चुनाव लड़ना है तो भाजपा नेताओं को होना पड़ेगा डिजिटल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्टी सांसदों को आगाह कर दिया है कि आने वाले चुनाव फोन पर लड़े जाएंगे।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। भाजपा के सांसदों, विधायकों व पार्टी टिकट की तलाश करने वाले नेताओं को डिजिटल रूप से दक्ष होना ही पड़ेगा। चाहे अनचाहे उनकी योग्यता का एक मापदंड यह भी होगा कि वह डिजिटल माध्यम से लोगों तक अपनी पहुंच बनाने मे कितने सफल हैं।
खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्टी सांसदों को आगाह कर दिया है कि आने वाले चुनाव फोन पर लड़े जाएंगे। यानी नए जमाने में करोड़ों लोगों के हाथों में अक्सर रहने वाला फोन संवाद का सबसे बड़ा माध्यम है और डिजिटल भाषा प्रचार का शक्तिशाली हथियार।
यूं तो प्रधानमंत्री की ओर से कई बार सांसदों को यह मंत्र दिया गया है। सोशल मीडिया में सांसदों की सक्रियता को लेकर लगातार आकलन भी होता रहा है और सुझाव भी दिए जाते रहे हैं। एक एप भी तैयार किया गया था जिसे हर भाजपा सांसदों ने फोन पर डाउनलोड भी किया। लेकिन यह संकेत मिलने लगा है कि नेतृत्व अभी पूरी तरह संतुष्ट नहीं है।
शुक्रवार को दक्षिणी झारखंड के भाजपा सांसदों के समूह से मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री ने इसे फिर से दोहराया। बताते हैं कि उन्होंने नए जमाने के वोटरों में डिजिटल जानकारी के प्रति बढ़ी रुचि का जिक्र करते हुए कहा कि जनता के कल्याण के चलाई जा रही योजनाओं का प्रचार भी डिजिटल माध्यम से होना चाहिए और हर नेता को अपना विचार भी इस माध्यम से आगे बढ़ाना चाहिए। इस क्रम में उन्होंने खासतौर से कृषि सिंचाई योजना का जिक्र किया। जीएसटी जैसे ऐतिहासिक मुद्दे को जनता तक पहुंचाने के लिए भी उन्होंने सीधा संवाद और डिजिटल प्रयास की बात की। बताते हैं कि प्रधानमंत्री ने सांसदों से हर राज्य में केंद्रीय योजनाओं का फीडबैक भी मांगा। खासतौर से झारखंड जैसे उन राज्यों से केंद्र की अपेक्षाएं ज्यादा है जहां भाजपा की ही सरकार है।
नाश्ते पर बुलाई गई लगभग एक घंटे की अनौपचारिक बैठक में प्रधानमंत्री की ओर से संदेश स्पष्ट था कि नेता जमीन पर जाएं, लोगों से संवाद करें लेकिन डिजिटल के माध्यम से उन लोगों से भी जुड़ें जो पहुंच से दूर हैं। खासकर युवा वर्गो को आकर्षित करने का यही एक माध्यम है।