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मंदिर में पूजे जाएंगे बसपा संस्थापक कांशी राम

बहुजन समाज को देश की सत्ता का रास्ता दिखाने वाले साहब कांशी राम अब अपनी कर्मभूमि पंजाब में पूजे जाएंगे। दलित-पिछड़े समाज ने जहां सम्मान से उन्हें साहब का दर्जा दिया, वहीं अब इससे भी बढ़कर उनके समर्थक उन्हें भगवान का दर्जा देने जा रहे हैं। उनकी याद में उन्हीं के जन्म स्थान कस्बा बुंगा साहिब (रूपनगर) में एक

By Edited By: Published: Thu, 14 Mar 2013 11:25 AM (IST)Updated: Thu, 14 Mar 2013 01:22 PM (IST)
मंदिर में पूजे जाएंगे बसपा संस्थापक कांशी राम

रूपनगर [काली किंकर मिश्रा]। बहुजन समाज को देश की सत्ता का रास्ता दिखाने वाले साहब कांशी राम अब अपनी कर्मभूमि पंजाब में पूजे जाएंगे। दलित-पिछड़े समाज ने जहां सम्मान से उन्हें साहब का दर्जा दिया, वहीं अब इससे भी बढ़कर उनके समर्थक उन्हें भगवान का दर्जा देने जा रहे हैं। उनकी याद में उन्हीं के जन्म स्थान कस्बा बुंगा साहिब (रूपनगर) में एक मंदिर बनाया गया है।

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कस्बा बुंगा में उनका ननिहाल है। 15 मार्च को उनका जन्मदिवस है। उन्हें अपना मसीहा समझने वाले लोगों ने इसी दिन उनकी याद में बनाए गए मंदिर का उद्घाटन समारोह रखा है। मंदिर में साहब कांशी राम की आदमकद प्रतिमा स्थापित की गई है। मंदिर निर्माण का कार्य कांशी राम चेरिटेबल फाउंडेशन की ओर से किया गया है। फाउंडेशन की चेयरमैन कांशी राम की बहन स्वर्ण कौर हैं।

फाउंडेशन के सेक्रेटरी लखबीर सिंह खवासपुर ने बताया कि 15 मार्च 1934 को साहब कांशीराम का जन्म हुआ था। इसी को ध्यान में रखते हुए मंदिर के उद्घाटन का दिन पंद्रह मार्च निर्धारित किया है। बताया गया है कि उद्घाटन समारोह में सियासी लोगों के साथ साधु-महात्मा भी जुटेंगे। उद्घाटन का कार्य साधुओं से ही कराया जाएगा।

दावा किया गया है कि साहब कांशीराम के संपर्क में रहने वाले गुजरात, महाराष्ट्र व उत्तर प्रदेश के दलित नेताओं के साथ-साथ विभिन्न पार्टी के नेताओं को आमंत्रित किया गया है। खास बात यह है कि इस समागम में उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती को आमंत्रित नहीं किया गया है। फाउंडेशन द्वारा उपलब्ध करवाई गई जानकारी के अनुसार मंदिर निर्माण की अगुवाई महाराष्ट्र के पुणे में गुरु रविदास मंदिर के मुखिया सुखदेव बाघमरे ने की है। वह महाराष्ट्र से यहां पहुंच चुके हैं। उन्होंने मंदिर के बाहर बहुजन समाज पार्टी का चुनाव चिह्न दो हाथियों के विशाल बुत लगाए हैं। दोनों हाथियों का वजन 90-90 क्विंटल है। जयपुर के कारीगरों ने साहब कांशीराम की आदमकद मूर्ति तैयार की है। मंदिर के निचले हिस्से में कांशीराम जी के नाम पर लाइब्रेरी भी स्थापित की जा रही है।

फाउंडेशन के सेक्रेटरी लखवीर सिंह ने बताया कि इस लाइब्रेरी में दलित नेताओं से जुड़ी सामग्री एकत्रित की जाएगी।

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