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जुर्माने के खिलाफ बिल्डर पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, हरियाणा सरकार को जारी किया गया नोटिस

जस्टिस एल. नागेश्वर राव जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस अजय रस्तोगी की तीन सदस्यीय पीठ ने हरियाणा सरकार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और उस एनजीओ को नोटिस जारी किया है जिसकी याचिका पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने यह आदेश दिया था।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Wed, 14 Oct 2020 06:28 PM (IST)Updated: Wed, 14 Oct 2020 06:28 PM (IST)
जुर्माने के खिलाफ बिल्डर पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, हरियाणा सरकार को जारी किया गया नोटिस
तीन सदस्यीय पीठ ने जारी किया है नोटिस

नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने टीडीआइ इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड की याचिका पर हरियाणा सरकार एवं अन्य को नोटिस जारी किया है। टीडीआइ इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड ने अपनी अपील में सोनीपत इलाके में पर्यावरणीय मानकों के उल्लंघन के लिए 10 करोड़ जुर्माना लगाने वाले एनजीटी के आदेश को चुनौती दी है।

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जस्टिस एल. नागेश्वर राव, जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस अजय रस्तोगी की तीन सदस्यीय पीठ ने हरियाणा सरकार, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और उस एनजीओ को नोटिस जारी किया है, जिसकी याचिका पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने यह आदेश दिया था। एनजीटी ने 23 अक्टूबर, 2019 को सोनीपत इलाके में छह बिल्डरों पर पर्यावरण मानकों का उल्लंघन करने के कारण 22.5 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था। ट्रिब्यूनल ने कहा था कि यह उल्लंघन गंभीर है और इस दृष्टि से मुआवजा ऐसा होना चाहिए, जिससे अन्य लोग सबक लें।

अपने अंतरिम आदेश में एनजीटी ने टीडीआइ इंफ्रास्ट्रक्चर लि. पर (किंग्सबेरी अपार्टमेंट्स के लिए) 10 करोड़ रुपये और टीडीआइ के सेक्टर-60 में माय फ्लोर प्रोजेक्ट, टस्कन सिटी, सीएमडी बिल्ट-टेक प्राइवेट लिमिटेड, पार्कर एस्टेट डेवलपमेंट प्राइवेट लिमिटेड और नारंग कंस्ट्रक्शन एंड फाइनांसर्स प्राइवेट लिमिटेड पर ढाई-ढाई करोड़ रुपये का पर्यावरण क्षतिपूíत जुर्माना लगाया था।

एनजीटी ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, पर्यावरण एवं वन मंत्रालय और आइआइटी-दिल्ली के प्रतिनिधियों की एक संयुक्त समिति गठित की थी, जिसे इन बिल्डरों से वसूले जाने वाले वास्तविक मुआवजे का निर्धारण करना था।

इन बिल्डरों पर पर्यावरण मानकों का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए हरियाणा के एनजीओ किसान उदय समिति ने एनजीटी में शिकायत दायर कर इनके खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की थी।

वहीं, दूसरी ओर अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि लंबित मामलों में मीडिया की टिप्पणियां न केवल जजों को प्रभावित करने का प्रयास हैं, बल्कि वे उनके फैसले पर असर डालने की कोशिश भी हैं। यह कोर्ट की अवमानना की तरह हैं । 


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