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Bengaluru advocates association ने लिखा CJI को पत्र, जजों के ट्रांसफर को लेकर की ये मांग

Bengaluru advocates association ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को पत्र लिखकर मांग की है कि जजों की ट्रांसफर प्रक्रिया में पारदर्शिता की मांग की है।

By Ayushi TyagiEdited By: Published: Wed, 25 Sep 2019 08:56 AM (IST)Updated: Wed, 25 Sep 2019 08:58 AM (IST)
Bengaluru advocates association ने लिखा CJI को पत्र, जजों के ट्रांसफर को लेकर की ये मांग
Bengaluru advocates association ने लिखा CJI को पत्र, जजों के ट्रांसफर को लेकर की ये मांग

कर्नाटक, एएनआइ। बेंगलुरु की एडवोकेट्स एसोसिएशन ने मंगलवार को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई को पत्र लिखकर जजों के ट्रांसफर में पारदर्शिता की मांग की है। यह पत्र मद्रास हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश वी के ताहिलरमानी के इस्तीफे के बाद लिखा गया है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने ताहिलरमानी का ट्रांसफर कर दिया था जिसके बाद उन्होंने अपने पद से ही इस्तीफा दे दिया। इसी के साथ  न्यायमूर्ति अकिल कुरैशी के ट्रांसफर से संबंधित आदेश कॉलेजियम द्वारा संशोधित किया गया था।

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पत्र में लिखा गया है कि जब संवैधानिक अदालतों के जज रहस्यमय परिस्थितियों में इस्तीफा देते हैं, या मुख्य न्यायाधीश के रूप में उनके ट्रांसफर कर दिया जाता है, तो यह न्यायिक प्रणाली में जनता के विश्वास को हिला देता है और उच्चतर निर्णय लेने वाले निकाय में उन लोगों के लिए कई असुविधाजनक प्रश्न छोड़ देता है। एसोसिएशन ने मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को दो वरिष्ठ न्यायाधीशों के ट्रांसफर के कारणों का खुलासा करने के लिए कहा है।

अधिवक्ताओं ने कॉलेजियम की निर्णय लेने की प्रक्रिया की अस्पष्टता पर अपनी चिंता व्यक्त की और जोर देकर कहा कि कुरैशी के आदेश में अचानक बदलाव केंद्र सरकार के फैसले के रुप में दिखाई देता है। जानकारी के लिए बता दें कि चीफ जस्टिस कुरैशी को पहले मध्य प्रदेश के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश की गई थी, हालांकि बाद में उन्हें त्रिपुरा होई कोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में सिफारिश की गई।

पत्र में आगे कहा गया है, केंद्र सरकार, राजनीतिक विचार के लिए, मध्य प्रदेश में न्यायमूर्ति कुरैशी की नियुक्ति के लिए बाध्य थी। साथ ही एसोसिएशन ने कहा कि कॉलेजियम भय और पक्ष के बिना स्वतंत्र रूप से कार्य करने में विफल हो रहा है। इतना ही नहीं ये भी कहा गया कि जस्टिस ताहिलरामनी के ट्रांसफर का निर्णय भी राजनीतिक हस्तक्षेप के तहत लिया गया है।


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