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अमित शाह का प्‍लेन उड़ाने के लिए बीएसएफ के पायलट ने किया फर्जीवाड़ा, अब दिया इस्‍तीफा

भारतीय वायुसेना के पूर्व विंग कमांडर जेएस सांगवान ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की वायु शाखा से इस्तीफा दे दिया है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sun, 06 Oct 2019 11:03 PM (IST)Updated: Sun, 06 Oct 2019 11:03 PM (IST)
अमित शाह का प्‍लेन उड़ाने के लिए बीएसएफ के पायलट ने किया फर्जीवाड़ा, अब दिया इस्‍तीफा
अमित शाह का प्‍लेन उड़ाने के लिए बीएसएफ के पायलट ने किया फर्जीवाड़ा, अब दिया इस्‍तीफा

नई दिल्ली, प्रेट्र। भारतीय वायुसेना के पूर्व विंग कमांडर जेएस सांगवान (JS Sangwan) ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की वायु शाखा से इस्तीफा दे दिया है। सांगवान के खिलाफ फर्जी तौर पर खुद को वरिष्ठ बताने का मामला चल रहा है। उन्होंने गृहमंत्री अमित शाह का पायलट बनने के लिए कथित रूप से खुद को अपने वरिष्ठ अधिकारी के रूप में पेश किया था।

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इस्तीफा अभी विचाराधीन

बीएसएफ के एक अधिकारी ने रविवार को बताया कि सेवानिवृत्त विंग कमांडर जेएस सांगवान का इस्तीफा अभी विचाराधीन है और अब तक स्वीकार नहीं किया गया है। कारगिल युद्ध में हिस्सा लेने वाले सांगवान के खिलाफ सीमा सुरक्षा बल और दिल्ली पुलिस जांच कर रही है।

दर्ज की गई शिकायत के अनुसार, दिग्गज इंजीनियरिंग कंपनी टार्सन एंड टूब्रो को दो महीने पहले बीएसएफ की एयर विंग से कई ईमेल मिले, जिसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के विमान को उड़ाने के लिए विंग कमांडर जेएस सांगवान की सिफारिश की गई थी। ईमेल ने सांगवान की सिफारिश करते हुए कहा गया कि उन्हें उड़ान का लगभग 4,000 घंटे का अनुभव है। गृह मंत्री के विमान को उड़ान भरने के लिए न्यूनतम 1,000 घंटे के उड़ान अनुभव की आवश्यकता होती है। टार्सन एंड टूब्रो बीएसएफ एयर विंग को वीआईपी मूवमेंट के लिए एयरक्राफ्ट मुहैया कराता है।  

फिलहाल यह पता नहीं चल पाया है कि सांगवान का इस्तीफा स्वीकार किया जाएगा या नहीं, क्योंकि इस्तीफा स्वीकार करने का मतलब है- बिना किसी जांच के उन्हें जाने की अनुमति देना। प्रावधानों के अनुसार अगर किसी व्यक्ति के खिलाफ जांच चल रही हो तो उसके इस्तीफे अथवा अवकाश ग्रहण करने का आवेदन स्वीकार नहीं किया जाएगा।

बीएसएफ से स्वैच्छिक इस्तीफे के लिए आवेदन

सांगवान ने दो सितंबर को बीएसएफ से स्वैच्छिक इस्तीफे के लिए आवेदन किया था। इसके बाद उन्होंने 16 सितंबर को एक दूसरा पत्र भेजा, जिसमें आग्रह किया गया था कि उन्हें 31 अक्टूबर तक उन्हें मुक्त कर दिया जाए।


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