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रोटोमैक मामला: पूछताछ के बाद मालिक विक्रम कोठारी और बेटा राहुल गिरफ्तार

3,695 करोड़ रुपये के लोन डिफॉल्ट मामले में सीबीआई ने विक्रम और राहुल से चौथे दिन भी पूछताछ की, जिसके बाद इन दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया।

By Manish NegiEdited By: Published: Thu, 22 Feb 2018 08:43 PM (IST)Updated: Fri, 23 Feb 2018 07:15 AM (IST)
रोटोमैक मामला: पूछताछ के बाद मालिक विक्रम कोठारी और बेटा राहुल गिरफ्तार
रोटोमैक मामला: पूछताछ के बाद मालिक विक्रम कोठारी और बेटा राहुल गिरफ्तार

नई दिल्ली, एएनआई। पीएनबी घोटाले के बाद सीबीआई ने रोटोमैक स्कैम में बड़ी कार्रवाई की है। चार दिन की पूछताछ के बाद सीबीआई ने दिल्ली में रोटोमैक कंपनी के मालिक विक्रम कोठारी और उनके बेटे राहुल कोठारी को गिरफ्तार कर लिया है। 3,695 करोड़ रुपये के लोन डिफॉल्ट मामले में सीबीआई ने विक्रम और राहुल से चौथे दिन गुरुवार को भी पूछताछ की।

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सीबीआइ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि छापे के दौरान मिले दस्तावेजों को सामने रखकर दोनों आरोपियों से पूछताछ गई, लेकिन बैंकों से लिए गए करोड़ों रुपये के लिए दिये गए दस्तावेजों को सही साबित करने में विफल रहे। पूछताछ से साफ हो गया कि निर्यात और आयात के फर्जी दस्तावेजों से सहारे कोठारी बाप-बेटे ने बैंकों से 2919 करोड़ रुपये लिये। लेकिन, असली आयात और निर्यात के बजाय विभिन्न कंपनियों के मार्फत इस पैसे को घुमाते हुए अपने पास रख लिया। इसके लिए मुखौटा कंपनियों का इस्तेमाल किया गया था। सीबीआइ इन मुखौटा कंपनियों और इस काम में मदद करने वाले अन्य कंपनियों की जांच कर रही है।

गौरतलब है कि बैंक आफ बड़ौदा ने सीबीआइ को कोठारी परिवार के खिलाफ फर्जी दस्तावेजों के आधार पर लोन लेने और उन्हें नहीं चुकाने की शिकायत की थी। इसी शिकायत के आधार पर सीबीआइ ने एफआइआर दर्ज कोठारी के कानपुर स्थित ठिकानों पर छापा मारा था। शुरूआती अनुमान सिर्फ 800 करोड़ रुपये के घोटाले का था। लेकिन बाद में पता चला कि कोठारी ने सात बैंकों के कंसोर्टियम से 2919 करोड़ रुपये से चुका है और ब्याज समेत यह देनदारी बढ़कर 3695 करोड़ रुपये हो गई है। सीबीआइ की एफआइआर में विक्रम कोठारी, बेटे राहुल कोठारी और पत्नी साधना कोठारी के साथ ही बैंकों के अज्ञात अधिकारियों को भी आरोपी बनाया गया है। सीबीआइ के साथ ही ईडी ने भी इस मामले की मनी लांड्रिंग के तहत केस दर्ज जांच शुरू कर चुकी है। सीबीआइ के छापे में ईडी की टीम भी शामिल थी। मंगलवार को ईडी ने देश से सभी आव्रजन केंद्रों को विक्रम, राहुल और साधना कोठारी के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी कर दिया है। ताकि वे देश छोड़कर भाग नहीं सकें।

दिल्ली से हुई गिरफ्तारी

विक्रम कोठारी और उनके बेटे राहुल को हिरासत में लेकर सीबीआई के साथ ईडी की टीमें मंगलवार को दिल्ली ले आई थी। इनके साथ सीबीआई तीन गाड़ियों में कई अहम दस्तावेज भी लेकर आई थी। बैंकों के कंसोर्टियम से 3,695 करोड रुपए का लोन लेने वाले विक्रम कोठारी व राहुल कोठारी को सीबीआई और ईडी के संयुक्त जांच दल ने काफी पड़ताल के बाद हिरासत में ले लिया था। 

रिजर्व बैंक के निर्देश पर कार्रवाई

बैंकों का आरोप था कि विक्रम कोठारी ने कथित तौर पर न लोन की रकम लौटाई और न ही ब्याज दिया। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के दिशा-निर्देशों पर एक आधिकारिक जांच कमेटी गठित की गई। कमेटी ने 27 फरवरी 2017 को रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लि. को विलफुल डिफॉल्टर (जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वाला) घोषित कर दिया। कमेटी ने लीड बैंक की पहल पर यह आदेश पारित किया था। इसके बाद कार्रवाई हो रही है। विक्रम कोठारी ने रियल एस्टेट सेक्टर में भी साझेदारों के साथ मिलकर निवेश किया है। विक्रम की गिरफ्तारी होने के बाद से उनके साझीदारों में खलबली मची है। कानपुर के कई रियल एस्टेट के प्रोजेक्ट में विक्रम कोठारी का पैसा लगा हुआ है।

गुटखा किंग के टाइटल से मशहूर विक्रम

उत्तर प्रदेश के कानपुर के रहने वाले विक्रम कोठारी 'रोटोमैक ग्लोबल' के सीएमडी हैं। जो स्टेशनरी के व्यापार की नामी कंपनी है। विक्रम कोठरी ने ही वर्ष 1992 में रोटोमैक ब्रांड शुरू किया था, जो भारत में एक नामी ब्रांड बन चुका है। विक्रम कोठारी मशहूर उद्योगपति मनसुख भाई कोठारी के बेटे हैं। जिन्होंने पान पराग नाम के गुटखा ब्रांड की शुरुआत की थी। मनसुख भाई के बाद उनके पुत्र विक्रम ने यह काम संभाला। पान पराग की मार्केटिंग के कारण विक्रम कोठारी को अवॉर्ड्स मिले। कानपुर के गुटखा किंग का टाइटल भी उन्हें पान पराग के कारण ही मिला। प्रॉपर्टी में विवाद के बाद विक्रम और उनके भाई दीपक कोठारी के बीच बंटवारा हो गया। जिसमें 1973 में बने पान पराग गुटखा को सफलतम ऊंचाईयों तक पहुंचाने के बाद को यह ब्रांड विक्रम कोठारी के भाई दीपक कोठारी के हिस्से में चला गया। जबकि विक्रम कोठारी के हिस्से में स्टेशनरी का व्यापार आ गया।


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