किस दल में नहीं है व्यक्ति पूजा की राजनीति
हर हर मोदी, घर घर मोदी नारे एवं भाजपा नेता नरेंद्र मोदी पर लग रहे व्यक्ति पूजा के आरोप पर संतों का एक वर्ग यह सवाल भी खड़े कर रहा है कि आज किस दल में व्यक्तिपूजा की राजनीति नहीं हो रही है।
ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। हर हर मोदी, घर घर मोदी नारे एवं भाजपा नेता नरेंद्र मोदी पर लग रहे व्यक्ति पूजा के आरोप पर संतों का एक वर्ग यह सवाल भी खड़े कर रहा है कि आज किस दल में व्यक्तिपूजा की राजनीति नहीं हो रही है।
महाराष्ट्र के ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी सामाजिक सेवाओं के अलावा राजनेताओं के बीच भी प्रहरी दखल रखनेवाले इंदौर के भय्यू जी महाराज का मानना है कि आज व्यक्तिवादी राजनीति से कोई भी दल अछूता नहीं है। वह सवाल करते हैं कि इतने वर्षो से जबकांग्रेस व्यक्तिवादी राजनीति करती आ रही है तो किसी ने आपत्ति क्योंनहीं की? समाजवादी पार्टी और नेशनल कांफ्रेंस सहित अन्य जैसे दलों में व्यक्तिवादी राजनीति होती आ रही है तो इस ओर किसी का ध्यान क्योंनहीं जाता? संन्यास आश्रम मुंबई स्थित दशनामी संप्रदाय के महामंडलेश्वर स्वामी विश्वेस्वरानंद महाराज का कहते हैं कि कुछ व्यक्तियोंद्वारा दिया जा रहा कोई राजनीतिक नारा किसी की व्यक्तिगत भावना हो सकती है। इस पर संत संप्रदाय को बखेड़ा नहीं खड़ा करना चाहिए। हिंदू धर्म में ज्यादातर नाम किसी न किसी देवी-देवता के नाम पर ही रखे जाते हैं। ऐसी स्थिति में यदि कोई उस नाम की जय जयकार बोलता है, तो इसे देवी-देवताओं या धर्म का अपमान नहीं माना जाना चाहिए।
नरेंद्र मोदी के गृहराज्य गुजरात स्थित हिंदू धर्म आचार्य सभा के महामंत्री महामंडलेश्वर स्वामी परमात्मानंद कहते हैं कि भारतवर्ष में लोगों की मानसिकता ही ऐसी है कि लोगस्वयं को व्यक्तिवाद से अलग नहीं कर पाते। यही कारण है कि हम गांधी जी के आदर्शो से ज्यादा स्वयं गांधी जी के प्रति ज्यादा समर्पित हो जाते हैं। यह प्रवृत्ति पहले भी थी, लेकिन आजादी के बाद यह ज्यादा बढ़ गई है। अब तो कोई भी दल व्यक्तिवादकी राजनीति से अलग नहीं रह गया है। भाजपा में तो यह प्रवृत्ति आज नजर आने लगी है। कांग्रेस में तो यह वर्षो से है। स्वामी परमात्मानंद के अनुसार जहां तक हर हर मोदी नारे का प्रश्न है, यह नारा स्वयं नरेंद्र मोदी का दिया हुआ तो है नहीं। इसलिए इस नारे के लिए उन्हें दोषी नहीं ठहराया जाना चाहिए।
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''कोई राजनीतिक नारा किसी की व्यक्तिगतभावना हो सकती है। इस पर संत संप्रदाय को बखेड़ा नहीं खड़ा करना चाहिए।'' -महामंडलेश्वर स्वामी विश्वेस्वरानंद महाराज