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बीआरओ ने बनाया खास मार्ग, दुश्मन की निगाह में आए बिना भारतीय सेना कर सकेगी मूवमेंट

दोनों देशों के तनाव के बीच ही लेह लद्दाख में सीमा सड़क संगठन (Border Roads Organisation BRO) दुर्गम इलाकों में सड़क बनाने का काम तेजी से कर रहा है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Sat, 05 Sep 2020 10:47 PM (IST)Updated: Sun, 06 Sep 2020 07:35 AM (IST)
बीआरओ ने बनाया खास मार्ग, दुश्मन की निगाह में आए बिना भारतीय सेना कर सकेगी मूवमेंट

लेह, एएनआइ। भारत और चीन के बीच इन दिनों सीमा पर तनाव का माहौल है। दोनों देशों के तनाव के बीच ही लेह लद्दाख में सीमा सड़क संगठन (Border Roads Organisation, BRO) दुर्गम इलाकों में सड़क बनाने का काम तेजी से कर रहा है। बीआरओ ने तीसरी सड़क पर काम लगभग खत्म कर दिया है, जिसे निम्मू-पदम-दरचा मार्ग (Nimmu-Padam-Darcha Road) कहा जाता है।

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इस मार्ग से करगिल क्षेत्र में पहुंचना आसान हो जाएगा। ये मार्ग रणनीतिक तौर पर भारतीय सेना के लिए काफी महत्वपूर्ण है। इस हाइवे पर सैनिकों की आवाजाही को ट्रेस कर पाना पड़ोसी देशों के लिए नामुमकिन है। इस रास्ते से सैनिकों के लिए हथियार और सेना की टुकड़ियों को समय में पहुंचाने में काफी आसानी मिलेगी।

भारतीय सेना बचा सकती है काफी समय

सड़क निर्माण की जानकारी देते हुए बीआरओ इंजीनियर एमके जैन ने बताया कि यह मार्ग अब पूरी तरह से कई टन वजन वाले भारी वाहनों के लिए तैयार हो गया है। अब सेना इस मार्ग का उपयोग कर सकती है। इस मार्ग का महत्व यह है कि सेना मनाली से लेह तक के मार्ग में लगभग 5-6 घंटे बचा सकती है। इसके साथ ही इंजीनियर ने बताया कि किसी जोखिम के बिना भारतीय सेना अपनी गतिविधि को पूरा कर सकती है। 

30 किलोमीटर में अभी काम होना है बाकी

इसके साथ ही उन्होंने बताया कि यह मार्ग कम ऊंचाई पर है, इसलिए इसे वाहन के आवागमन के लिए लगभग 10 से 11 महीने के लिए खोला जा सकता है। यह मार्ग 258 किलोमीटर लंबा है। उन्होंने कहा कि हमने डाइवर्टिंग करके इसे एक अलग सड़क से जोड़कर कनेक्टिविटी दी है क्योंकि अभी 30 किलोमीटर की दूरी को पूरा किया जाना बाकी है। 

गौरतलब है कि माल ढोने और सेना की टुकड़ियों के परिवहन के लिए मुख्य रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला मार्ग जोजिला से है, जो कि द्रास-कारगिल से लेह तक जाता है। 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तानियों द्वारा एक ही मार्ग को भारी निशाना बनाया गया था और सड़क के किनारे ऊंचाई वाले पहाड़ों में उनके सैनिकों द्वारा लगातार बमबारी और गोलाबारी की गई थी।


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