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व्यापम घोटाले में 30 दोषियों को सात साल और एक दोषी को 10 साल की सजा

मध्यप्रदेश के चर्चित व्‍यापम घोटाले में सीबीआइ की विशेष अदालत ने फैसला सुना दिया है। साल 2013 में में हुए पुलिस भर्ती घोटाले(व्यापम) के मामले में दोषियों को सजा सुना दी है।

By Tilak RajEdited By: Published: Mon, 25 Nov 2019 05:21 PM (IST)Updated: Mon, 25 Nov 2019 05:29 PM (IST)
व्यापम घोटाले में 30 दोषियों को सात साल और एक दोषी को 10 साल की सजा

भोपाल, एएनआइ। मध्यप्रदेश के चर्चित व्‍यापम घोटाले में सीबीआइ की विशेष अदालत ने फैसला सुना दिया है। साल 2013 में में हुए पुलिस भर्ती घोटाले के मामले में दोषियों को सजा सुना दी है। इस घोटाले में 30 दोषियों को सात साल और एक दोषी को 10 साल की सजा सुनाई गई है। सभी आरोपियों को सीबीआ कोर्ट ने 21 नवंबर को दोषी करार दिया था, इसके बाद फैसला सुरक्षित रख लिया गया था। बता दें कि व्‍यापम घोटाले के आरोप तत्‍कालीन सरकार के कई मंत्रियों पर भी लगे थे।

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2013 में हुआ भर्ती घोटाला

मध्य प्रदेश में व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम) द्वारा आयोजित पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा 2013 में हुए घोटाले में 31 आरोपितों को भोपाल की विशेष सीबीआइ अदालत ने दोषी पाया था। कोर्ट के आदेश के बाद सभी दोषियों को न्यायिक हिरासत में ले लिया गया था। अब इन्हें सजा सुनाई गई है। मामले की सुनवाई सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश एसबी साहू की कोर्ट में हुई।

ऐसे हुई पूरी जांच

व्यापम द्वारा आयोजित पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा की जांच एसटीएफ कर रही थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर यह मामला दिसंबर 2015 में सीबीआइ को ट्रांसफर कर दिया गया था। सीबीआइ ने जांच के आधार पर भोपाल की विशेष अदालत में अप्रैल 2017 में चालान पेश किया था। जिनके खिलाफ चालान पेश किया गया था, उनमें 12 उम्मीदवारों व उनके स्थान पर शामिल होने वाले 12 फर्जी उम्मीदवारों सहित इनकी व्यवस्था करने वाले दलाल शामिल थे। सीबीआइ ने इनके खिलाफ फर्जीवाड़ा, धोखाधड़ी सहित अन्य धाराओं में मामला दर्ज किया था।

ऐसे खुला मामला

व्यापम की पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा में दलालों ने असली उम्मीदवारों से संपर्क किया था। दलालों ने कहा था कि उनके स्थान पर वे फर्जी उम्मीदवारों को शामिल कराएंगे, जिससे उनका चयन सुनिश्चित हो जाएगा। इसके एवज में असली उम्मीदवार से दो लाख रुपये तक की राशि ली गई। परीक्षा देने के एवज में फर्जी उम्मीदवारों को 50 हजार रुपये तक दिए गए। इसके बाद असली उम्मीदवारों के स्थान पर फर्जी उम्मीदवारों ने परीक्षा दी थी। इसके लिए फर्जी तरीके से प्रवेश पत्र तक तैयार किए गए थे। एसटीएफ को मुखबिर के जरिये इस फर्जीवाड़े की जानकारी मिली थी। एसटीएफ की जांच में फर्जीवाड़ा सही पाया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने 11 सितंबर, 2015 को सीबीआइ से कहा था कि सभी व्यापम मामलों की जांच संभालें। इन मामलों में एसआइटी और एसटीएफ उसका सहयोग करेगी।


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