ब्रेक्जिट समझौता: अब क्या होगा आगे जानने के लिए पढ़े पूरी खबर
वोट डालने की तारीख को बढ़ाना यूरोपीय संघ पर निर्भर है। लेकिन अगर इसे बढ़ाया जाता है तो यह यूरोपीय संसद के समझौते में भी देरी करेगा जो अगले सप्ताह के लिए निर्धारित है।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। 37 वर्षों में पहली बार, ब्रिटिश संसद ने शनिवार को बैठक बुलाई ताकि संसद सदस्य (सांसद) प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के ब्रेक्जिट समझौते पर अपना वोट डाल सकें, जो 31 अक्टूबर तक ब्रिटेन को यूरोपीय संघ (ईयू) से बाहर निकालने के लिए निर्धारित था। लेकिन ब्रेक्जिट पर निर्णय आने के बजाय, ब्रिटिश संसद ने उस संशोधन प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया, जिसमें यूरोपीय संघ से अलगाव की प्रक्रिया को टालने की बात कही गई है। इसका मतलब यह है कि जॉनसन को कानूनी रूप से बाध्य किया गया है कि वह ब्रेक्जिट पर वोट डालने की तारीख को बढ़ाने के लिए यूरोपीय संघ को बीन अधिनियम के तहत अनुरोध करें। हालांकि प्रधानमंत्री जॉनसन ने यूरोपीय संघ को ब्रेग्जिट की तारीख बढ़ाने के लिए बिना हस्ताक्षर का पत्र भेजा है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि यह ब्रिटेन की संसद का पत्र है, उनका नहीं।
पहला जनमत संग्रह
ब्रेक्जिट पर पहला सार्वजनिक वोट या जनमत संग्रह तीन साल पहले 23 जून 2016 को हुआ था, जब डेविड कैमरन प्रधानमंत्री थे। इस जनमत संग्रह के माध्यम से मतदाताओं ने यूरोपीय संघ छोड़ने के पक्ष में वोट डाला था। इसके बाद अगले दिन पीएम कैमरन ने इस्तीफा दे दिया था। लगभग 52 फीसद मतदाताओं ने यूरोपीय संघ को छोड़ने का फैसला किया था, जबकि 48 फीसद ने रहने के लिए मतदान किया था। भले ही जनमत संग्रह कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं था, लेकिन ब्रेक्जिट के प्रति जनता की भावना को जानने के लिए इसे किया गया था।
क्या है बेन अधिनियम
बेन अधिनियम को औपचारिक रूप से यूरोपीय संघ (विदड्रॉल) (नंबर 2 एक्ट) 2019 कहा जाता है और यह ब्रिटेन की संसद का एक अधिनियम है, जो कानूनी तौर पर कुछ परिस्थितियों में बातचीत की अवधि के लिए विस्तार की मांग करता है।
आर्टिकल 50
29 मार्च 2017 वो दिन था, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री थेरेसा मे ने आर्टिकल 50 लागू किया था, जिसके तहत ठीक दो साल बाद 29 मार्च, 2019 को ब्रेक्जिट लागू होना था। इस लेख में उस कानूनी तंत्र का उल्लेख किया गया था, जिससे सदस्य देश यूरोपीय संघ से बाहर निकल सकते थे और 2009 में हस्ताक्षरित लिस्बन संधि के तहत यूरोपीय संघ के सभी सदस्य देशों द्वारा सहमति व्यक्त की गई थी।
क्यों विपक्ष नहीं है समर्थन में
नवंबर 2018 में यूके और यूरोपीय संघ के बीच समझौते पर सहमति हुई थी, लेकिन सांसदों द्वारा तीन बार खारिज कर दिया गया है। कई कंजर्वेटिव सांसदों और डेमोक्रेटिक यूनियनिस्ट पार्टी (उस समय मे की सरकार की सहयोगी रही) के लिए समर्थन न देने के पीछे मुख्य वजह आयरिश बैकस्टॉप है, जो उत्तरी आयरलैंड (ब्रिटेन का एक हिस्सा) और रिपब्लिक ऑफ आयरलैंड के बीच सीमा को नियंत्रित करता है। वर्तमान में, दोनों क्षेत्रों और वस्तुओं के बीच कोई ठोस सीमा मौजूद नहीं है और लोग बिना किसी नियामक जांच के दोनों तरफ आ जा सकते हैं। बैकस्टॉप कानून यह सुनिश्चित करता है कि ब्रेक्जिट के बाद भी आयरिश सीमा खुली रहेगी। लेकिन ब्रेक्जिट के बाद यूरोपीय संघ अपनी शुल्क प्रक्रिया लागू करना चाहता है। इसलिए यूरोपीय संघ और विपक्षियों के बीच हितों का टकराव है।
आगे क्या?
वोट डालने की तारीख को बढ़ाना यूरोपीय संघ पर निर्भर है। लेकिन अगर इसे बढ़ाया जाता है तो यह यूरोपीय संसद के समझौते में भी देरी करेगा, जो अगले सप्ताह के लिए निर्धारित है। हाउस ऑफ कामंस द्वारा पारित किए जाने के बाद ही यूरोपीय संसद इस सौदे की पुष्टि कर सकती है। मुमकिन है कि 30 नवंबर को नया ब्रेक्जिट दिवस होना संभव है, बशर्ते कि तब तक हाउस ऑफ कामंस द्वारा यह समझौता पारित कर दिया गया हो। अगर ब्रेक्सिट होता है, तो हो सकता है व्यापार और परिवहन तंत्र को प्रभावित करने वाले ब्रिटेन और यूरोपीय
संघ के बीच संबंधों को निर्धारित करने वाली कोई शर्तें नहीं होंगी। दूसरी बात, यह संभव है कि यूरोपीय संघ को छोड़ने के लिए एक दूसरे को सार्वजनिक वोट के लिए बुलाया जाए और तीसरा, हाउस ऑफ कामंस में अपनी पार्टी के बहुमत को बहाल करने के लिए जॉनसन आम चुनावों की घोषणा कर सकते हैं। अन्यथा 2022 तक चुनाव नहीं होंगे।
समझौता होने पर क्या होगा?
अगर ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के बीच समझौते पर सहमति बन जाती है तो इसे हाउस ऑफ कामंस (संसद) द्वारा अनुमोदित करने की आवश्यकता होगी, जो अब तक नहीं हुआ है। ब्रिटेन की विपक्षी लेबर पार्टी समझौते को अस्वीकार करने के लिए दृढ़ है। हाल ही में, उत्तरी आयरिश डेमोक्रेटिक यूनियनिस्ट पार्टी ने भी कहा कि वे इस सौदे का समर्थन नहीं करेंगे।