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CAA के समर्थन में पाकिस्तान से आए हिंदुओं की रैली, जंतर-मंतर से भाजपा मुख्यालय तक

भारत आए लगभग पांच हजार भूवी हिंदू 18 जनवरी को दिल्ली में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के समर्थन में रैली करेंगे।

By Manish PandeyEdited By: Published: Mon, 13 Jan 2020 07:39 PM (IST)Updated: Mon, 13 Jan 2020 07:39 PM (IST)
CAA के समर्थन में पाकिस्तान से आए हिंदुओं की रैली, जंतर-मंतर से भाजपा मुख्यालय तक
CAA के समर्थन में पाकिस्तान से आए हिंदुओं की रैली, जंतर-मंतर से भाजपा मुख्यालय तक

नई दिल्ली, पीटीआइ। पाकिस्तान से धार्मिक उत्पीड़न के चलते भागकर भारत आए लगभग पांच हजार भूवी हिंदू 18 जनवरी को दिल्ली में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के समर्थन में रैली करेंगे। भूवी समुदाय के राष्ट्रीय अध्यक्ष वेंकटेश मौर्य ने सोमवार को यह जानकारी दी।

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सीएए में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से धार्मिक उत्पीड़न के चलते भागकर 31 दिसंबर, 2014 तक भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान है।

मौर्य ने बताया कि यह रैली जंतर मंतर से शुरू होगी और भाजपा मुख्यालय पर जाकर खत्म होगी। भूवी समुदाय के सदस्य देश के कई हिस्सों में रहते हैं और उन्हें वड्डरा, बोयर और ओड के नाम से भी जाना जाता है। इस समुदाय के लोग ज्यादातर पत्थरों को तोड़कर घरेलू सामान बनाते हैं।

यह समुदाय पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, मध्य प्रदेश और कर्नाटक में अनुसूचित जाति में शामिल है। जबकि देश के दूसरे हिस्सों में इन्हें अन्य पिछड़ा वर्ग और अति पिछड़ा वर्ग में शामिल किया गया है।

मौर्य ने बताया कि विभाजन के बाद से पाकिस्तान से लगभग 22 लाख लोग भागकर भारत आए हैं। पिछले कुछ वर्षो में ही दो हजार लोग भारत आए हैं। उन्होंने कहा कि इनमें से बहुतों को भारतीय नागरिकता मिल गई है। लेकिन अभी भी हरियाणा में हजारों लोगों और दिल्ली में दो हजार लोगों को नागरिकता नहीं मिली है। दिल्ली में संजय कॉलोनी में इनकी संख्या ज्यादा है। मौर्य ने कहा कि इस समुदाय के कल्याण के लिए सरकार को हर परिवार को एक घर और एक सदस्य को नौकरी देनी चाहिए।

पाकिस्तान में अपने साथ हुई ज्यादती को याद करते हुए 74 वर्षीय दिव्यराम ने बताया कि वह साल 2000 में भारत आए। पाकिस्तान में उनके पास कई एकड़ जमीन थी। उन पर और उनके रिश्तेदारों पर इस्लाम धर्म कुबूल करने के लिए बहुत दबाव बनाया जा रहा था, जिसकेचलते उन्हें अपना सबकुछ छोड़कर आना पड़ा।


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