बजट सत्र ने तोड़े कई रिकॉर्ड
मोदी सरकार के पहले ही बजट सत्र में संसद का नजारा काफी बदला हुआ रहा। विपक्ष के तमाम शोर-शराबे और हंगामे के बावजूद सरकार ने विधायी काम-काज का रिकॉर्ड बना दिया। इस सत्र के दौरान 27 बैठकों में कुल 12 महत्वपूर्ण विधेयकों को दोनों सदनों की मंजूरी मिल गई। साथ ही कई अहम विषयों पर खुल कर चर्चा हुई। दशकों
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। मोदी सरकार के पहले ही बजट सत्र में संसद का नजारा काफी बदला हुआ रहा। विपक्ष के तमाम शोर-शराबे और हंगामे के बावजूद सरकार ने विधायी काम-काज का रिकॉर्ड बना दिया। इस सत्र के दौरान 27 बैठकों में कुल 12 महत्वपूर्ण विधेयकों को दोनों सदनों की मंजूरी मिल गई। साथ ही कई अहम विषयों पर खुल कर चर्चा हुई। दशकों से लंबित न्यायिक नियुक्ति बिल और संविधान संशोधन बिल न सिर्फ इस सत्र के दौरान पारित हुए, बल्कि इन पर सर्वसम्मति भी बनी। इसी तरह लोकसभा उपाध्यक्ष का चुनाव भी सभी की रजामंदी से हुआ।
कई अहम विधायी कार्यो को पूरा कर नई सरकार का पहला बजट सत्र गुरुवार को पूरा हो गया। संप्रग की पहली और दूसरी सरकार के पहले बजट सत्र के मुकाबले इस दौरान कामकाज में काफी सुधार देखने को मिला। लोकसभा में इस दौरान 20 बिल पेश हुए, जबकि संप्रग की पहली सरकार के पहले बजट सत्र में महज आठ और संप्रग की दूसरी सरकार में 16 बिल पेश हुए थे। इसी तरह लोकसभा में पारित हुए बिलों की संख्या भी संप्रग एक और दो के छह और आठ के मुकाबले 13 रही। इस दौरान 12 विधेयकों को संसद के दोनों सदनों की मंजूरी मिली, जबकि वर्ष 2004 के बजट सत्र में महज छह और वर्ष 2009 के बजट सत्र में आठ बिलों को ही मंजूरी मिल सकी थी।
सत्र की समाप्ति के मौके पर संसदीय कार्य मंत्री वेंकैया नायडू ने बताया कि बजट सत्र के दौरान सदन की कुल 27 बैठक आयोजित हुईं, जिसके दौरान विपक्ष सहित सभी पार्टियों को अहम मुद्दे उठाने का पर्याप्त समय मिल सका। हालांकि, विपक्ष के सदस्यों ने कई बार हंगामा कर कार्यवाही बाधित की। लोकसभा में कुल 166 घंटे 56 मिनट काम चला। इस दौरान 14.23 घंटे काम बाधित हुआ। मगर 27.10 घंटे अतिरिक्त काम कर उससे ज्यादा की भरपाई कर ली गई। इसी तरह राज्यसभा में 21.22 घंटे की रुकावट की भरपाई 38.12 घंटे अतिरिक्त काम करके पूरी की गई।
ऐसे में राज्यसभा ने कुल 140 घंटे विधायी कार्य पूरा किया। इस लिहाज से भी यह सत्र पिछली दो सरकारों के पहले बजट सत्र के मुकाबले काफी बेहतर रहा। नायडू ने कहा कि वे सत्र को अभी कुछ दिनों के लिए और चलाने की योजना बना रहे थे लेकिन सदस्यों की भावना को देखते हुए इस विचार को त्यागना पड़ा। उन्होंने कहा कि इस सरकार को विकास और सुशासन के नाम पर ही वोट मिला है और इस लिहाज से वह पीछे नहीं रहने वाली।
संसदीय कार्यमंत्री ने माना कि विपक्ष के नेता का पद किसी पार्टी को नहीं मिल सका, लेकिन उन्होंने कहा कि उन्हें विभिन्न विपक्षी पार्टियों के नेताओं से अलग-अलग संवाद करने में कोई परेशानी नहीं। उन्होंने यह भी साफ किया कि इस स्थिति को देखते हुए ही इस सत्र के दौरान जिस न्यायिक नियुक्ति बिल को पारित किया गया है, उसमें साफ कर दिया गया है कि विपक्ष का नेता नहीं होने पर सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी का नेता उसकी जगह ले सकेगा।
लोकसभा में पास बिलों की संख्या
संप्रग 1 संप्रग 2 राजग
6 6 13
राज्यसभा में पास बिलों की संख्या
संप्रग 1 संप्रग 2 राजग
6 8 12