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Saradha Case: सीबीआइ का दावा राजीव कुमार के खिलाफ मिला है ठोस सुबूत

सीबीआइ ने दावा किया है कि उसे वरिष्ठ आइपीएस अफसर व कोलकाता के पूर्व पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार के खिलाफ ठोस सुबूत हाथ लगा है।

By Prateek KumarEdited By: Published: Sat, 18 May 2019 11:16 PM (IST)Updated: Sat, 18 May 2019 11:16 PM (IST)
Saradha Case: सीबीआइ का दावा राजीव कुमार के खिलाफ मिला है ठोस सुबूत
Saradha Case: सीबीआइ का दावा राजीव कुमार के खिलाफ मिला है ठोस सुबूत

कोलकाता [जेएनएन]। सीबीआइ ने दावा किया है कि उसे वरिष्ठ आइपीएस अफसर व कोलकाता के पूर्व पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार के खिलाफ ठोस सुबूत हाथ लगा है। उसने राजीव कुमार और सारधा समूह के एक कर्मचारी के बीच पांच कॉल का पता लगाया है। यह कर्मचारी चिटफंड घोटाले के मास्टरमाइंड सुदीप्त सेन को सीधे सूचना देता था। बताया गया है कि कुमार की गिरफ्तारी पर लगी रोक सुप्रीम कोर्ट ने उक्त सुबूत मिलने के बाद हटा दी थी।

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सीबीआइ के एक शीर्ष अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि एजेंसी के जांचकर्ता यह सिद्ध करने से अब कुछ ही दूर हैं कि पूर्व पुलिस कमिश्नर मामले में सुबूतों के साथ छेड़छाड़ करने में लिप्त थे। उक्त कॉल्स तब की हैं, जब राजीव कुमार बिधाननगर के पुलिस आयुक्त थे और साल 2013 में कई करोड़ का पोंजी घोटाला सामने आया था। हालांकि, सीबीआइ अधिकारी ने यह नहीं बताया कि राजीव कुमार के विशेष जांच दल के प्रमुख बनने के बाद की कॉल्स हैं या पहले की।

सीबीआइ अधिकारी ने बताया कि शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राजीव कुमार की गिरफ्तारी से सुरक्षा सात दिनों में यानी 24 मई को समाप्त हो जाएगी। उन्होंने बताया कि एजेंसी ने इस बात पर पहले ही विचार करना शुरू कर दिया है कि राजीव को कब गिरफ्तार किया जाए, क्योंकि हिरासत में पूछताछ कई राज खोलेगी।

अधिकारी के मुताबिक राजीव की गिरफ्तारी का समय अब नजदीक है। एक अन्य सीबीआइ अधिकारी ने बताया कि एजेंसी के पास मौजूद सुबूत न केवल राजीव कुमार को गिरफ्तार करने के लिए काफी हैं बल्कि उन्हें दोषी ठहराने के लिए भी पर्याप्त हैं।

गौरतलब है कि यह घोटाला और राजीव कुमार की कथित भागीदारी का मामला एक प्रमुख राजनीतिक मुद्दा बना है। भाजपा कह रही है कि तृणमूल कांग्रेस के कई नेता इसमें मिले हुए है, वहीं तृणमूल कांग्रेस का कहना है कि भाजपा अपने राजनीतिक फायदे के लिए सीबीआइ का इस्तेमाल कर रही है। कभी तृलमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी के खास रहे मुकुल रॉय की इस मामले में संलिप्तता की बात उठी थी, लेकिन उन्होंने पार्टी का दामन छोड़ भाजपा की सदस्यता ले ली।

इसलिए हिरासत में लेना जरूरी
बकौल सीबीआइ अधिकारी राजीव कुमार किसे क्या बता रहे थे और घोटाले के आरोपितों से उनके क्या संबंध हैं, यह जानने के लिए उनको हिरासत में लेकर पूछताछ करना जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर फरवरी में शिलांग में हुई पूछताछ के दौरान उन्होंने सहायता नहीं की थी।

चुनाव आयोग ने किया तबादला, उठे सवाल
इस सप्ताह की शुरुआत में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की एक रैली के दौरान हिंसा के बाद राजीव कुमार को गृह मंत्रालय में स्थानांतरित कर दिया था। उनके तबादले के चुनाव आयोग के फैसले से भी तृणमूल और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी खुश नहीं हैं। ममता दावा कर रही हैं कि चुनाव आयोग मोदी सरकार के इशारे पर काम कर रहा है।

सुप्रीम कोर्ट में की थी शिकायत
सुप्रीम कोर्ट द्वारा हस्तक्षेप करने के बाद वोडाफोन और एयरटेल ने सीबीआइ के साथ सुदीप्त सेन और देबजानी मुखर्जी से संबंधित पांच नंबरों की विस्तृत कॉल डिटेल की जानकारी साझा की थी। एजेंसी ने अदालत में कहा था कि बंगाल पुलिस और टेलीकॉम कंपनियां मामले में सहायता नहीं कर रही थीं और अदालत के आदेश के बावजूद सीमित कॉल डिटेल रिकॉर्ड साझा कर रही थीं।

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