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बॉम्बे हाई कोर्ट ने मैगी को दी बड़ी राहत, बैन हटाया

मैगी मामले में नेस्ले को बॉम्बे हाईकोर्ट से राहत मिली है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने एफएसएसएआई और एफडीए के खिलाफ नेस्ले की याचिका को मंजूर कर लिया है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने मैगी पर एफएसएसएआई के आदेश को रद्द कर दिया है।

By anand rajEdited By: Published: Thu, 13 Aug 2015 10:36 AM (IST)Updated: Thu, 13 Aug 2015 11:53 AM (IST)
बॉम्बे हाई कोर्ट ने मैगी को दी बड़ी राहत, बैन हटाया

मुबंई। देश भर में सुर्खियों में छाए मैगी मामले में आज बांबे हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने नेस्ले को राहत देते हुए मैगी से बैन हटा दिया है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने एफएसएसएआई और एफडीए के खिलाफ नेस्ले की याचिका को मंजूर करते हुए एफएसएसएआई के आदेश को रद्द कर दिया है।

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साथ ही कोर्ट ने कहा कि एफएसएसएआई को मैगी पर बैन लगाने के फैसले पर सफाई देनी होगी। एफएसएसएआई को 6 वेरिएंट पर जवाब देना होगा। वहीं नेस्ले को मैगी के 3 सैंपल टेस्टिंग लैब में भेजने होंगे। कोर्ट ने ये भी साफ किया है कि नेस्ले फिलहाल मैगी का मैन्युफैक्चरिंग और बिक्री नहीं कर सकती है। मैगी के टेस्ट पूरे होने तक मैगी के मैन्युफैक्चरिंग और बिक्री पर रोक बरकरार रहेगी। नेस्ले को 6 हफ्ते में मैगी की टेस्टिंग पूरी करनी होगी।

इससे पहले केंद्र सरकार ने मैगी बनाने वाली कंपनी नेस्ले इंडिया पर मुकदमा दायर किया है और आरोप लगाया कि कंपनी ने अनुचित व्यापारिक तौर-तरीके अपनाए, उपभोक्ताओं को खराब सामान बेचे और बगैर मंजूरी के मैगी ओट्स नूडल बेचे। यह जानकारी बुधवार को जारी एक आधिकारिक बयान से मिली।

बयान के मुताबिक यह मुकदमा उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के उपभोक्ता कार्य विभाग ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निपटान आयोग (एनसीडीआरसी) में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा-12 (1) (डी) के अंतर्गत किया है। विभाग ने देश में बड़ी संख्या में मैगी के उपभोक्ताओं की ओर से व्यापार के अनुचित तौर-तरीके अपनाने, खराब सामान बेचने और बिना उचित मंजूरी के मैगी ओट्स नूडल्स बेचने के आधार पर नेस्ले इंडिया पर मुकदमा दर्ज कराया है।

शिकायतकर्ता ने कहा कि कंपनी 284,55,00,000 रुपये (284 करोड़ 55 लाख रुपये) की राशि देने के लिए उत्तरदायी है। इसके साथ ही सरकार ने कंपनी से 355,40,70,000 रुपये (355 करोड़ 40 लाख 70 हजार रुपए मात्र) की राशि घोर लापरवाही, उदासीनता और बेरुखी के लिए दंडात्मक जुर्माने के रूप में चुकाने की मांग की है। इस प्रकार कंपनी पर सरकार ने 639,95,70,000 रुपये (639 करोड़ 95 लाख और 70 हजार रुपये) का कुल दावा किया है।


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