'मेक-इन-इंडिया' को बढ़ावा देगी बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट
मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना से भारत के निर्माण क्षेत्र को नई ताकत मिलेगी। इसमें नया निवेश आएगा।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट से 'मेक इन इंडिया' को बढ़ावा मिलेगा। इससे दोनों देशों की कंपनियों के बीच अनेक संयुक्त उद्यम स्थापित होंगे जो बुलेट ट्रेन के लिए इंजन, बोगियों तथा कलपुर्जो आदि का निर्माण करेंगे। इससे भारत में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी आने के साथ-साथ हजारों-लाखों लोगों को रोजगार मिलेगा।
20 हजार निर्माण मजदूरों को काम
मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना से भारत के निर्माण क्षेत्र को नई ताकत मिलेगी। इसमें नया निवेश आएगा। इस परियोजना निर्माण के दौरान ही लगभग 20 हजार निर्माण मजदूरों को रोजगार मिलने की संभावना है। इसके लिए इन मजदूरों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। बुलेट ट्रेन का पूरा ट्रैक गिट्टी रहित होगा। लिहाजा मजदूरों को गिट्टी रहित ट्रैक के निर्माण का अनुभव हासिल होगा। यह आगे चलकर अन्य रेल परियोजनाओं में काम आएगा।
वडोदरा में ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट
परियोजना के तहत वडोदरा में एक हाईस्पीड रेल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट की स्थापना भी होनी है। यहां रेल कर्मियों को सिमुलेटर के जरिए बुलेट ट्रेन चलाने की ट्रेनिंग दी जाएगी। जापान में सिमुलेटर पर ही यह ट्रेनिंग दी जाती है। यह इंस्टीट्यूट 2020 तक काम करने लगेगा। अगले तीन वर्षो में यहां तकरीबन 4000 रेलकर्मी बुलेट ट्रेन संचालन का प्रशिक्षण हासिल करेंगे। आगे चल कर देश में जितनी भी बुलेट ट्रेन परियोजनाएं स्थापित होंगी, सभी के लिए यहीं पर आपरेशन स्टाफ तैयार होगा।
जापान में प्रशिक्षण
अभी भारतीय रेलवे के 300 युवा अधिकारी जापान में बुलेट ट्रेन का प्रशिक्षण ले रहे हैं। दीर्घकालिक योजना को ध्यान में रखते हुए जापान सरकार ने हर साल 20 भारतीय अधिकारियों को जापानी विश्र्वविद्यालयों में परास्नातक कोर्स प्रदान करने का प्रस्ताव किया है। प्रशिक्षण कार्यक्रम का पूरा खर्च जापान सरकार उठा रही है।
जापानी तकनीक समय की भी पाबंद
जापानी शिंकांशेन तकनीक को इसकी विश्र्वसनीयता व सुरक्षा के लिए जाना जाता है। जापान में पचास वर्षो में एक भी ट्रेन दुर्घटना न होना इसका प्रमाण है। यही नहीं, समय पालन में भी इसका कोई जवाब नहीं है। जापानी ट्रेने कभी एक मिनट से ज्यादा लेट नहीं होतीं। इसका मतलब कि भारत में बुलेट ट्रेन भी पूर्णतया सुरक्षित और समय की पाबंद होगी। आपदा पूर्वानुमान तकनीक के साथ काम करने के कारण किसी प्राकृतिक आपदा के इस वक्त भी ये ट्रेन दुर्घटना का शिकार नहीं होगी।
अन्य बुलेट ट्रेनों पर भी काम
शिंकांशेन तकनीक के भारत में आने से भविष्य में कई बुलेट ट्रेन परियोजनाएं शुरू होने की संभावना है। इन सभी में 7-8 घंटे का ट्रेन का सफर दो घंटे में पूरा होने की संभावना है। मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन के साथ सरकार ने दिल्ली-चंडीगढ़, दिल्ली-कोलकाता, दिल्ली-मुंबई, दिल्ली-नागपुर, मुंबई-चेन्नई और मुंबई-नागपुर रूटों पर भी बुलेट ट्रेन चलाने की रूपरेखा तैयार की है। मुंबई-अहमदाबाद प्रोजेक्ट का कार्यान्वयन करने वाला नेशनल हाईस्पीड रेल कारपोरेशन इन सभी पर काम कर रहा है।
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