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कार्बन आफसेटिंग जलवायु परिवर्तन के खतरे से निपटने की दिशा में प्रभावी कदम

कार्बन आफसेटिंग को लेकर कुछ आशंकाएं भी जताई जाती हैं। सबसे बड़ी आशंका यह है कि आफसेटिंग के नाम पर उत्सर्जन कम करने के लिए हुए करार पर अपेक्षाकृत कदम न बढ़ाया जाए। कुछ विशेषज्ञ इसे बड़ी कंपनियों को उत्सर्जन कम नहीं करने का बहाना देने जैसा भी मानते हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 13 Oct 2021 01:04 PM (IST)Updated: Wed, 13 Oct 2021 01:04 PM (IST)
कार्बन उत्सर्जन की समस्या से निपटने की दिशा में यह एक प्रभावी कदम हो सकता है।

नई दिल्‍ली, प्रेट्र। जलवायु परिवर्तन से निपटने के कदम के तौर पर हाल के दिनों में कार्बन आफसेटिंग का जिक्र बड़े स्तर पर सामने आया है। जानकारों का कहना है कि कार्बन उत्सर्जन की समस्या से निपटने की दिशा में यह एक प्रभावी कदम हो सकता है। आस्ट्रेलियाई थिंक टैंक ग्राटन इंस्टीट्यूट के एलिसन रीव ने इससे जुड़ी कुछ अहम जानकारियां दी हैं।

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ऐसे काम करती है व्यवस्था : कार्बन आफसेटिंग की व्यवस्था ऐसी कंपनियों के लिए किसी वरदान जैसी है, जिनके परिचालन में कार्बन उत्सर्जन होता है और उसे कम करने का कोई बेहतर विकल्प उनके पास नहीं है। ऐसी कंपनियां अपने कार्बन उत्सर्जन के बदले किसी अन्य कंपनी या संस्थान से करार कर सकती हैं। इसके तहत दूसरी कंपनी को कार्बन उत्सर्जन कम करने में मदद की जाती है। उन्हें नकदी या तकनीक के स्तर पर सहायता पहुंचाई जाती है। कुछ कंपनियां कार्बन आफसेटिंग के तौर पर किसी जमीन के मालिक को पेड़ लगाने का जिम्मा भी देती हैं।

कुछ आशंकाएं भी : कार्बन आफसेटिंग को लेकर कुछ आशंकाएं भी जताई जाती हैं। सबसे बड़ी आशंका यह है कि आफसेटिंग के नाम पर उत्सर्जन कम करने के लिए हुए करार पर अपेक्षाकृत कदम न बढ़ाया जाए। उदाहरण के तौर पर, किसी कंपनी ने अपने उत्सर्जन के बदले किसी जमीन के मालिक को 1,000 पेड़ लगाने की जिम्मेदारी दी, लेकिन निगरानी में कमी या अन्य किसी कारण से ऐसा हो नहीं पाया। यदि इस तरह के ज्यादा मामले हुए तो कागजों पर तो उत्सर्जन की समस्या हल होती नजर आएगी, लेकिन वास्तविकता में समस्या जस की तस बनी रहेगी। कुछ विशेषज्ञ इसे बड़ी कंपनियों को उत्सर्जन कम नहीं करने का बहाना देने जैसा भी मानते हैं।

किफायती और प्रभावी कदम : विशेषज्ञ कार्बन आफसेटिंग को जलवायु परिवर्तन के खतरे से निपटने की दिशा में सस्ता और प्रभावी कदम मानते हैं। कार्बन उत्सर्जन में कटौती का बहुत महंगा रास्ता अपनाना हर कंपनी के लिए संभव नहीं हो पाता है। ऐसे में वह कंपनी किसी अन्य को सस्ते विकल्प के जरिये उत्सर्जन कम करने के लिए प्रोत्साहित कर सकती है। अपने लिए सस्ती तकनीक आने पर वह स्वयं भी उत्सर्जन कम करने की दिशा में कदम बढ़ा सकती है।


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