एसआईटी रिपोर्ट पर टिकी काले धन की जांच, करना होगा इंतजार
विदेश में जमा काले धन से जुड़ी जानकारी दूसरे देशों से लेने की सरकार की मुहिम फिलहाल एसआइटी की रिपोर्ट आने तक धीमी हो गई
नई दिल्ली। विदेश में जमा काला धन से जुड़ी जानकारी दूसरे देशों से लेने की सरकार की मुहिम फिलहाल एसआइटी की रिपोर्ट आने तक धीमी हो गई है। सुप्रीम कोर्ट की तरफ से गठित विशेष जांच दल (एसआइटी) अपनी रिपोर्ट में सरकार को दूसरे देशों के साथ समझौते करने को लेकर क्या निर्देश देता है, यह देखने के बाद ही वित्त मंत्रालय दूसरे देशों के साथ बातचीत की गाड़ी आगे बढ़ाएगा। इस बारे में अभी स्पष्टता नहीं होने की वजह से वित्त मंत्रालय ने 33 देशों के साथ कर सूचना विनिमय संधि (टीआइईए) करने के लिए प्रस्तावित बातचीत टाल दी है। इसके साथ ही कई देशों के साथ दोहरे कराधान निषेध संधि (डीटीएए) में आवश्यक बदलाव के लिए होने वाली बातचीत भी आगे नहीं बढ़ाई जा रही है।
वित्त मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक जब तक यह पूरी तरह से स्पष्ट न हो जाए कि भारत दूसरे देशो के साथ सूचनाओं के आदान-प्रदान के मामले में कहां तक जा सकता है, तब तक बातचीत का कोई मतलब नहीं है। उम्मीद है कि एसआइटी की रिपोर्ट आने के बाद सुप्रीम कोर्ट की तरफ से यह साफ किया जाएगा कि भारत कर संबंधी सूचनाओं को लेकर दूसरे देशों के साथ कितनी गोपनीयता बरत सकता है। सनद रहे कि सुप्रीम कोर्ट में सरकार की तरफ से विदेशों में काला धन रखने वालों के नाम की सूची सौंपने के साथ ही यह मामला उठा था कि क्या इससे दूसरे देशों के साथ गोपनीयता बरतने के करार का उल्लंघन होता है या नहीें। आशंका जताई जा रही है कि अगर भारत दूसरे देशों के साथ मिली सूचना को सार्वजनिक करता है तो यह उन देशों के साथ किए गए करार का उल्लंघन होगा।
दरअसल, पूर्व संप्रग सरकार के कार्यकाल में ही काले धन से जुड़ी सूचनाओं के आदान प्रदान के लिए 46 देशों के साथ बातचीत शुरू की गई थी। इनमें से 13 देशों के साथ बातचीत पूरी होने के बाद समझौते (टीआइईए) भी हो गए थे। जबकि 33 देशों के साथ बातचीत नई सरकार को आगे बढ़ानी थी। नरेंद्र मोदी की अगुवाई में नई सरकार बनने के कुछ ही दिनों बाद एसआइटी का गठन कर दिया गया। इसके बाद वित्त मंत्रालय ने बातचीत नए सिरे से शुरू करने की अपनी तैयारी रोक दी। माना जाता है कि काले धन को खपाने में ये देश दुनिया भर में कुख्यात हैं। अगर भारत सरकार इन देशों के साथ समझौते कर लेती है तो किसी भी भारतीय के लिए इन देशों में छिपाई गई राशि के बारे में जानकारी हासिल करना आसान हो जाएगा।