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Bribery Case in Cbi : सीबीआइ ने रिश्वतखोरी में अपने डीएसपी और इंस्पेक्टर को किया गिरफ्तार

अधिकारियों ने कहा कि एजेंसी ने सहारनपुर में ऋषि के मकान और रुड़की में उनकी पत्नी के मकान पर भी छापेमारी की। सीबीआइ ने ऋषि धनखड़ और अधिवक्ता मनोहर मलिक के साथ पुलिस उपाधीक्षक आरके सांगवान और एक अन्य वकील अरविंद कुमार गुप्ता के खिलाफ मामला दर्ज किया था।

By Arun kumar SinghEdited By: Published: Wed, 20 Jan 2021 08:29 PM (IST)Updated: Wed, 20 Jan 2021 08:29 PM (IST)
रिश्वतखोर अधिकारियों के खिलाफ अभियान चलाने वाली

नई दिल्ली, प्रेट्र। रिश्वतखोर अधिकारियों के खिलाफ अभियान चलाने वाली केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआइ ने अब अपने ही दो अधिकारियों को लाखों रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया है। सीबीआइ ने 4300 करोड़ रुपये की बैंक ऋण धोखाधड़ी मामले की आरोपित कंपनियों की मदद के लिए कथित तौर पर एजेंसी के अंदर ही घूसखोरी रैकेट के आरोप में अपने एक पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) आरके ऋषि और निरीक्षक (इंस्पेक्टर) कपिल धनखड़ के साथ एक वकील को भी गिरफ्तार किया है। 

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सहारनपुर और रुड़की में ऋषि और उनकी पत्नी के मकान पर छापेमारी

अधिकारियों ने कहा कि एजेंसी ने उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में ऋषि के मकान और रुड़की में उनकी पत्नी के मकान पर भी छापेमारी की है। सीबीआइ ने ऋषि, धनखड़ और अधिवक्ता मनोहर मलिक के साथ पुलिस उपाधीक्षक आरके सांगवान और एक अन्य वकील अरविंद कुमार गुप्ता के खिलाफ मामला दर्ज किया था। इन लोगों पर कथित रूप से आर्थिक  फायदे के लिए कुछ मामलों में जांच की सत्यनिष्ठा से समझौता करने का मामला दर्ज किया गया था। घूसखोरी के सिलसिले में दर्ज प्राथमिकी में श्री श्याम पल्प और बोर्ड मिल्स की अतिरिक्त निदेशक मनदीप कौर ढिल्लो और फ्रॉस्ट इंटरनेशनल के निदेशक सुजय देसाई व उदय देसाई का भी नाम है। 

दो सीबीआइ अफसरों पर लाखों रुपये की रिश्वत लेने का आरोप

भारतीय स्टेट बैंक में प्रबंधक धनखड़ प्रतिनियुक्ति पर जांच एजेंसी में निरीक्षक के तौर पर आया था। आरोप है कि धनखड़ ने ऋषि और सांगवान के साथ सांठगांठ की और 700 करोड़ रुपये की बैंक ऋण धोखाधड़ी में जांच का सामना कर रही श्री श्याम पल्प और 3600 करोड़ रुपये की कर्ज धोखाधड़ी में जांच का सामना कर रही फ्रॉस्ट इंटरनेशनल को मामले से संबंधित अहम जानकारियां देने के बदले नियमित तौर पर रकम प्राप्त कीं। 

सांगवान व ऋषि से कम से कम 10-10 लाख रुपये प्राप्त हुए

प्राथमिकी दर्ज होने के बाद एक अधिकारी ने कहा, 'भ्रष्टाचार को लेकर सीबीआइ की कतई बर्दाश्त न करने की नीति रही है फिर चाहे वह अन्य विभागों में हो या एजेंसी के अंदर। यह मामला सख्त निगरानी और हमारे अधिकारियों के भ्रष्ट आचरण में शामिल होने का संकेत देने वाली किसी भी जानकारी पर कार्रवाई का नतीजा है।' धनखड़ पर अपने वरिष्ठों सांगवान व ऋषि से कम से कम 10-10 लाख रुपये लेने का आरोप है। दोनों वरिष्ठ अधिकारी क्रमश: श्री श्याम पल्प और बोर्ड मिल्स तथा फ्रॉस्ट इंटरनेशनल का पक्ष ले रहे थे।

कंपनी को फायदा पहुंचाने के बदले दो बार 15 लाख रुपये मिले 

प्राथमिकी में आरोप लगाया गया कि उपाधीक्षक ऋषि को चंडीगढ़ स्थित कंपनी को फायदा पहुंचाने के बदले अधिवक्ता मलिक और गुप्ता के जरिये दो बार 15 लाख रुपये की रकम मिली। कंपनी के खिलाफ सीबीआइ द्वारा भ्रष्टाचार के मामले की जांच की जा रही थी। ऋषि के जरिये सौदा करवाने के बदले धनखड़ को गुप्ता से दो बार ढाई लाख रुपये मिले। कई अन्य जानकारियां व नोट भी आरोपितों के साथ साझा किये जाने का आरोप है।


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