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टीपू सुल्तान की जयंती को लेकर गरमाई सियासत, भाजपा कार्यकर्ता सड़क पर उतरे

कर्नाटक सरकार पिछले दो सालों से टीपू सुल्तान की जयंती मना रही है। भाजपा,राज्य सरकार के इस फैसले के खिलाफ है और इस कार्यक्रम को रद्द करने की मांग कर रही है।

By TaniskEdited By: Published: Fri, 09 Nov 2018 12:12 PM (IST)Updated: Fri, 09 Nov 2018 12:46 PM (IST)
टीपू सुल्तान की जयंती को लेकर गरमाई सियासत, भाजपा कार्यकर्ता सड़क पर उतरे
टीपू सुल्तान की जयंती को लेकर गरमाई सियासत, भाजपा कार्यकर्ता सड़क पर उतरे

बैंगलोर, एएनआइ। कर्नाटक में हर साल की तरह इस साल भी मैसूर के शासक टीपू सुल्‍तान की जयंती पर आयोजित होने वाले कार्यक्रम को लेकर सियासत गरमा गई है। शनिवार को टीपू सुल्तान की जयंती से पहले आज भाजपा के कार्यकर्ता इसके विरोध में सड़क पर उतर आए हैं। कर्नाटक सरकार पिछले दो सालों से टीपू सुल्तान की जयंती मना रही है। भाजपा, राज्य सरकार के इस फैसले के खिलाफ है और लगातार इस कार्यक्रम को रद करने की मांग कर रही है। 

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कर्नाटक भाजपा के अध्यक्ष बीएस येदियुरप्पा ने कार्यक्रम का विरोध करते हुए कहा है कि,हम टीपू जयंती का विरोध कर रहे हैं। इस जयंती की कोई सराहना नहीं करेगा। राज्य के हित के लिए सराकर को इसे नहीं मनाना चाहिए। टीपू जयंती मनाकर सरकार केवल मुस्लिम समाज को खुश करना चाहती है।

 वहीं राज्य सरकार भाजपा पर इस मुद्दे पर सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का आरोप लगा रही है। कर्नाटक मंत्री डीके शिवकुमार ने कार्यक्रम को सही बताते हुए कहा कि टीपू सुल्तान का इतिहास काफी लंबा है। अगर हम उनकी जयंती मनाते हैं, तो इसमें मुझे कोई बुराई नहीं दिखती। भाजपा का अपना राजनैतिक अजेंडा है। वो बस हिंदू और अल्पसंख्यकों के बीच मतभेद पैदा करना चाहते हैं।

 कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने पहले ही कह दिया है कि राज्य सरकार टीपू सुल्‍तान की जयंती मनाएगी। कर्नाटक के गृहमंत्री जी परमेश्‍वरा ने कहा है कि सरकार एक बार फिर से टीपू जयंती मना रही है। इसको देखते हुए उन्‍होंने पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक की है और कानून व व्यवस्था को बनाए रखने के लिए सुरक्षा इंतजामों की समीक्षा भी की है।

 बता दें कि केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार हेगड़े ने राज्य सरकार सके इस कार्यक्रम में शामिल होने मना कर दिया है। बीजेपी वर्ष 2016 से ही टीपू जयंती समारोह को लेकर विरोध कर रही है। उनके अनुसार टीपू कन्नड़ भाषा और हिंदू धर्म के विरोधी थे।

 गौरतलब है कि पिछले साल टीपू सुल्‍तान की जयंती के अवसर पर कई जगहों पर हिंसा हुई थी। इससे पूर्व साल 2015 में जयंती मनाए जाने के दौरान झड़प में दो लोगों की मौत भी हो गई थी।


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