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पंजाब के व्यापारी मध्‍य प्रदेश में खरीद रहे अनाज, किसानों को हो रहा हजारों का फायदा

मध्‍य प्रदेश बीना क कृषि उपज मंडी सचिव विनाक देव भार्गव के मुताबिक राज्य में नया मंडी एक्ट लागू होने से हमें टैक्स वसूलने का अधिकारी नहीं है। किसी भी राज्य का व्यापारी यहां आकर किसानों से सीधे अनाज खरीद सकता है।

By Tilak RajEdited By: Published: Wed, 23 Sep 2020 10:02 PM (IST)Updated: Wed, 23 Sep 2020 10:02 PM (IST)
पंजाब के व्यापारी मध्‍य प्रदेश में खरीद रहे अनाज, किसानों को हो रहा हजारों का फायदा
पंजाब के कुछ व्यापारी पिछले करीब दो साल से सागर जिले में आकर गल्ले का कारोबार कर रहे

बीना, जेएनएन। केंद्र सरकार के नए कृषि सुधार कानूनों पर अमल के पहले से ही मध्‍य प्रदेश के कई स्थानों पर बाहर के व्यापारी ऊंचे दामों पर किसानों से अनाज खरीदी करते रहे हैं। इससे जहां किसानों को हजारों रपये का फायदा हो रहा है, वहीं बाहरी व्यापारी खरीदा गया अनाज दूसरे राज्यों में भेजकर मुनाफा कमा रहे हैं। प्रदेश के सागर जिले की बीना, खुरई व मालथौन तहसीलों में पंजाब से आए व्यापारी यह कारोबार बड़े पैमाने पर कर रहे हैं। यह बात और है कि स्थानीय व्यापारियों को यह रास नहीं आ रहा है और वे बाहरी व्यापारियों का टैक्स चोरी व अन्य आरोप लगाकर विरोध कर रहे हैं।

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दो साल से आ रहे पंजाब के व्यापारी

पंजाब के कुछ व्यापारी पिछले करीब दो साल से सागर जिले में आकर गल्ले (अनाज) का कारोबार कर रहे हैं। इस साल भी करीब दो दर्जन व्यापारी बीना, सागर व खुरई तहसीलों के गांव-गांव जाकर अनाज खरीदी कर रहे हैं। ये व्यापारी किसानों से मंडी दर से 300 से 500 रुपये प्रति क्विंटल ज्यादा दर पर गल्ला खरीदते हैं। खरीदा गया माल दूसरे राज्यों की मंडियों या सीधे व्यापारियों को बेचा जाता है।

मंडी भाव से 1500 रुपये ज्यादा की कमाई हुई

बीना जिले के ग्राम भेरछा के किसान देवेंद्र ठाकुर ने बताया कि पंजाब के व्यापारी रबी और खरीफ सीजन में घर पर आकर उपज खरीदकर ले जाते हैं। मैंने चार दिन पहले ही उन्हें 5500 रुपये प्रति क्विटंल की दर से उड़द बेचे, जबकि स्थानीय मंडी में इस क्वालिटी के उड़द का भाव बमुश्किल 5000 रुपये क्विंटल मिलता है। तीन क्विंटल उड़द बेचने पर मुझे 1500 रपये का फायदा तो हुआ ही है, साथ ही मंडी आने-जाने का खर्च भी बच गया है। यह व्यवस्था ठीक है।

मंडी जाने का झंझट नहीं

ग्राम लहटवास के किसान निरपत कुशवाह ने बताया कि हमें अपनी उपज बेचने के लिए बीना या खुरई कृषि उपज मंडी में जाना पड़ता है। गांव से दोनों मंडियों की दूरी करीब 35 किलोमीटर है। यदि हम 10 क्विंटल सोयाबीन बेचने ट्रैक्टर-ट्रॉली से मंडी जाते हैं, तो लगभग एक हजार रुपये खर्च हो जाते हैं। मंडी में हम मोल-भाव नहीं कर पाते। घर बैठे जो व्यापारी गल्ला खरीदते हैं, उनसे हमें ऊंचे दाम मिलते हैं। इससे हमें प्रति क्विंटल कम से कम 200 रुपये का फायदा होता है।

बाहरी व्यापारी कर रहे टैक्स चोरी

दूसरी ओर सागर जिले के खिमलासा के गल्ला व्यापारी राकेश जैन का कहना है कि पंजाब के व्यापारी ज्यादा भाव में उपज खरीदने और तुरंत भुगतान का लालच देते हैं, लेकिन वे किसानों से तोल में हेराफेरी कर प्रति क्विंटल पांच-सात किलो अनाज ज्यादा ले लेते हैं। वे मंडी टैक्स भी नहीं चुकाते, जबकि मप्र के मंडी एक्ट के मुताबिक, मंडी से गल्ला खरीदने का लाइसेंस लिए बिना कोई भी 10 क्विंटल या इससे ज्यादा अनाज नहीं खरीद सकता। इससे ज्यादा खरीदी पर उससे मंडी अधिकारी निर्धारित 1.70 प्रतिशत टैक्स के साथ कुल टैक्स पर पांच गुना जुर्माना वसूल सकते हैं, लेकिन बाहरी व्यापारियों पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। इससे राज्य सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है।

नए मंडी एक्‍ट से बदला माहौल

मध्‍य प्रदेश बीना क कृषि उपज मंडी सचिव विनाक देव भार्गव के मुताबिक, राज्य में नया मंडी एक्ट लागू होने से हमें टैक्स वसूलने का अधिकारी नहीं है। किसी भी राज्य का व्यापारी यहां आकर किसानों से सीधे अनाज खरीद सकता है। हम उनसे न तो टैक्स वसूल सकते हैं और न जुर्माना लगा सकते हैं।


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