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राजा व कनीमोरी को बरी करने के फैसले को सीबीआइ ने हाई कोर्ट में चुनौती दी

एडिशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की तरफ से दायर याचिका पर बुधवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल व न्यायमूर्ति सी. हरिशंकर की पीठ के समक्ष सुनवाई होगी।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Tue, 20 Mar 2018 07:59 PM (IST)Updated: Tue, 20 Mar 2018 07:59 PM (IST)
राजा व कनीमोरी को बरी करने के फैसले को सीबीआइ ने हाई कोर्ट में चुनौती दी
राजा व कनीमोरी को बरी करने के फैसले को सीबीआइ ने हाई कोर्ट में चुनौती दी

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले में पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा व डीएमके प्रमुख एम. करुणानिधि की बेटी कनीमोरी सहित अन्य 19 आरोपितों को बरी करने के निचली अदालत के फैसले सीबीआइ ने भी हाई कोर्ट में चुनौती दी है। बता दें कि सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी थी।

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एडिशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की तरफ से दायर याचिका पर बुधवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल व न्यायमूर्ति सी. हरिशंकर की पीठ के समक्ष सुनवाई होगी। ईडी ने सोमवार को 2जी स्पेक्ट्रम से जुड़े मनी लांड्रिंग मामले में निचली अदालत के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।

गौरतलब है कि पटियाला हाउस कोर्ट स्थित विशेष अदालत ने यह कहते हुए सभी 19 आरोपितों को इस मामले से बरी कर दिया था कि उनके खिलाफ पर्याप्त सुबूत नहीं हैं। संप्रग सरकार के दौरान 2008 में दूरसंचार विभाग द्वारा 2जी स्पेक्ट्रम के लाइसेंस आवंटन में कथित तौर पर भ्रष्टाचार हुआ था। 2010 में कैग की रिपोर्ट में इसका पर्दाफाश हुआ। कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि टेलीकॉम कंपनियों को कौडि़यों के भाव 2जी लाइसेंस बांटे गए। इससे सरकारी खजाने को 1.76 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। इस घोटाले की जांच सीबीआइ और ईडी ने की थी।


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