बिल्डरों से नुकसान की वसूली नहीं होने के कारण NHAI को हुआ 4 सौ करोड़ का घाटा : CAG
वर्तमान रिपोर्ट में कहा गया है कि एक बिल्डर को अनुचित रूप से फायदा पहुंचाने का एचएचएआइ पर आरोप लगाया गया है। इसमें करीब सौ करोड़ का घाटा उठाना पड़ा।
नई दिल्ली, प्रेट्र। भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने कहा है कि अनुचित रूप से बिल्डिरों को फायदा पहुंचाने के कारण एनएचएआइ (NHAI) को विभिन्न मामलों में चार सौ करोड़ रुपये का घाटा उठाना पड़ा। वर्तमान रिपोर्ट में कहा गया है कि एक बिल्डर को अनुचित रूप से फायदा पहुंचाने का एचएचएआइ पर आरोप लगाया गया है, जिसमें करीब सौ करोड़ का घाटा उठाना पड़ा।
एचएचएआइ के रखरखाव की क्षतिपूर्ति के लिए तत्काल कार्रवाई नहीं करने में विफलता और 99.27 करोड़ की रियायत के अनुचित लाभ को बढ़ाया गया। सीएजी की यह रिपोर्ट संसद में कल रखी जाएगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि मार्च 2012 में एनएचएआइ ने विजयवाड़ा गोंडूगोलानू रोड प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड के एनएच-5 के विजयवाड़ा- गोंडूगोलानू सेक्शन को छह लेन करने के लिए समझौता किया गया, लेकिन अगस्त, 2016 तक सेवा समाप्ति का नोटिस जारी नहीं किया गया। उस समय 99.27 करोड़ रुपये की रकम वसूली जा सकने योग्य थी लेकिन एचएचएआ अपने वित्तीय हितों की रक्षा करने में असफल रहा क्योंकि वह न तो रियायताकर्ता द्वारा जमा की गई राशि को नहीं भुना सका और न ही एस्क्रो खाते से बकाया राशि वसूली जा सकी।
रिपोर्ट में कहा गया कि वह नुकसान को वसूलने में असफल रहा। आंध्र प्रदेश में चार सड़क परियोजनाओं में काम में देरी और काम पूरा होने में देरी से दी गई चार रियायतों में 85.19 करोड़ रुपये के नुकसान वसूलने में प्राधिकरण विफल रहा। रिपोर्ट में आगे कहा गया कि एचएचएआइ एनएच-67 के करुर-कोयंबटूर सेक्शन में प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद सुदृढ़ीकरण व उन्नतिकरण तथा दो टोल प्लाजा से टोल वसूली में असफल रहा, इससे प्राधिकरण को 142.28 करोड़ रुपये का राजस्व घाटा उठाना पड़ा।
इसमें आगे कहा गया है कि बिहार में एचएच-77 के मुजफ्फरपुर-सोनबरसा सेक्शन में दो लेन के प्रोजेक्ट में सीतामढ़ी बाइपास पर रेलवे ओवरब्रिज के निर्माण में रियायत पर देरी पर बिल्डर के खिलाफ 25.67 करोड़ का जुर्माना नहीं वसूलने के कारण और अनुचित रूप से पक्ष लेने के कारण घाटा उठाना पड़ा। सीएजी ने रिपोर्ट में कई और मामलों के बारे में बताया गया है।