हाई स्पीड इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले लोग हो जाएं सावधान
अमेरिकी की पिट्सबर्ग यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि हाई स्पीड इंटरनेट से सोने की अवधि में गिरावट आ सकती है।
नई दिल्ली [प्रेट]। घर में स्मार्टफोन या लैपटॉप सरीखे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को चलाने के लिए हाई स्पीड इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले लोग सावधान हो जाएं। एक अध्ययन में आगाह किया गया है कि इसकी वजह से आपकी नींद की गुणवत्ता बिगड़ सकती है। यहीं नहीं सोने की अवधि में भी कमी आ सकती है।
शोधकर्ताओं के अनुसार, अध्ययन में पाया गया कि डिजिटल सब्सक्राइबर लाइन (डीएसएल) का उपयोग करने वाले लोग उन लोगों की तुलना में 25 मिनट तक कम सोते हैं जो डीएसएल का प्रयोग नहीं करते। डीएसएल हाई स्पीड इंटरनेट पाने की तकनीक है। यह सुविधा सामान्य टेलीफोन लाइन के जरिये घरों और दफ्तरों तक पहुंचाई जाती है।
इटली की बोक्कोनी यूनिवर्सिटी और अमेरिकी की पिट्सबर्ग यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि हाई स्पीड इंटरनेट से सोने की अवधि में गिरावट आ सकती है। बोक्कोनी के प्रोफेसर फ्रांसेस्को बिलेरी ने कहा, ‘ऐसे लोग जितने समय सोने की सलाह दी जाती है, उससे कम सोते हैं। वैज्ञानिक सात से नौ घंटे तक सोने की सलाह देते हैं।’
अनियमित धड़कन से जुड़े 151 जीन की पहचान
वैज्ञानिकों ने आर्टियल फाइब्रिलेशन से जुड़े 151 जीन की पहचान की है। इस समस्या की वजह से दिल की धड़कन अनियमित हो जाती है। इसके चलते दुनियाभर में तीन करोड़ से ज्यादा लोग स्ट्रोक, हार्ट फेल और मौत की कगार पर हैं। अमेरिका की मिशिगन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने आर्टियल फाइब्रिलेशन के आनुवांशिक कारकों का पता लगाने के लिए बड़े पैमाने पर अध्ययन किया। अभी तक इस तरह के कारक अज्ञात रहे हैं।
मिशिगन के एसोसिएट प्रोफेसर क्रिस्टेन विलर ने कहा, हमें उम्मीद है कि जीन के अध्ययन से यह निर्धारित किया जा सकता है कि दिल की धड़कन को कैसे सामान्य रखा जा सकता है। आर्टियल फाइब्रिलेशन का प्रारंभ में ही पता चल जाने से स्ट्रोक और हार्ट फेल जैसी समस्याओं से बचाव हो सकता है।