सख्त कानून बनाने की तैयारी में सरकार, मोदी-माल्या जैसे भगोड़ों की संपत्ति होगी जब्त
पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में 'द फ्यूजीटिव इकनॉमिक ऑफेंडर आर्डीनेंस-2018' को मंजूरी दी गई।
हरिकिशन शर्मा, नई दिल्ली। बैंकों से लोन लेकर विदेश भागने वाले नीरव मोदी व विजय माल्या जैसे मामलों में कर्ज की वसूली सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने 'द फ्यूजीटिव इकनॉमिक ऑफेंडर आर्डीनेंस-2018' को मंजूरी दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शनिवार को इसके मसौदे पर मुहर लगायी। राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने और गजट में अधिसूचना जारी होने के बाद यह अध्यादेश लागू हो जाएगा। इसके तहत भगोड़े अपराधियों की देश-विदेश स्थित संपत्ति को जब्त करने का प्रावधान है।
मोदी सरकार ने संसद के बजट सत्र में 12 मार्च को लोक सभा में 'द फ्यूजीटिव इकोनॉमिक ऑफेंडर बिल-2018' पेश किया था लेकिन विपक्षी दलों के लगातार विरोध-प्रदर्शन के चलते संसद में बने गतिरोध की वजह से यह पारित नहीं हुआ। यही वजह है कि सरकार को अब यह अध्यादेश लाना पड़ा है। सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री शनिवार को सुबह साढ़े आठ बजे विदेश यात्रा से लौटे और आते ही उन्होंने कैबिनेट की बैठक बुलाकर यह अध्यादेश जारी करने के लिए वित्त मंत्रालय के एक प्रस्ताव को मंजूरी दी।
अगर कोई अपराधी कानूनी प्रक्रिया से बचने के लिए देश से बाहर भाग जाता है तो उसे भगोड़ा घोषित किया जाएगा और विदेशों में स्थित उसकी संपत्ति को जब्त करने के लिए संबंधित देशों से सहयोग किया जाएगा। बैंकों का 100 करोड़ रुपये बकाया कर्ज लेकर भागने वाले अपराधियों के साथ-साथ एक निश्चित श्रेणी के अपराध भी इसके दायरे में आएंगे। खास बात यह है कि ऐसे अपराधियों की संपत्ति उनके दोषी सिद्ध करार दिए जाने से पहले ही जब्त की जा सकेगी। ऐसे अपराधियों पर मनी लॉंड्रिंग कानून के तहत कार्रवाई होगी।
इस अध्यादेश के तहत उस व्यक्ति को भगोड़ा आर्थिक अपराधी माना जाएगा जिसके खिलाफ एक अधिसूचित अपराध जैसे जाली सरकारी स्टांप या करेंसी, खाते में अपर्याप्त राशि होने के चलते चैक बाउंस होने, मनी लांड्रिंग और लोन का फ्रॉड करने जैसे मामलों में अदालत ने वारंट जारी किए हैं और उसने आपराधिक अभियोग से बचने के लिए देश छोड़ दिया है। अधिसूचित अपराधों का मतलब इस अध्यादेश की सूची में दिए गए आर्थिक अपराधों से है।
अध्यादेश के प्रावधानों के अनुसार पीएमएलए के तहत नियुक्त एक निदेशक या उपनिदेशक विशेष अदालत में संबंधित आरोपी व्यक्ति को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित करने के लिए अर्जी देगा। इसमें भगोड़ा घोषित किए जाने वाले व्यक्ति के पते-ठिकाने के साथ-साथ उन संपत्तियों की सूची भी होगी जिन्हें जब्त किया जाना है। इसमें बेनामी संपत्ति के साथ-साथ विदेशों में स्थित संपत्ति का ब्यौरा भी होगा। आवेदन मिलने के बाद विशेष अदालत उस व्यक्ति को छह सप्ताह के भीतर पेश होने को नोटिस जारी करेगी। अगर वह व्यक्ति पेश नहीं होता है तो उसे भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित कर दिया जाएगा।
मोदी सरकार ने आम बजट 2017-18 में भी इस तरह का विधेयक लाने की घोषणा की थी। इसके बाद ही इस साल मार्च के शुरु में कैबिनेट ने इस विधेयक को मंजूरी दी थी।
ये हैं अध्यादेश की मुख्य बातें:
1. विशेष अदालत आर्थिक अपराधी को भगोड़ा घोषित करेगी।
2. भगोड़ा आर्थिक अपराधी की संपत्ति अटैच होगी।
3. विशेष अदालत भगोड़ा आर्थिक अपराधी को नोटिस जारी करेगी।
4. भगोड़ा अपराधी की देश-विदेश में स्थित बेनामी सहित हर तरह की संपत्ति जब्त की जाएगी।
5. कोई भी दीवानी दावा नहीं कर पाएगा भगोड़ा आर्थिक अपराधी
6. इस कानून के तहत जब्त संपत्ति के प्रबंधन और निपटान के लिए एक प्रशासक नियुक्त किया जाएगा।