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बायोलाजिकल ई ने डीजीसीआइ से बूस्टर डोज के तौर पर कोर्बेवैक्स के फेज-3 ट्रायल की मांगी अनुमति

हैदराबाद स्थित फार्मास्युटिकल कंपनी बायोलाजिकल ई ने ड्रग रेगुलेटर से अपनी कोरोना वैक्सीन कोर्बेवैक्स के फेज -3 का क्लिनिकल ट्रायल करने की अनुमति मांगी है। इसका इस्तेमाल कोविशील्ड और कोवैक्सीन के बूस्टर डोज के तौर पर हो सकता है।

By TaniskEdited By: Published: Tue, 12 Oct 2021 07:14 PM (IST)Updated: Tue, 12 Oct 2021 07:14 PM (IST)
कोर्बेवैक्स के फेज -3 का क्लिनिकल ट्रायल करने की अनुमति मांगी गई।

नई दिल्ली, पीटीआइ। हैदराबाद की दवा कंपनी बायोलाजिकल ई ने भारतीय दवा नियामक से बूस्टर डोज के रूप में अपनी कोरोना वैक्सीन कोर्बेवैक्स के तीसरे चरण के परीक्षण की मंजूरी मांगी है। कोविशील्ड या कोवैक्सीन ले चुके लोगों पर इसकी एक डोज का बूस्टर डोज के रूप में परीक्षण किया जाएगा। इस समय कोर्बेवैक्स के दूसरे और तीसरे चरण का क्लीनिकल परीक्षण चल रहा है और इसके नतीजे इसी महीने आने की उम्मीद है। कोवैक्सीन के बाद यह दूसरी स्वदेशी कोरोना रोधी वैक्सीन है।

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परीक्षण के बाद मंजूरी मिलने पर 18 से 80 वर्ष आयुवर्ग के लोगों को लगाई जाएगी। इस बीच, कंपनी ने भारत के दवा महानियंत्रक (डीसीजीआइ) के यहां बूस्टर डोज के रूप में कोर्बेवैक्स की तीसरे चरण का परीक्षण करने के लिए आवेदन किया है। इसमें कंपनी ने कहा है, 'हाल के दिनों में इस तरह की खबरें आ रही हैं कि कोरोना वैक्सीन लेने वाले लोगों में एंटीबाडी का स्तर कम हो रहा है। इसके अलावा कई देशों में बूस्टर डोज लगाई जा रही है या लगाने की प्रक्रिया शुरू की गई है। इसको देखते हुए कंपनी भी पूरी डोज ले चुके लोगों पर कोर्बेवैक्स की एक डोज को बूस्टर डोज के रूप में परीक्षण करने की अनुमति चाहती है।'

आवेदन में आगे कहा गया कि इसे ध्यान में रखते हुए हम इसके साथ ही कोविशील्ड या कोवैक्सीन से टीकाकरण कराने वाले लोगों पर कोर्बेवैक्स की का मूल्यांकन करने के लिए फेज -3 क्लिनिकल स्टडी करने के लिए एनओसी के लिए आवेदन कर रहे हैं। पिछले हफ्ते डीजीसीआइ को आवेदन दिया गया है।

केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) की कोविड-19 पर सबजेक्ट एक्सपर्ट कमीटी (SEC) अपनी अगली बैठक में इस मामले को उठा सकती है। डीसीजीआइ ने सितंबर में बायोलाजिकल ई को कुछ शर्तों के साथ 5 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों के टीके के लिए फेज 2/3 क्लिनिकल ट्रायल की अनुमति दी थी। सरकार ने पिछले हफ्ते कहा था कि कोरोना टीकों की बूस्टर खुराक के उपयोग से संबंधित विज्ञान अभी भी विकसित हो रहा है और घटनाक्रम पर करीब से नजर रखी जा रही है। एक संवाददाता सम्मेलन में, नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डा वीके पाल ने कहा था कि कई अध्ययन हैं, जो बूस्टर खुराक के विषय पर विचार कर रहे हैं।


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