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UPSC और Aadhaar की वेबसाइट से छेड़छाड़, UIDAI का दावा-नहीं हुई हैक

हैकर्स ने यूपीएससी और आधार की साइट को हैक कर लिया गया है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Tue, 11 Sep 2018 04:31 PM (IST)Updated: Tue, 11 Sep 2018 11:58 PM (IST)
UPSC और Aadhaar की वेबसाइट से छेड़छाड़, UIDAI का दावा-नहीं हुई हैक

नई दिल्‍ली, जेएनएन। देश में साइबर सिक्‍योरिटी पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। एक दिन में दो प्रमुख साइट को हैकर्स ने हैक कर लिया है। हैकर्स ने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की वेबसाइट को सोमवार रात हैक कर लिया।

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वेबसाइट http://www.upsc.gov.in/ के होमपेज पर जाने पर एक कार्टून कैरेक्टर डोरेमॉन की तस्वीर लगी दिख रही थी, जिस पर लिखा था, 'डोरेमॉन!!! फोन उठाओ.' इस पेज के निचले हिस्से में 'आई.एम. स्ट्यूपीड' (I.M. STEWPEED) लिखा था और साथ ही बैकग्राउंड में इस कार्टून सीरियल का टाइटल ट्रैक बज रहा था। वहीं दूसरी ओर आधार की साइट को भी हैक किए जाने की खबर है।  उधर, भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) ने आधार सॉफ्टवेयर की हैकिंग की खबरों को सिरे से खारिज कर दिया है। 

'हफपोस्ट इंडिया' का दावा, हैक किया जा सकता है आधार का डाटा
नई दिल्ली, आइएएनएस। आधार डेटा की सिक्योरिटी एक ऐसा टॉपिक है जो इसकी शुरुआत से ही सवालों के घेरे में है। अब आधार का डेटा फिर से एक बार खबरों में है क्योंकि तीन महीने तक चले एक इन्वेस्टिगेशन में दावा किया गया है कि एक सॉफ्टवेयर पैच है जो आधार आइडेंटिटी डेटाबेस में स्टोर डेटा की सिक्योरिटी को खतरे में डाल देता है। इन खबरों के बीच कांग्रेस ने मंगलवार को कहा कि यूआइडीएआइ में दर्ज लोगों के विवरण खतरे में हैं।

'हफपोस्ट इंडिया' की रिपोर्ट में बताया गया है कि एक पैच, जिसे यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (यूआइडीएआइ) द्वारा डेवलप नहीं किया गया है, इसकी मदद से कथित तौर पर हैकर्स आधिकारिक आधार एनरोलमेंट सॉफ्टवेयर के सिक्योरिटी फीचर को बंद कर अनधिकृत आधार नंबर जेनरेट कर रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, कोई भी अनधिकृत व्यक्ति 2,500 रुपये में आसानी से मिलने वाले इस पैच के जरिये दुनियाभर में कहीं भी आधार आइडी बना सकता है।

रिपोर्ट के बाद कांग्रेस ने एक ट्वीट में कहा, 'आधार नामांकन सॉफ्टवेयर के हैक हो जाने से आधार डेटाबेस की सुरक्षा खतरे में आ सकती है। हमें उम्मीद है कि अधिकारी भावी नामांकनों को सुरक्षित करने और संदिग्ध नामांकनों की पुष्टि के लिए उचित कदम उठाएंगे।'

बता दें कि पिछले महीने फ्रांसीसी सुरक्षा विशेषज्ञ इलियट एल्डर्सन ने यूआइडीएआइ से सवाल किया था कि क्यों यूआइडीएआइ का हेल्पलाइन नंबर कई लोगों के फोन पर उनकी जानकारी के बिना दर्ज हो गया था। इस पर काफी विवाद हुआ था। अब उन्होंने एक बार फिर कहा है कि यूआइडीएआइ डेटा में सेंध को रोकने के लिए हैकर्स के साथ काम करें। उन्होंने कहा, 'मैं दोहराता हूं कि कोई भी चीज ऐसी नहीं है जिसे हैक नहीं किया जा सकता। यह आधार पर भी लागू होता है। कभी भी बहुत देर नहीं होती। सुनिए और हैकर्स को धमकी देने के बजाय उनसे बात कीजिए।'

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यूआइडीएआइ के प्रस्ताव पर केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया जवाब
केंद्र सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में बताया कि ऑनलाइन प्लेटफॉ‌र्म्स की निगरानी के लिए सोशल मीडिया एजेंसी हायर करने के यूआइडीएआइ के प्रस्ताव में वह तृणमूल कांग्रेस की विधायक महुआ मोइत्रा के सुझाव भी शामिल करेगी। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष अटॉर्नी जनरल ने कहा कि वह इस संबंध में जल्द ही हलफनामा दाखिल करेंगे। महुआ ने आरोप लगाया था कि सोशल मीडिया मॉनिटरिंग एजेंसी हायर करने का उद्देश्य सोशल मीडिया प्लेटफॉ‌र्म्स पर निगरानी बढ़ाना है। मामले की अगली सुनवाई अगले हफ्ते होगी।

वेब एप्लीकेशन का शिकार होने में भारत सातवां प्रमुख देश
एक रिपोर्ट के मुताबिक वेब एप्लीकेशन हमले के मामले में भारत दुनिया में सातवें स्थान पर है। दरअसल, साल 2017 में हुए 53,000 साइबर हमले का करीब 40 फीसद शिकार भारत का फाइनेंस सेक्टर हुआ है। एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत को वेब एप्लीकेशन अटैक (डब्ल्यूएए) के मामले में टारगेटेड देशों की सूची में सातवें स्थान पर रखा गया है। हैकर्स की निगाहें बैंक, निवेश एजेंसी और बीमा कंपनियों पर टिकी है।

हैकर्स ने भारत में बैंकिंग, फाइनेंस और बीमा सेक्टर को निशाना बनाया है। हैकर्स ने इसके लिए फिशिंग, वेबसाइट घुसपैठ, वायरस और रैनसमवेयर जैसे तरीके का इस्तेमाल किया है।

जानकारों के मुताबिक हमलावरों का बड़ा मकसद हमेशा वित्तीय फायदे का रहा है। पिछले कुछ सालों में हैकर्स ने अपने टारगेट को निशाना बनाने के लिए रैनसमवेयर जैसे तरीके का ज्यादा इस्तेमाल किया है। अकामाई स्टेलट ऑफ इंटरनेट सिक्योररिटी क्यू 4 2017 की रिपोर्ट के मुताबिक डिस्ट्रिब्यूटेड डिनायल ऑफ सर्विस (DDoS) हमले BFSI सेक्टर में पिछली तिमाही की तुलना में 2017 के चौथी तिमाही में 50 फीसद और बढ़ गए हैं।

पिछली तिमाही में 37 संगठनों में डीडीओएस हमले देखे गए थे जबकि इस बार हमले की संख्या बढ़कर 298 हो गई है। वहीं भारत से हटकर अमेरिका की बात की जाए, तो यहां 2017 की पिछली तिमाही की तुलना में डीडीओएस हमले में 31 फीसद की बढ़ोतरी हुई है।


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