बच्चे को स्कूल नहीं भेजा तो चुनाव नहीं लड़ सकते
एनसीपीसीआर के सदस्य (आरटीई और शिक्षा) प्रियांक कानूनगो ने कहा कि हमने इस संबंध में राज्य सरकारों से स्थानीय निकाय और पंचायती राज संस्थानों के चुनावों के नियमों में संशोधन करने
नई दिल्ली, प्रेट्र : राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने बच्चों की शिक्षा के संबंध में महत्वपूर्ण पहल की है। उसने सभी राज्य सरकारों से ऐसे उम्मीदवारों को स्थानीय निकाय और पंचायती राज चुनावों के लिए अयोग्य घोषित करने को कहा है जो अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजते।
बाल अधिकार की शीर्ष संस्था की सिफारिश के मुताबिक, उम्मीदवार के लिए बच्चे के दाखिले और उसकी नियमित हाजिरी का स्कूल से प्रमाणपत्र पेश करना अनिवार्य होना चाहिए। ऐसा केवल उन उम्मीदवारों के लिए होगा जिनके छह से 14 साल की उम्र के बच्चे हों।
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एनसीपीसीआर के सदस्य (आरटीई और शिक्षा) प्रियांक कानूनगो ने कहा कि हमने इस संबंध में राज्य सरकारों से स्थानीय निकाय और पंचायती राज संस्थानों के चुनावों के नियमों में संशोधन करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि यह सुझाव संविधान के 86वें संशोधन से लिया गया है। जिसमें अनुच्छेद 21 ए जोड़ा गया है और शिक्षा को मौलिक अधिकार तथा शिक्षा का अधिकार (आरटीई) कानून, 2009 बनाया गया है।
कानूनगो ने कहा कि यह सुझाव स्कूल छोड़ चुके बच्चों को फिर से स्कूल भेजने और स्कूल छोड़ने से रोकने को लेकर एनसीपीसीआर की सिफारिशों का हिस्सा हैं। ये सिफारिशें मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्रालय के केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (केब) की उपसमिति के समक्ष रखी गई हैं।
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