भीमा कोरेगांव हिंसा: तेलंगाना डेमोक्रेटिक फोरम का वरवर राव की गिरफ्तारी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन
भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में महाराष्ट्र पुलिस ने अगस्त में कई जगह छापे मारे थे, जिसके बाद वरवर राव को हैदराबाद से, फरीदाबाद से सुधा भारद्वाज और दिल्ली से गौतम नवलखा को गिरफ्तार किया था।
हैदराबाद, एएनआइ। तेलंगाना डेमोक्रेटिक फोरम के कार्यकताओं ने भीमा कारेगांव हिंसा मामले में वरवर राव की गिरफ्तारी को लेकर हैदराबाद के सिटी धरना चौक पर विरोध प्रदर्शन किया। भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में महाराष्ट्र पुलिस ने अगस्त में कई जगह छापे मारे थे, जिसके बाद वरवर राव को हैदराबाद से, फरीदाबाद से सुधा भारद्वाज और दिल्ली से गौतम नवलखा को गिरफ्तार किया था।
16 दिसंबर को वरवर राव को पुणे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। इससे पहले वह हैदराबाद के गांधीनगर स्थिति अपने फ्लैट में हाउस अरेस्ट थे। भीमा कोरेगांव हिंसा में शुरुआत से उनका नाम लिया जा रहा था। वरवर राव की गिरफ्तारी का विरोध कर रहीं महिला कार्यकर्ता ने कहा, 'हमारा यह विरोध प्रदर्शन मानवाधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ है। भीमा कोरेगांव मामले में कई बुद्धिजीवियों, लेखकों और वकीलों को गिरफ्तार किया गया है। इन पर गैरकानूनी केस दर्ज किए गए हैं। हम इन सभी मामलों पर अपना विरोध दर्ज कराने के लिए जुटे हैं। यह विरोध प्रदर्शन पूरे देश के किया जा रहा है। लेकिन अभी तक मोदी सरकार के कानों में लोकतंत्र की आवाज नहीं पहुंच रही है।'
तेलुगु कवि और माओवादी समर्थक वरवर राव को पुणे सत्र न्यायालय ने 26 नवंबर तक पुलिस हिरासत में भेजा गया था। सहायक पुलिस आयुक्त और जांच अधिकारी शिवाजी पवार ने बताया कि हैदराबाद हाई कोर्ट द्वारा बढ़ाई गई राव की नजरबंदी की मियाद 15 नवंबर को पूरी हो गई थी। शुक्रवार को हैदराबाद की अदालत ने पुणे पुलिस द्वारा ट्रांजिट वारंट के खिलाफ दायर की गई राव की अर्जी को खारिज कर दिया था, जिसके बाद यह कार्रवाई की गई।
भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में महाराष्ट्र पुलिस ने अगस्त में कई जगह छापे मारे थे, जिसके बाद वरवर राव को हैदराबाद से, फरीदाबाद से सुधा भारद्वाज और दिल्ली से गौतम नवलखा को गिरफ्तार किया था। जबकि ठाणे से अरण फरेरा और गोवा से वेरनन गोंजाल्विस को गिरफ्तार किया गया था। हालांकि बाद में हाई कोर्ट ने गौतम नवलखा को रिहा कर दिया था। पुलिस का आरोप था कि इन पांचों का संबंध उन माओवादियों से है, जिन्होंने पिछले साल 31 दिसंबर को यलगार परिषद का आयोजन किया था। पुलिस का आरोप है कि परिषद का ही भीमा-कोरेगांव युद्ध स्मारक के पास हिंसा भड़काने में हाथ रहा है।