Move to Jagran APP

सबसे निचले दर्जे तक पहुंचा सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ

भारत इस समय दुनिया की सर्वाधिक तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है। मोदी सरकार ने जीएसटी सहित कई ऐतिहासिक सुधार किए हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 20 Jun 2018 11:53 AM (IST)Updated: Wed, 20 Jun 2018 12:20 PM (IST)
सबसे निचले दर्जे तक पहुंचा सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ
सबसे निचले दर्जे तक पहुंचा सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ

[जागरण स्पेशल]। भारत इस समय दुनिया की सर्वाधिक तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है। मोदी सरकार ने जीएसटी सहित कई ऐतिहासिक सुधार किए हैं। आर्थिक मोर्चे बीते चार साल कैसे रहे, इस बारे में हमारे विशेष संवाददाता हरिकिशन शर्मा ने वित्त मंत्रालय में प्रिंसिपल इकोनॉमिक एडवाइजर संजीव सान्याल से लंबी बातचीत की। पेश है कुछ अंश:

loksabha election banner

बीते चार साल में अर्थव्यवस्था में क्या बदलाव आए हैं?
मोदी सरकार ने अर्थव्यवस्था के मूल ढांचे की नींव मजबूत की है जिसका लाभ पीढ़ियों तक मिलेगा। सरकार की कोशिश अर्थव्यवस्था को नियमों के आधार पर चलाने की रही है न कि पूर्व सरकारों की तरह रिश्ते के आधार पर। यह बड़ा बदलाव इस सरकार ने किया है।

ये ढांचे क्या हैं?
पहला ढांचा है मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) जिससे महंगाई काबू हुई। यूपीए के कार्यकाल में महंगाई दर 8 से 10 प्रतिशत थी जिसे हमने नियंत्रित कर चार-पांच फीसद के आस-पास रखा है। यह मामूली बात नहीं है। दूसरा ढांचा जीएसटी है जिससे पूरे देश में एक समान परोक्ष कर व्यवस्था बनी है। इसे लागू करने के लिए 20-30 साल से चर्चा चल रही थी लेकिन 2017 में जाकर यह लागू हुआ। तीसरा ढांचा इन्सॉल्वेंसी एंड बैंक्रप्सी कोड (आइबीसी) के रूप में बनाया जिससे बैंकों की सफाई की जा रही है, फंसे कर्ज को वसूला जा रहा है। भूषण स्टील का उदाहरण हमारे सामने है। आइबीसी के तहत इसकी नीलामी हुई, टाटा ने इसे खरीदा और बैंकों को 35 हजार करोड़ रुपये मिले। इसके अलावा 12 प्रतिशत हिस्सेदारी मिली। चौथा ढांचा जैम त्रिनिटी (जनधन, आधार, मोबाइल) का है जिसके जरिए सरकारी योजनाओं की राशि बिना लीकेज के सीधे लाभार्थियों तक पहुंचायी जा रही है।

आम लोगों की क्वॉलिटी ऑफ लाइफ में क्या बदलाव आया है?
जब हम क्वालिटी ऑफ लाइफ की बात करते हैं तो सिर्फ शहरी खासकर उच्च मध्यम वर्ग के बारे में सोचते हैं लेकिन बेसिक क्वालिटी ऑफ लाइफ सबसे ज्यादा कहां जरूरी है? उनके बारे में सोचिए जो समाज के सबसे निचले स्तर पर हैं। मोदी सरकार ने निचले वर्ग के बारे में ही सोचा है। हमारे देश में इस दशक के शुरू में सिर्फ 36 प्रतिशत घरों में टॉयलेट थे, चार साल में यह आंकड़ा 80-85 प्रतिशत हो गया है और अगले साल तक 100 प्रतिशत हो जाएगा।

इससे निचले स्तर पर क्वालिटी ऑफ लाइफ सुधरी बल्कि इससे व्यापक सामाजिक बदलाव आया। इसी तरह प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना में गरीबों को रसोई गैस सिलेंडर मिलने से महिलाओं के जीवन में सुधार आया। देश के बड़े शहरों में मेट्रो रेल चलाई जा रही है। एक साल के भीतर दिल्ली दुनिया का चौथा सबसे बड़ा शहरी मेट्रो नेटवर्क हो जाएगा। इससे आम लोगों का जीवन बेहतर हो रहा है।

क्या एनपीए की समस्या सुधर रही है?
पहले किसी सरकार ने यह जानने की कोशिश नहीं की कि बैंकों की एनपीए की समस्या की मूल वजह क्या है? उनके खातों में दरअसल क्या है? सरकार ने सफाई शुरू की है। राजनीतिक हस्तक्षेप से बैंकों से लोन दिलवाना कोई नई बात नहीं थी। यह कई दशकों से चल रहा था। 1950 के दशक में मुद्रा घोटाले के रूप में यह सामने आया था। वास्तव में मोदी सरकार ने उस संस्कृति को खत्म किया जिसमें राजनीतिक संरक्षण प्राप्त कुछ उद्योगपति बैंकों से बड़े-बड़े लोन लेते थे, बिजनेस करते थे।

क्या विकास वृद्धि के रास्ते पर है?
पिछले वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में विकास दर 7.7 प्रतिशत रही। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में यह 7.4 प्रतिशत रह सकती है। यह विकास दर दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सर्वाधिक है।

लेकिन निवेश नहीं बढ़ रहा है? नौकरियां भी नहीं आ रही हैं?
यह कहना सही नहीं है कि नौकरियां पैदा नहीं हो रहीं। अगर मेट्रो रेल का विस्तार हो रहा है, सड़कें बन रही हैं, शौचालय बन रहे हैं, बिजली कनेक्शन दिए जा रहे हैं तो यह सब काम कौन कर रहा है? किसी न किसी को इसमें रोजगार मिला है। यह कहना भी सही नहीं है कि निवेश नहीं बढ़ रहा है। पिछले साल निवेश घटा था लेकिन अब यह बढ़ने लगा है। निजी क्षेत्र में फिर से निवेश बढ़ रहा है खासकर कैपिटल गुड्स में।

क्या अर्थव्यवस्था डबल डिजिट ग्रोथ हासिल कर पाएगी?
हमारी कोशिश है कि विकास दर को कृत्रिम तरीके से न बढ़ाएं। स्वाभाविक रूप से विकास दर जितनी बढ़ रही है, उतनी बढ़ने दें। हमारे सुधारों से विकास दर बढ़ रही है तो अच्छा है लेकिन हम मांग बढ़ाकर एक-दो तिमाही विकास दर ऊपर ले भी जाएं तो उसका कोई फायदा नहीं है क्योंकि उससे एक तो महंगाई बढ़ेगी, दूसरे विकास दर भी कुछ समय बाद नीचे आ जाएगी।

रिजर्व बैंक ने हाल में रेपो रेट बढ़ाया है, निवेश पर इसका क्या असर पड़ेगा?
अगर निवेश नहीं बढ़ता है, विकास दर में गिरावट आती है तो आरबीआइ ब्याज दर घटा सकता है। ऐसा नहीं है कि आरबीआइ एक ही दिशा में चलता रहे। वह आर्थिक संतुलन को ध्यान में रखकर कदम उठाएगा।

पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग उठ रही है? क्या इससे पेट्रोल सस्ता होगा?
केंद्र और राज्य दोनों मिलकर जीएसटी लागू कर रहे हैं। अगर सभी राज्य सहमत हो जाते हैं तो यह हो सकता है। ऐसा नहीं है कि दाम कम हो जाएं। हां, इतना जरूर है कि पूरे देश में पेट्रोल-डीजल का एक रेट हो जाएगा। हम कच्चा तेल आयात करते हैं। जब कच्चे तेल के दाम बढ़ेंगे तो हमारे यहां कीमत कैसे कम हो जाएगी। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.