प्रणब पर बंटा राजग
राष्ट्रपति चुनाव को राजग का दायरा बढ़ाने का मौका मान रही भाजपा को उसके सहयोगियो ने ही झटका दे दिया है। प्रणब मुखर्जी के खिलाफ उम्मीदवार उतारने के सवाल पर भाजपा के सहयोगी एक-एक कर दूर होते जा रहे है। पहले जदयू ने प्रणब के पक्ष मे झुकाव दिखाया और इसके बाद शिवसेना ने बैठक से दूरी बनाकर राजग मे मतभेदो को पुख्ता कर दिया। यही हाल भाजपा का भी है और पार्टी के ज्यादातर बड़े नेता सिर्फ विरोध के लिए लड़ने के पक्ष मे नही है, लेकिन लालकृष्ण आडवाणी और सुषमा स्वराज संप्रग उम्मीदवार के खिलाफ चुनाव लड़ने के मुद्दे पर अडिग है।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। राष्ट्रपति चुनाव को राजग का दायरा बढ़ाने का मौका मान रही भाजपा को उसके सहयोगियों ने ही झटका दे दिया है। प्रणब मुखर्जी के खिलाफ उम्मीदवार उतारने के सवाल पर भाजपा के सहयोगी एक-एक कर दूर होते जा रहे हैं। पहले जदयू ने प्रणब के पक्ष में झुकाव दिखाया और इसके बाद शिवसेना ने बैठक से दूरी बनाकर राजग में मतभेदों को पुख्ता कर दिया। यही हाल भाजपा का भी है और पार्टी के ज्यादातर बड़े नेता सिर्फ विरोध के लिए लड़ने के पक्ष में नहीं हैं, लेकिन लालकृष्ण आडवाणी और सुषमा स्वराज संप्रग उम्मीदवार के खिलाफ चुनाव लड़ने के मुद्दे पर अडिग हैं।
इन मतभेदों के चलते ही रविवार को राजग के कार्यकारी अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी के आवास पर हुई गठबंधन की दूसरी बैठक भी बेनतीजा रही। दो घंटे मंथन के बाद और चर्चा की जरूरत बताई गई। बैठक में जदयू नेता शरद यादव और शिवानंद तिवारी ने मुखर्जी का समर्थन किया। शिवसेना ने बैठक में शामिल न होकर मुंबई में अलग से चर्चा की। इसके बाद कलाम नहीं तो कोई और नहीं की बात कहकर साफ कर दिया कि प्रणब के खिलाफ पार्टी संगमा को समर्थन नहीं देगी। अकाली दल का चुनाव के प्रति कोई रुझान नहीं है। बैठक के बाद राजग संयोजक शरद यादव ने कहा कि आडवाणी राजग प्रत्याशी को लेकर गठबंधन के सभी मुख्यमंत्रियों और दूसरे दलों से चर्चा करेंगे।
भाजपा के अंदर मतभेद को हवा दी बिहार भाजपा अध्यक्ष सीपी ठाकुर ने। ठाकुर ने प्रणब को काबिल उम्मीदवार करार देते हुए कहा कि केवल विरोध के लिए विरोध ठीक नहीं है। शत्रुघ्न सिन्हा ने भी ठाकुर की बात का समर्थन किया। सूत्रों के मुताबिक, भाजपा कोर ग्रुप के कई नेता प्रणब का साथ देने के पक्षधर हैं। सहयोगियों में केवल जनता पार्टी अध्यक्ष सुब्रमण्यम स्वामी ही आडवाणी के साथ हैं।
सूत्रों के मुताबिक पूर्व राष्ट्रपति कलाम के दौड़ से बाहर होने के बाद आडवाणी पीए संगमा को समर्थन देने के पक्षधर हैं। आडवाणी और उनकी सोच के नेता इसी बहाने नवीन पटनायक एवं जयललिता से संपर्क साधने के पक्ष में हैं। संगमा के समर्थन के लिए भाजपा ने ममता बनर्जी से संपर्क साधा है। साथ ही पटनायक और जयललिता से बात करने की सलाह दी है। संगमा खुद ममता से बात कर ही चुके हैं।
आडवाणी चाहते हैं बड़ा उलटफेर
लालकृष्ण आडवाणी का गणित है कि राजग के 28 फीसद वोटों के अलावा तृणमूल काग्रेस, अन्नाद्रमुक, बीजद, वामदलों, आजसू, झामुमो सहित कुछ अन्य छोटे दल मिल जाएं तो यह आकड़ा 50 फीसद के करीब होगा। ऐसे में संप्रग प्रत्याशी को कड़ी टक्कर दी जा सकती है।
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