कैग ने फ्लेक्सी किराये पर की रेलवे की खिंचाई, कहा- 7 लाख यात्रियों की संख्या कम हुई
राजधानी शताब्दी और दुरंतो जैसी प्रीमियम ट्रेनों में फ्लेक्सी फेयर लागू से करीब 7 लाख मुसाफिर दूर भाग गए।
नई दिल्ली (ब्यूरो)। भारत के नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (कैग) ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट में फ्लेक्सी फेयर स्कीम के लिए रेलवे की खिंचाई की है। कैग का कहना है कि राजधानी शताब्दी और दुरंतो जैसी प्रीमियम ट्रेनों में फ्लेक्सी फेयर लागू से करीब 7 लाख मुसाफिर दूर भाग गए। इससे थर्ड एसी समेत सभी श्रेणियों में सीटें खाली रहने लगीं।
कई ट्रेनों में कम हुई यात्रियों की संख्या
कैग के अनुसार सितंबर, 2016 में फ्लेक्सी किराया लागू होने के बाद केवल कुछ राजधानी, शताब्दी और दुरंतो ट्रेनों में ही यात्रियों की संख्या बढ़ी। बाकी में कमी आ गई। यहां तक कि सर्वाधिक लाभप्रद श्रेणी थर्ड एसी में भी यात्रियों की संख्या में काफी गिरावट देखने में आई है। पहले जहां थर्ड एसी में मात्र 0.66 फीसद बर्थे/सीटें खाली रहती थीं, वहीं फ्लेक्सी के बाद 4.46 फीसद बर्थे/सीटें खाली रहने लगीं।
मेल व एक्सप्रेस ट्रेनों पर लोड बढ़ा
कैग के अनुसार राजधानी में फ्लेक्सी के बाद 2एसी की 17 फीसद, जबकि 3एसी की 5 फीसदी सीटें खाली रहने लगीं। शताब्दी में तो पूरी 25 फीसदी सीटें यात्रीविहीन रहने लगी। जबकि सामान्य मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों पर लोड बढ़ गया है।
विमान यात्रा सस्ती
फ्लेक्सी किरायों के कारण ट्रेन से चलने वाले अनेक यात्री विमान से सफर करने लगे। क्योंकि ट्रेन के फ्लेक्सी किरायों के मुकाबले हवाई किराये सस्ते हैं। चार माह पहले टिकट बुक कराने पर 17 दिशाओं में हवाई यात्रा ट्रेन से सस्ती है। जबकि बाकी नौ दिशाओं में भी हवाई किराया महज 600 रुपये ज्यादा है। यदि तीन महीने पहले टिकट बुक कराएं तो 18 दिशाओं में, दो महीने पहले टिकट लेने पर 19 दिशाओं में और एक महीने पहले लेने पर 17 दिशाओं में हवाई यात्रा ट्रेन से सस्ती पड़ती है।
किराया तर्कसंगत करने की सलाह
कैग ने रेलवे को मांग और यात्रियों की संख्या के आधार पर किराये पर विचार करने की सलाह दी है, ताकि उसकी कमाई और यात्री बढ़े। प्रीमियम ट्रेनों, जिनका किराया पहले से ही ज्यादा है, उसे तर्कसंगत करे। कम से कम 50 फीसदी सीटों पर फ्लेक्सी किराया लागू नहीं होना चाहिए। अभी केवल 10 फीसदी सीटों पर यह छूट है। प्रतीक्षा सूची के टिकट वाले यात्रियों को फ्लेक्सी किराये में राहत दी जाए।
तत्काल की सीटें भी खाली
कैग के अनुसार प्रीमियम ट्रेनों में तत्काल योजना लागू होने से सितंबर 2015 से जुलाई 2016 की ग्यारह महीनों की अवधि में राजधानी ,दुरंतो और शताब्दी एक्सप्रेस के 2ए, 3ए और सीसी क्लास में 5 से 27 फीसदी सीटें खाली रहीं। सिर्फ दुरंतो के स्लीपर क्लास में सभी बर्थे भरी जा सकीं। कैग ने सवाल किया है कि अगर तत्काल योजना के तहत 30 फीसदी सीटें इस्तेमाल करने में रेलवे सक्षम नहीं थी तो 40 से 50 फीसदी बढ़े किराए के साथ फ्लेक्सी फेयर के तहत 90 फीसदी सीटों को आवंटित करने का क्या औचित्य था?
कमाई हुई पर घटी यात्रियों की संख्या
रेलवे को फ्लेक्सी किरायों से 9 सितंबर, 2016 से 31 जुलाई, 2017 के दौरान 552 करोड़ रुपये की कमाई हुई। लेकिन यात्रियों की संख्या 2,47,36,469 से 2.65 फीसद घटकर 2,40,79899 रह गई।