जानिए कहां मां की दानपेटी से मिल रहा शिक्षा का आशीष, अब तक आठ हजार बच्चे हो चुके हैं शिक्षित
करीब 450 साल पुराना मां इच्छादेवी का यह प्रसिद्ध मंदिर दो राज्यों मध्यप्रदेश व महाराष्ट्र के श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। यहां पर प्रतिवर्ष करीब 10 लाख श्रद्धालु दर्शन-पूजन करते हैं। माता की दानपेटी से यहां पर एक स्कूल चलता है जिसमें गरीब बच्चों को पढ़ाया जाता है।
जागरण टीम, नई दिल्ली। मध्य प्रदेश-महाराष्ट्र की सीमा पर सतपुड़ा की ऊंची पहाड़ी पर विराजित मां इच्छादेवी का प्रसिद्ध मंदिर न सिर्फ दो राज्यों के लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है बल्कि देशभर से माता के दर्शनों के लिए लोग यहा पहुंचते हैं। मंदिर परिसर में माता की दानपेटी से मिलने वाली राशि से एक स्कूल चलाया जाता है, जहां गरीब बच्चों को शिक्षा के साथ ही शिक्षण सामग्री भी मिलती है। वहीं, अब गरीबों के निशुल्क इलाज के लिए जल्द ही एक अस्पताल भी शुरू करने की योजना पर काम चल रहा है। वहीं, दतिया स्थित मां पीताम्बरा मंदिर का ट्रस्ट देश की पुरातन संस्कृति की प्रतीक संस्कृत भाषा व शास्त्रीय संगीत के अस्तित्व को आधार देने के लिए पिछले 24 वर्षो से यहां संस्कृत और संगीत महाविद्यालय चला रहा है।
करीब 450 साल पुराना मां इच्छादेवी का यह प्रसिद्ध मंदिर दो राज्यों मध्यप्रदेश व महाराष्ट्र के श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। यहां पर प्रतिवर्ष करीब 10 लाख श्रद्धालु दर्शन-पूजन करते हैं। माता की दानपेटी से यहां पर एक स्कूल चलता है, जिसमें गरीब बच्चों को पढ़ाया जाता है। अब तक करीब आठ हजार विद्यार्थी यहां पढ़ चुके हैं।
धर्मार्थ अस्पताल में रहेंगे डाक्टर
मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष फकीरा श्रीपद तोरे एवं सचिव महेश नारायण पातोंडीकर ने बताया कि दानपेटी से ही अब यहां पर एक छोटा सा धर्मार्थ अस्पताल संचालित किया जाएगा। इसमें दो डाक्टर, एक नर्स, एक कंपाउंडर, दो वार्ड बाय रखेंगे। एंबुलेंस की व्यवस्था भी रहेगी।
हर्बल नक्षत्र वाटिका में नक्षत्रों के अनुरूप रहेंगे पौधे
ट्रस्ट के सचिव महेश पातोंडीकर ने बताया कि मंदिर के शिखर के समीप की समतल पहाड़ी पर एक हर्बल नक्षत्र वाटिका बनाने का प्रोजेक्ट तैयार किया है। इसे जिला पंचायत में प्रस्तुत कर प्रशासन से भी सहयोग मांगा गया है। वाटिका में 27 नक्षत्रों के हिसाब से विविध पौधे लगाए जाएंगे। यहां आने वाले श्रद्धालु अपनी राशि व नक्षत्र के हिसाब से संबंधित पौधे की पूजा व परिक्रमा कर उसकी सिंचाई कर सकेंगे।
संस्कृत और संगीत की शिक्षा दे रही पीताम्बरा शक्ति पीठ
शक्ति की आराधना का केंद्र दतिया स्थित मां पीताम्बरा का मंदिर सामाजिक समरसता बढ़ाने में महती भूमिका अदा कर रहा है। मंदिर ट्रस्ट देश की पुरातन संस्कृति की प्रतीक संस्कृत भाषा व शास्त्रीय संगीत के अस्तित्व को आधार देने के लिए पिछले 24 वर्षो से यहां संस्कृत और संगीत महाविद्यालय चला रहा है। ट्रस्ट प्रतिवर्ष 10वीं और 12वीं बोर्ड में मेरिट सूची में आने वाले जिले के प्रत्येक विद्याíथयों को 11-11 हजार रुपये पुरस्कार और प्रोत्साहन स्वरूप वर्षो से दे रहा है।
यहां संचालित उत्कृष्ट संगीत महाविद्यालय में 60 बच्चे गायन वादन में शास्त्रीय और आचार्य की शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। इन्हीं बच्चों को संगीत महाविद्यालय में नौकरी में भी प्राथमिकता मिलती है। प्रिंसिपल और सहायक प्राध्यापक व प्राध्यापकों को यूजीसी से तय वेतनमान दिए जाते हैं।
ट्रस्ट के संस्कृत महाविद्यालय में 70 विद्यार्थी हैं। इन्हें संस्कृत में स्नातक व स्नातकोत्तर की डिग्री दिलाई जाती है। संस्कृत से ही भारतीय संस्कृति बची हुई है, इसे ही मूल उद्देश्य मानकर ट्रस्ट महाविद्यालय का संचालन करता है। एक आयुर्वेदिक चिकित्सा चिकित्सालय भी खोला गया है। जहां पर निशुल्क पंचकर्म व अन्य आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों से तैयार कर दवाइयां लोगों को दी जाती है।
दतिया जिले के पीताम्बरा मंदिर ट्रस्ट के प्रशासक महेश दुबे ने कहा कि ट्रस्ट को तीन स्त्रोत से आय होती है। एक तो भक्तों द्वारा चढ़ाया गया दान, दूसरे प्रसाद के रूप में बेचे जाने वाले लड्डू और तीसरा दुकानों और संपत्तियों का किराया। इस राशि को ट्रस्ट समाज सेवा और संस्कृति को बढावा देने संबंधी कार्यो में खर्च करता है।