Landslide Tragedy में मारे गए 19 लोगों के परिवार न्याय को तरसे, 35 साल बाद भी जख्म ताजा
Carmichael Hill पर 35 साल पहले हुए लैंड स्लाइड हादसे में मारे गए 19 लोगों के परिवारिक सदस्य अभी तक न्याय का इंतजार कर रहे हैं।
मुंबई, जागरण संवाददाता। Carmichael Hill पर 35 साल पहले हुए लैंड स्लाइड हादसे में मारे गए 19 लोगों के परिवारिक सदस्य अभी तक न्याय का इंतजार कर रहे हैं। हादसे में अपने 7 पारिवारिक सदस्यों को खोने वाले अरविंद बोरिचा न्याय की आस में अब तक 20 लाख से अधिक रुपये खर्च कर चुके हैं, लेकिन सेशन कोर्ट ने हाल ही में उनके मामले को निरस्त कर दिया। सेशन कोर्ट का कहना था कि अरविंद बोरिचा ने BMC को नोटिस देने की बजाय सीधे हाइकोर्ट में केस फाइल किया था।
वहीं, अरविंद बोरिचा ने भी इस मामले में अपनी चूक हो माना और कहा कि कानून का ज्ञान न होने के कारण वे बीएमसी को नोटिस नहीं भेज पाए, अब उन्हें दोबारा से उच्च न्यायालय में नया आवेदन दायर करना होगा और इस छोटी सी गलती पर फिर से अपील करने पर उनका केस शुरू होगा।
गौरतलब है कि लैंड स्लाइड का हादसा 25 जून 1985 को उस समय हुआ, जब मूसलाधार बारिश के कारण कार्मिकेल रोड पर स्थित उषा किरण इमारत के पास पहाड़ी का हिस्सा टूट कर गिरा। कमरों की टिन की छतें भूस्खलन को झेल नहीं सकीं थीं और अंदर धंस गई थीं। इसी में 750-800 वर्ग फुट का घर नष्ट हो गया था। MP Mills Compound की रिहायश में ज्यादा पानी आने व कीचड़ में धंसने से 19 लोगों की मौत हो गई थी।
हमेशा के लिए खो दिया पूरा परिवार
हादसे की दर्दरात रात को याद करते हुए अरविंद बोरिचा ने बताया कि 1985 में उनकी उम्र 19 साल थी। हादसे में उन्होंने अपनी माँ, भाई, दो बहनें, (बड़ी और छोटी) और बड़ी बहन के तीन बच्चों को हमेशा के लिए खो दिया। हादसे के वक्त उनके परिजन कमरे में सो रहे थे, इतने में उषाकिरण बिल्डिंग के स्वीमिंग पूल की दीवार गिरने के साथ ही बीएमसी की दीवार चाल के उपर आ गिरी। हादसे में वह और उसके पिता इसलिए बच गए, क्योंकि टाइफाइड से पीड़ित होने के कारण वह अस्पताल में भर्ती था और उसके पिता उसे चाय देने अस्पताल आए थे। हादसे में उनके पड़ोस में रहने वाली बीएमसी स्कूल की सेवानिवृत्त शिक्षिका विधवा मनिबेन मकवाना एवं उसके परिजनों की भी मौत हो गई।
आरटीआई के अनुसार अवैध थी स्वीमिंग पूल की दीवार
अरविंद बोरिचा ने बताया कि हादसे के बाद 1988 में उसने उषा किरण भवन, बीएमसी के खिलाफ नुकसान की क्षतिपूर्ति और पुलिस विभाग के खिलाफ कार्रवाई न करने पर मामला दर्ज करवाया। उधर, आरटीआई के अनुसार इमारत में बनाया स्वीमिंग पूल की दीवार अवैध थी। वे न्याय की आस में पिछले 35 साल में अब तक 20 लाख से अधिक रुपये खर्च कर चुके हैं। मौजदा समय में वह वह अपने परिवार के साथ अब विरार में रह रहे हैं।
सत्र न्यायालय ने मामला किया निरस्त
सितंबर 2012 में उच्च न्यायालय ने मामले को सेशन कोर्ट में स्थानांतरित कर दिया और हाल ही में सेशन कोर्ट ने ये कहते हुए मामले को निरस्त कर दिया ये हादसा बिल्डिंग में बन रहे स्वीमिंग पूल की अवैध दीवार की वजह से हुआ, जिसकी जिम्मेदारी सोसायटी के जिम्मेदार लोगों की थी। एमएमसी एक्ट की धारा 527 और एमसीएस की धारा 164 के अनुसार दोनों को नोटिस दिए जाना चाहिए था, लेकिन पीड़ित पक्ष बीएमसी को नोटिस देने की बजाय मामले को हाईकोर्ट में ले गया।
कब्जा दे दिया होता तो शायद बच जाते
बोरिचा ने आगे कहा, बीएमसी की साइट पर एक पांच मंजिला इमारत थी, जोकि चाल निवासियों के रहने के लिए बनाई गई थी। हालांकि कुछ विवाद के चलते चाल वासियों को वहां रहने की इजाजत नहीं मिली थी। अगर हमें उस समय कब्जा दे दिया गया होता, तो शायद इस त्रासदी से बचा जा सकता था।