाएं तो देश में करीब एक लाख तीस हजार आवास बना सकते हैं।

ये घर बनवा कर हम लोग सेनाओं के लिए संसाधन जुटा सकते हैं। उल्लेखनीय है देश की राजधानी के मोतीबाग इलाके में सेना की जमीन पर आवास बनवाकर केंद्र सरकार के अधिकारियों को उपलब्ध कराए गए हैं। सेना के इस प्रयास को न्यू मोतीबाग मॉडल के नाम जाना जाता है।

रक्षा बजट में की गई 6 फीसदी की वृद्धि

वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2020-21 के बजट में सुरक्षा को पुख्‍ता बनाने के मकसद से रक्षा क्षेत्र को मिलने वाले बजट में 6 फीसद की वृद्धि की है। इसको 2019-20 की तुलना में 3.18 लाख करोड़ से बढ़ाकर 3.37 लाख करोड़ किया गया है। बजट में सेना के आधुनिकीकरण और नए और अत्‍याधुनिक हथियारों की खरीद के लिए 1,10,734 करोड़ का आवंटन किया गया है। वर्ष 2019-20 में इस क्षेत्र के लिए दिए गए बजट से ये राशि अधिक है। इस बजट में यदि रक्षा पेंशन को भी जोड़ा जाए तो इस बार का ये बजट करीब 4.7 लाख करोड़ का है। इस बार रक्षा पेंशन के बजट को पिछले वर्ष की तुलना में 1.33 लाख करोड़ से बढ़ाकर 1.77 लाख करोड़ किया गया।

ज्ञात हो कि चीन की तुलना में भारत का रक्षा बजट काफी कम रहा है। चीन का रक्षा बजट भारत से तीन गुना ज्यादा है। वहीं भारत इस क्षेत्र पर जीडीपी का दो फीसद से भी कम खर्च करता है। हालांकि रक्षा जानकार हर बार रक्षा बजट को जीडीपी के तीन फीसद तक करने की मांग करते रहे हैं। इसकी वजह ये भी है कि अमेरिका जीडीपी का जहां 4 फीसद खर्च करता है वहीं चीन 2.5 और पाकिस्तान 3.5 प्रतिशत रक्षा क्षेत्र के लिए आवंटित करता है।


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