सरकार की 'इलेक्टोरल बॉन्ड' स्कीम को टीएस कृष्णमूर्ति ने इस वजह से नकारा
चुनावी फंडिंग को साफ-सुथरा बनाने के लिए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम पेश किया है, जिस पर पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ने अपनी राय रखी है।
हैदराबाद, पीटीआई। चुनावी फंडिंग को पारदर्शी बनाने के लिए सरकार ने एक अहम कदम उठाया है। अब इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए चुनावी फंडिंग होगी, जिसे एसबीआई बैंक की कुछ चुनिंदा शाखाओं से खरीदा जा सकेगा और राजनीतिक पार्टियों को चंदा देने के लिए इनका इस्तेमाल होगा। मंगलवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इसका एलान किया।
हालांकि पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएस कृष्णमूर्ति ने आज कहा कि यह योजना चुनावी फंडिंग में पारदर्शिता को बढ़ावा नहीं देने वाली है और कॉरपोरेट व राजनीतिक पार्टियों के बीच सांठगांठ को तोड़ने में नाकाम है।
कृष्णमूर्ति ने कहा कि चुनावी फंडिंग को साफ-सुथरा बनाने की दिशा में यह एक कदम आगे नहीं है। ये इलेक्टोरल बाॅन्ड 'पैसे की ताकत', चुनावी चंदे में पारदर्शिता की समस्या का समधान नहीं करते हैं। कृष्णमूर्ति के अनुसार, ये उतनी पारदर्शिता को बढ़ावा नहीं देते हैं जितनी जनता चिंतित है। यह भले ही चंदा देने और लेने वाले के बीच पारदर्शिता को बढ़ावा दे सकते है। मगर जनता फिर भी अंधेरे में रहेगी जैसे कि किसने पैसा दिया और कितना दिया गया। जनता को पता होना चाहिए।
कृष्णमूर्ति ने आगे कहा, यह अब भी कॉरपोरेट और राजनीतिक पार्टियों के बीच सांठगांठ को छिपाकर रखने वाला है जो वांछनीय नहीं है। कुल मिलाकर यह अच्छा सिस्टम नहीं है। यह संभवत: पार्टियों के बीच सिर्फ पैसे की ताकत को बढ़ावा दे सकता है।
जानिए, क्या होते हैं इलेक्टोरल बॉन्ड
ये बॉन्ड प्रॉमिसरी नोट्स की ही तरह इंटरेस्ट फ्री बैंकिंग इंस्ट्रूमेंट्स होंगे। इसे एक विशिष्ट बैंक की मदद से एक योग्य राजनीतिक दल की ओर से ही भुनाया जा सकता है। ये बॉन्ड 1,000 रुपए 10,000 रुपए, एक लाख रुपए, 10 लाख रुपए और एक करोड़ रुपए के मूल्य में भी उपलब्ध होंगे। इन पर दानदाता का नाम नहीं होगा, इसे केवल अधिकृत बैंक खाते के जरिए 15 दिनों के भीतर भुनाया जा सकेगा। बॉन्ड खरीदने वाले को एसबीआई बैंक को केवाइसी की जानकारी देनी होगी।
अरुण जेटली ने बताया कि चुनावी चंदे के लिए ब्याज मुक्त बॉन्ड एसबीआई से जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर में 10 दिनों तक खरीदे जा सकेंगे। आम चुनाव वाले साल में यह विंडो 30 दिनों के लिए खुली रहेगी। वहीं उन्हीं पार्टियों को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए चंदा दिया जा सकेगा, जो कि रिप्रजेंटेशन ऑफ पीपुल एक्ट 1951 के सेक्शन 29 के अतर्गत रजिस्टर्ड होंगी।
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