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प्रकृति के प्रति प्रेम की अनोखी मिसाल : दूल्हे ने रखी शर्त- दहेज नहीं, 1001 पौधे चाहिए

दिल्ली में पेड़ बचाने के लिए दिखी 1970 चिपको आंदोलन की क्रांति। तो वहीं, ओडिशा में एक दूल्हे ने शादी के लिए 1001 पौधों की रखी शर्त- कहा, दहेज नहीं चाहिए।

By Nancy BajpaiEdited By: Published: Mon, 25 Jun 2018 02:16 PM (IST)Updated: Mon, 25 Jun 2018 02:49 PM (IST)
प्रकृति के प्रति प्रेम की अनोखी मिसाल : दूल्हे ने रखी शर्त- दहेज नहीं, 1001 पौधे चाहिए
प्रकृति के प्रति प्रेम की अनोखी मिसाल : दूल्हे ने रखी शर्त- दहेज नहीं, 1001 पौधे चाहिए

केन्द्रापड़ा, ओडिशा (पीटीआइ)। राजधानी दिल्ली में 17 हजार पेड़ों के काटने पर आर-पार की जंग के बीच ओडिशा से पर्यावरण प्रेम की एक अनोखी मिसाल देखने को मिली है। हमें दहेज नहीं चाहिए, हमें पेड़-पौधे चाहिए। ओडिशा के केन्द्रापड़ा जिले में एक स्कूल के शिक्षक ने शादी के लिए दुल्हन के माता-पिता के सामने एक अनोखी शर्त रखी। उसने दहेज लेने से इन्कार कर दिया और इसकी बजाय दुल्हन के माता-पिता से उपहार के रूप में 1001 पौधों की मांग की। उन्होंने भी अपने दामाद की इस शर्त को स्वीकार किया और 1001 पौधों के साथ अपनी बेटी को विदा किया। इस नवविवाहित जोड़े और उनके माता-पिता की आज तरफ तारीफ हो रही है। इन्होंने न सिर्फ देश को पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया बल्कि  दहेज के खिलाफ लोगों को जागरुक करने का भी काम किया।

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'मैं बचपन से प्रकृति प्रेमी रहा हूं'

दूल्हे सरोज कंटा बिसवाल ने कहा कि वे बचपन से ही प्रकृति प्रेमी रहे हैं। बिसवाल ने कहा कि प्रकृति प्रेमी के आलावा मैं हमेशा से शादी में दहेज प्रणाली की व्यवस्था का विरोधी रहा हूं। यहीं कारण है कि मैंने अपनी शादी में तोहफे के रूप में 1001 पौधों की मांग रखी।

शादी में न बैंड पार्टी और न ही पटाखें

बता दें कि शनिवार को केन्द्रपड़ा जिले में उन्होंने शादी की। जिले के मर्शघई तहसील के तहत अदमपुर में दुल्हन के गांव के निवासी रंजन प्रधान ने कहा कि विवाह बिनी किसी तामझाम के साधारण तरीके से किया गया था, जहां बैंड पार्टी या पटाखों का इस्तेमाल नहीं किया गया। प्रधान ने कहा, 'इस अनोखे विवाह के दौरान सबसे बड़ी था कि दुल्हे को विवाह की शर्तों के अनुसार 1001 पौधे उपहार के रूप में दिए गए। वहीं, बिसवाल ने कहा, 'मेरे पत्नी रश्मिरेखा पेयताला भी एक स्कूल शिक्षक हैं और वह दहेज से इन्कार करने और इसकी बजाय पौधे मांगने के मेरे फैसले से काफी खुश हैं।'

पेड़ बचाने के लिए दिल्ली में दिखा 'चिपको आंदोलन'

जहां एक ओर ओडिशा में प्रकृति प्रेमी ने देश-दुनिया को अनोखे अंदाज में पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। तो वहीं, दिल्ली में पेड़ काटने को लेकर जंग छिड़ी हुई है। 1970 के दशक में पेड़ बचाने के लिए चलाए गए चिपको अंदोलन की झलक 2018 में दिल्ली में देखने को मिली है। मशहूर चिपको आंदोलन की तर्ज पर दिल्ली में भी लोग पेड़ों की कटाई को लेकर सड़कों जुट आए हैं। लोगों ने पेड़ों से चिपककर संदेश दिया कि यह पेड़ भी उनके परिवार के सदस्य हैं, इन्हें बिल्कुल भी कटने नहीं दिया जाएगा।

दरअसल, दक्षिण दिल्ली में 7 कॉलोनियों के पुनर्विकास के लिए 17 हजार पेड़ काटे जाने की योजना बनाई गई। सरकार के इस फैसले के विरोध में रविवार को स्थानीय लोगों सहित सामाजिक कार्यकर्ता और पर्यावरणविदों ने जमकर प्रदर्शन किया। दिल्ली के सरोजनी नगर में लगभग 15000 प्रदर्शनकारी इकट्ठा हुए और पेड़ों को गले लगाकर 'चिपको आंदोलन' शुरू किया। इस दौरान उन्होंने पेड़ों पर राखी के प्रतीक के रूप में हरा फीता भी बांधा और पेड़ों की सुरक्षा का वादा किया।


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