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दुनिया में पहली बार ऑक्सफोर्ड और एस्ट्राजेनेका की कोविड वैक्सीन को ब्रिटेन ने दी मंजूरी

ब्रिटेन ने बुधवार को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और दवा कंपनी एस्ट्राजेनेका की ओर से विकसित की गई कोविड वैक्सीन को मंजूरी दे दी। इसके साथ ही ब्रिटेन ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका की कोविड वैक्‍सीन को मंजूरी देने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Wed, 30 Dec 2020 04:49 PM (IST)Updated: Thu, 31 Dec 2020 07:17 AM (IST)
दुनिया में पहली बार ऑक्सफोर्ड और एस्ट्राजेनेका की कोविड वैक्सीन को ब्रिटेन ने दी मंजूरी
ब्रिटेन ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका की ओर से विकसित की गई कोविड वैक्सीन को मंजूरी दे दी।

लंदन, रॉयटर। ब्रिटेन ने बुधवार को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (Oxford University) के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित और दवा कंपनी एस्ट्राजेनेका (AstraZeneca) द्वारा उत्पादित की गई कोविड वैक्सीन को मंजूरी दे दी। इसके साथ ही ब्रिटेन ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ( Oxford University) और एस्ट्राजेनेका (AstraZeneca) की कोविड वैक्‍सीन को मंजूरी देने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। उम्मीद की जा रही है कि यह वैक्‍सीन तेजी से फैल रही कोरोना वायरस की नई स्‍ट्रेन पर भी कारगर होगी और कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों पर लगाम लगा पाने में मददगार होगी। 

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फाइजर की वैक्‍सीन को मिल चुकी है इजाजत 

इससे पहले ब्रिटेन ने अमेरिका की फाइजर और जर्मनी की बायोएनटेक द्वारा संयुक्त रूप से विकसित वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल की इजाजत दी थी। देश में अब तक सात लाख से अधिक लोगों को फाइजर वैक्सीन की पहली डोज दी जा चुकी है। औषधि एवं स्वास्थ्य देखभाल उत्पाद नियामक एजेंसी (एमएचआरए) की मंजूरी मिलने का अभिप्राय है कि टीका सुरक्षित और प्रभावी है। प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन एस्ट्राजेनेका (AstraZeneca) को 10 करोड़ वैक्सीन का आर्डर पहले ही दे चुके हैं। इनमें से चार करोड़ खुराक मार्च के अंत तक मिलने की उम्मीद है। 

हासिल किया कारगर फार्मूला 

एस्ट्राजेनेका के प्रमुख पास्कल सोरियट ने जोर देकर कहा है कि अनुसंधानकर्ताओं ने अंतिम नतीजों को प्रकाशित करने से पहले टीके की दो खुराक का इस्तेमाल कर कारगर फार्मूला हासिल किया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि वायरस पूर्व के अनुमानों से अधिक प्रभावी होगा और यह कोरोना वायरस के नए प्रकार पर भी प्रभावी होना चाहिए जिसकी वजह से ब्रिटेन के अधिकतर हिस्सों में भय की स्थिति है। इस टीके का निर्माण करने के लिए ऑक्सफोर्ड ने भारत स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआइआइ) के साथ करार किया है।

जॉनसन ने अभूतपूर्ण उपलब्धि बताया 

स्वास्थ्य मंत्री मैट हैनकॉक (Matt Hancock) ने बताया कि एनएचएस (NHS, National Health Service) वैक्‍सीन की शॉट्स को तेजी से लोगों तक पहुंचाएगी। उन्‍होंने कहा कि विश्वास है कि हम वसंत तक पर्याप्त लोगों का टीकाकरण कर सकते हैं। ब्रिटेन में अगले हफ्ते तक इस वैक्‍सीन की हजारों खुराक उपलब्ध होगी। वहीं प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने इस अनुमोदन को ब्रिटिश विज्ञान की एक अभूतपूर्ण उपलब्धि बताया है। मालूम हो कि ब्रिटेन में पहले से ही अमेरिकी कंपनी फाइजर और जर्मनी के बायोएनटेक द्वारा विकसित वैक्सीन के साथ टीकाकरण किया जा रहा है। 

भारत में सीरम विकसित कर रहा वैक्‍सीन 

उल्‍लेखनीय है कि भारत में ऑक्सफोर्ड एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन को सीरम इंस्टीट्यूट बना रहा है। सीरम इंस्टीट्यूट का दावा है कि कंपनी ने वैक्सीन के करीब 50 मिलियन डोज तैयार किया है। सीरम का विश्‍वास है कि भारत सरकार जल्द ही कोविड वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दे सकती है। सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला की मानें तो कंपनी जुलाई 2021 तक लगभग 300 मिलियन खुराक का उत्पादन करेगी। यही नहीं नए साल 2021 के अंत तक 30 करोड़ खुराक बनाने की तैयारी है। 

चीन की वैक्सीन 79.34 फीसद असरदार

चीन की सरकारी दवा निर्माता कंपनी सिनफार्मा की सहयोगी कंपनी ने बुधवार को कहा कि उसकी कोरोना वैक्सीन 79.34 फीसद असरदार है। उसने चीन सरकार से वैक्सीन को नियामक मंजूरी दिए जाने का अनुरोध किया है। अगर ऐसा होता है तो यह पहली बार होगा कि चीन सार्वजनिक प्रयोग के लिए किसी कोरोना वैक्सीन को मंजूरी देगा। टीके के असर का आकलन तीसरे चरण के ट्रायल के आधार पर किया गया है। खास बात यह है कि इसी टीके के बारे में नौ दिसंबर को संयुक्त अरब अमीरात ने कहा था कि यह 86 फीसद असरदार है। 

फाइजर प्रभावी लेकिन मुफीद इफ्रास्‍ट्रक्‍चर भी जरूरी 

चीनी वैक्सीन की कमियों को लेकर कंपनी की प्रवक्ता ने तो कुछ नहीं कहा है, लेकिन यह जरूर कहा है कि ट्रायल से जुड़े विस्तृत परिणामों के बारे में बाद में जानकारी दी जाएगी। हालांकि उन्होंने कोई समयसीमा नहीं बताई है। परीक्षण में ऑक्सफोर्ड वैक्सीन को फाइजर बायोएनटेक शॉट की तुलना में कम प्रभावी पाया गया है लेकिन इसके पक्ष में एक बुनियादी बात यह है कि यह अपेक्षाकृत कम तापमान पर भी प्रभावी है। फाइजर की वैक्‍सीन के लिए  -70 डिग्री सेल्सियस तापमान की जरूरत होती है जो विकासशील और गरीब देशों में इफ्रास्‍ट्रक्‍चर के लिहाज से मुफीद नहीं है। 

तुर्की पहुंची वैक्‍सीन की पहली खेप 

इस बीच विश्व स्वास्थ संगठन ने बताया कि अगले वर्ष मार्च तक श्रीलंका में कोरोना की वैक्सीन उपलब्ध हो जाएगी। वहीं दूसरी ओर चीन की बायोफार्मास्यूटिकल्स कंपनी साइनोवैक द्वारा विकसित कोरोना का टीका बुधवार सुबह तुर्की पहुंच गया है। पहली खेप में वैक्सीन की 30 लाख डोज आई है। सिंगापुर में टीकाकरण की शुरुआत हो गई है। स्थानीय सरकार ने फाइजर- बायोएनटेक द्वारा निर्मित वैक्सीन को मंजूरी दी है।


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