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सीबीआइ, ईडी के निदेशकों से संबंधित विधेयक संसद से पास, कार्यकाल दो साल से बढ़ाकर पांच साल किया जा सकेगा

सीबीआइ और ईडी के निदेशकों के कार्यकाल की वर्तमान सीमा दो साल से बढ़ा कर पांच साल तक करने के प्रविधान वाले विधेयकों को मंगलवार को संसद की मंजूरी मिल गई। लोकसभा से ये दोनों विधेयक नौ दिसंबर को पारित हो चुके हैं।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Tue, 14 Dec 2021 07:08 PM (IST)Updated: Tue, 14 Dec 2021 08:48 PM (IST)
सीबीआइ, ईडी के निदेशकों से संबंधित विधेयक संसद से पास।

नई दिल्ली, एजेंसी। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के निदेशकों के कार्यकाल की वर्तमान सीमा दो साल से बढ़ा कर पांच साल तक करने के प्रविधान वाले विधेयकों को मंगलवार को संसद की मंजूरी मिल गई। राज्यसभा ने विपक्ष की अनुपस्थिति में इन विधेयकों को पास कर दिया। राज्यसभा में मंगलवार को 'दिल्ली विशेष पुलिस स्थापन (संशोधन) विधेयक 2021' और 'केंद्रीय सतर्कता आयोग (संशोधन) विधेयक 2021' को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी गई।

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लोकसभा से ये दोनों विधेयक नौ दिसंबर को पारित हो चुके हैं। कार्मिक, शिकायत एवं प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने उच्च सदन में ये विधेयक जैसे ही चर्चा के लिए पेश किए नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने राज्यसभा के 12 सदस्यों के निलंबन का मुद्दा उठाया जिसे सदन के उप सभापति ने नकार दिया। इस पर विपक्षी सदस्य सदन से बाहर चले गए।बहस के दौरान, जनता दल-यूनाइटेड के सदस्य राम नाथ ठाकुर ने बिल का समर्थन करते हुए, बिहार में 46 साल से लंबित एक हत्या की जांच का एक उदाहरण भी दिया, जिसमें आग्रह किया गया कि जांच का एक निश्चित समय होना चाहिए जिसके भीतर जांच पूरी हो।

तमिल मनिला कांग्रेस के जीके वासन, असम गण परिषद के बीरेंद्र प्रसाद वैश्य, भाजपा के बृजलाल, वाइएसआरसीपी के पिल्ली सुभाष चंद्र बोस ने भी विधेयकों के समर्थन में बात की। भाजपा सदस्य सुरेश प्रभु ने संस्थानों और उन संस्थानों को चलाने वाले लोगों के महत्व पर जोर दिया। भाजपा के सुशील कुमार मोदी ने भ्रष्टाचार के खतरे से छुटकारा पाने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों के बारे में विस्तार से बताया। इससे पहले संसदीय कार्य राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने दिल्ली विशेष पुलिस स्थापन (संशोधन) विधेयक 2021 और 'केंद्रीय सतर्कता आयोग (संशोधन) विधेयक 2021' पर एक साथ चर्चा कराए जाने का प्रस्ताव रखा।

उन्होंने कहा कि हम दोनों विधेयकों को साथ साथ ले सकते हैं और इन पर एक साथ चर्चा की जा सकती है। कुछ सदस्यों ने इस पर विरोध जताया। इस पर उप सभापति हरिवंश ने दोनों विधेयकों पर अलग अलग चर्चा कराने का फैसला किया।


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